Gharial Conservation in Chambal: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पिछले सप्ताह मुरैना में स्थित राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य में 10 घड़ियालों को चंबल नदी में छोड़ा। इनमें से नौ नर और एक मादा घड़ियाल थी। सीएम यादव ने ऐसा मध्य प्रदेश में घड़ियालों की आबादी को बढ़ाने और मगरमच्छ संरक्षण में प्रदेश की स्थिति को मजबूत करने के लिए किया।

मध्य प्रदेश पिछले कई दशकों से घड़ियालों को बचाने और इनकी संख्या बढ़ाने की लगातार कोशिश कर रहा है और इस वजह से ही उसे ‘घड़ियाल राज्य’ का इनाम मिल चुका है। यह जानना दिलचस्प है कि भारत के 80% से अधिक घड़ियाल इस प्रदेश में पाए जाते हैं।

आइए जानते हैं कि घड़ियाल क्या होते हैं, वे क्यों महत्वपूर्ण हैं? वे किन खतरों का सामना कर रहे हैं और उनकी सुरक्षा के लिए मध्य प्रदेश सरकार क्या कर रही है?

पौराणिक कथाओं में भी होता है घड़ियाल का जिक्र

घड़ियाल (Gavialis gangeticus) एक लंबी नुकीली नाक वाला, मछली खाने वाला मगरमच्छ होता है। ‘घड़ियाल’ शब्द हिंदी के ‘घड़ा’ से आया है, जिसका अर्थ है बर्तन। नर घड़ियाल की नाक के सिरे पर घड़े जैसी आकृति दिखाई देती है। भारतीय पौराणिक कथाओं में भी घड़ियाल का जिक्र होता है।

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बीमार चल रहे हैं पोप फ्रांसिस। (REUTERS/File Photo)

कथाओं में घड़ियाल को अक्सर देवी गंगा के वाहन के रूप में बताया जाता है। घड़ियाल की पतली नाक, जिनमें कई नुकीले आपस में जुड़े हुए दांत होते हैं, मछलियों को फंसाने के लिए आरामदायक होते हैं। घड़ियालों का मुख्य आहार मछलियां ही हैं।

टापुओं पर अंडे देती हैं मादा घड़ियाल

नर घड़ियाल 3-6 मीटर तक बढ़ते हैं और मादा 2.6-4.5 मीटर तक। घड़ियाल नवंबर, दिसंबर और जनवरी के दौरान प्रजनन करते हैं। मार्च से मई के बीच जब नदी का जलस्तर कम होता है, तब मादा घड़ियाल खुले रेत के टीलों और द्वीपों पर घोंसला बनाने के लिए समूह में चली जाती हैं। मादा घड़ियाल रेतीले किनारों और टापुओं पर अंडे देती हैं।

घड़ियाल नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे मृत जीवों को खा लेते हैं और पानी को साफ रखते हैं।

यादव ने मगरमच्छों को नदी में क्यों छोड़ा?

मुख्यमंत्री मोहन यादव घड़ियालों की इस प्रजाति को संकट से बचाने के लिए आगे आए हैं और उन्होंने इसी वजह से चंबल नदी में 10 घड़ियालों को छोड़ा। उन्होंने राज्य में घड़ियालों को बचाने की मुहिम तेज की है। मध्य प्रदेश में भारत में सबसे ज्यादा घड़ियाल हैं, 2024 की जनगणना के अनुसार चंबल अभ्यारण्य में 2,456 घड़ियाल हैं।

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नादिर शाह ने मोहम्मद शाह ‘रंगीला’ को हराया था करनाल की लड़ाई में। (Wikimedia Commons/Indian Express)

मध्य प्रदेश के वन्यजीव अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा सिर्फ इस वजह से हुआ है कि राज्य सरकार ने बीते कई दशकों से घड़ियालों के संरक्षण का काम किया है। जबकि 1950 और 1960 के दशक के बीच राष्ट्रीय स्तर पर घड़ियाल की आबादी में 80 प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट आई थी।

घट रही घड़ियालों की संख्या

2007 के एक शोध पत्र के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर घड़ियालों की संख्या में 1997 तक लगातार बढ़ोतरी हुई, लेकिन 1997 और 2006 के बीच इनकी संख्या में 58% की गिरावट आई और वयस्क घड़ियालों की संख्या 436 से घटकर 182 रह गई। वाइल्डलाइफ रिसर्चर्स ने कहा है कि म्यांमार और भूटान में घड़ियाल की प्रजाति लगभग विलुप्त हो चुकी है जबकि पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश के ऊपरी ब्रह्मपुत्र में इनकी बहुत कम संख्या बची है।

किन खतरों से जूझ रहे हैं घड़ियाल?

पहले घड़ियालों का शिकार उनकी खाल, अंडों और दवाओं के लिए किया जाता था। लेकिन अब ये कई और तरह के खतरों का सामना कर रहे हैं। जैसे- बांध निर्माण, सिंचाई की नहरें, गाद, नदी के मार्ग में परिवर्तन, तटबंध, रेत खनन, प्रदूषण और मछली पकड़ना, इस वजह से इनकी आबादी लगातार घट रही है। मछली पकड़ने के जालों में घड़ियाल फंसकर मर जाते हैं।

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कई बार आमने-सामने आ चुके हैं दोनों राज्य। (Source-Jansatta)

घड़ियाल संरक्षण के लिए क्या कर रहा मध्य प्रदेश?

1975-1982 के बीच भारत में 16 घड़ियाल प्रजनन और पुनर्वास केंद्र और 5 अभ्यारण्य बनाए गए। अब घड़ियाल मुख्य रूप से इन 5 जगहों पर बचे हैं- नेशनल चंबल अभ्यारण्य, कटेरनिघाट अभ्यारण्य, चितवन नेशनल पार्क, सोन नदी अभ्यारण्य और सातकोसिया गॉर्ज अभ्यारण्य।

इसके अलावा मध्य प्रदेश सरकार संरक्षण के प्रयासों में नवजात घड़ियालों को पालने और उन्हें वापस नदी में छोड़ने के लिए बंदी प्रजनन कार्यक्रम, घड़ियालों की आबादी की निगरानी, ​​रेत खनन जैसे खतरों का प्रबंधन और जागरूकता अभियानों में स्थानीय समुदायों को शामिल करना शामिल है।

चंबल अभ्यारण्य तीन राज्यों में 435 किमी तक फैला है। घड़ियालों के अलावा, इस हिस्से में 290 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां हैं। चंबल अभ्यारण्य अन्य जगहों पर घड़ियालों की आबादी को बढ़ाने में भी सहायक रहा है। 1960-70 के आसपास पंजाब की नदियों से घड़ियाल गायब हो गए थे। 2017 में चंबल के देवरी घड़ियाल सेंटर से घड़ियालों को पंजाब भेजा गया था। 2018 में 25 घड़ियाल सतलुज नदी में भेजे गए और 2020 में 25 घड़ियाल ब्यास नदी में भेजे गए।

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