अमेरिका ने वेनेजुएला से आने-जाने वाले सभी तेल टैकरों के रास्ते ब्लॉक कर दिए है। इसकी जानकारी राष्ट्रपति ट्रम्प ने सोशल मीडिया ट्रुथ पर दी उन्होंने लिखा कि वेनेजुएला पूरी तरह से अब तक के सबसे बड़े नौसैनिक बेड़े से घिरा हुआ है। यह बेड़ा और भी बड़ा होता जाएगा और उन्हें ऐसा झटका लगेगा जैसा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा होगा जब तक कि वे अमेरिका को वह सारा तेल, जमीन और अन्य संपत्ति वापस नहीं कर देते जो उन्होंने पहले हमसे चुराई थी।

ट्रम्प ने आगे लिखा मादुरो सरकार इन चुराए गए तेल क्षेत्रों से मिले तेल का इस्तेमाल खुद को वित्त पोषित करने, मादक पदार्थों के आतंकवाद, मानव तस्करी, हत्या और अपहरण के लिए कर रहा है। इन कारणों से वेनेजुएला सरकार को एक विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है, इसलिए मैं वेनेजुएला में आने-जाने वाले सभी प्रतिबंधित तेल टैंकरों की पूर्ण नाकाबंदी का आदेश देता हूं।

जवाब में वेनेजुएला की सरकार ने ट्रम्प के इस आदेश की निंदा की है और उन्होंने इस कदम को युद्ध भड़काने वाली धमकी बताया।

बता दें कि पिछले सप्ताह अमेरिका ने वेनेजुएला के तट पर उनका एक तेल टैंकर को जब्त कर लिया, अमेरिका इस कार्रवाई को वेनेजुएला की तेल पर निर्भरता को देखते हुए अहम मान रहा है।

अब तक 87 लोगों की मौत

ट्रम्प ने हाल ही में वेनेजुएला में सीआईए के एजेंटो को लगाया है कि क्योंकि अमेरिका दावा कर रहा कि उनके देश में वेनेजुएला से बड़े पैमाने पर ड्रग तस्करी हो रही है। इसे लेकर अमेरिका ने दुनिया का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर दक्षिणी अमेरिकी देश की ओर भेज दिया और साथ ही 15,000 जवानों को तैनात कर दिया। अमेरिका की कार्रवाई में अबतक 87 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में आइए समझते हैं कि आखिर अमेरिका और वेनेजुएला के बीच किस बात को लेकर विवाद है?

क्यों है दोनों देशों में विवाद?

दोनों देशों के बीच संबंध 1999 से तनावपूर्ण हैं क्योंकि इसी वर्ष वामपंथी नेता ह्यूगो चावेज़ वेनेजुएला के राष्ट्रपति बने। साल 2002 में चावेज की तख्तापलट की कोशिश हुई, जिसका आरोप उन्होंने अमेरिका पर लगाया और इसी वर्ष वेनेजुएला अमेरिकी राजदूत को अपने देश से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

निकोलस मादुरो ने संभाली कुर्सी

साल 2013 में चावेज की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कुर्सी संभाली और फिर अमेरिका के साथ तनाव धीरे-धीरे और बढ़ने लगे। इधर ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान यह तनाव और तेजी से बढ़ा क्योंकि अमेरिका ने 2018 के वेनेजुएला में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हुए विवाद में मादुरो के प्रतिद्वंद्वी जुआन गुआइदो का समर्थन किया, जो 2023 तक चला।

इधर 2024 में मादुरो एक बार फिर वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुने गए। उन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार एडमंडो गोंजालेज को हराया। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि यह चुनाव परिणाम संदेहपूर्ण था और इसे लेकर तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका को “इस बात की गंभीर चिंता है।

मारिया कोरिना मचाडो हैं मुख्य प्रतिद्वंद्वी

अक्टूबर 2025 में राष्ट्रपति की मुख्य प्रतिद्वंद्वी मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। बता दें कि साल 2024 में मारिया कोरिना मचाडो को वेनेजुएला के सर्वोच्च न्यायालय ने गुआइदो के साथ “भ्रष्टाचार की साजिश” में शामिल होने का दोषी पाए जाने के बाद राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से रोक दिया था।

राष्ट्रपति मादुरो ने सितंबर में अमेरिका पर आरोप लगाया कि वे उन्हें सत्ता से बाहर करना चाहते हैं और वेनेजुएला में अपनी पसंद की सरकार बनाना चाहते हैं। हालांकि ट्रम्प ने इस झूठा और भद्दा मजाक बता दिया।

वेनेजुएला से क्या चाहता है अमेरिका?

कई विद्वानों का मानना है वेनेजुएला के पास विशाल तेल का भंडार है और इसे ट्रम्प प्रशासन पाना चाहता है, मादुरो भी यही आरोप ट्रम्प प्रशासन पर लगाते रहे हैं। हालांकि व्हाइट हाउस ने इस बात इनकार किया है।

कुछ समय पहले अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन ने बताया था कि वेनेजुएला के पास विशाल तेल का भंडार मौजूदा है, जो वैश्विक भंडार के करीबन पांचवें हिस्से के बराबर है।

अमेरिकी विदेश विभाग की मानें तो वेनेजुएला में ट्रंप की रुचि मादक पदार्थों की तस्करी को खत्म करने की है। विभाग का कहना है कि वेनेजुएला कैरिबाई क्षेत्र में मादुरो शासन के नीचे ड्रग्स की तस्करी कर रहा है, इसी कारण अमेरिका ड्रग तस्करों की नौकाओं को निशाना बना रहा है।

बता दें कि अमेरिका ने वेनेजुएला के ऊपर तेल से जुड़े कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिस कारण वह चीन को बहुत कम कीमत पर तेल बेचने को मजबूर है।