बांग्लादेश में पिछले महीने बने बेहद खराब हालत का असर राजनीतिक माहौल के साथ ही काम-धंधों पर भी पड़ा है। देश का कपड़ा उद्योग इससे प्रभावित हुआ है। भारत ने कहा है कि बांग्लादेश में चल रहे उसके विकास के प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ा है। पिछले महीने देश में हुई हिंसा के बाद वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा था। इसके बाद मुहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली थी। बांग्लादेश के हालात पर भारत की नजर बनी हुई है।

बांग्लादेश विकास में भारत का सबसे बड़ा पार्टनर है। पिछले डेढ़ दशक के दौरान भारत बांग्लादेश को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सड़कें, रेलवे, शिपिंग और बंदरगाह के लिए लगभग 8 अरब डॉलर की सहायता दे चुका है।

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के हालात को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी बातचीत की थी।

बांग्लादेश को नहीं मिल रहे नए ऑर्डर

बांग्लादेश में हालांकि प्रोडक्शन इकाइयों ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है और बकाया ऑर्डर को पूरा करने के लिए कर्मचारी अतिरिक्त काम भी कर रहे हैं। लेकिन वेस्टर्न कपड़े बनाने वाली और फुटवियर कंपनियों ने बांग्लादेश को नए ऑर्डर देना बंद कर दिया है।

बांग्लादेश को ऑर्डर ना मिलने का असर भारत के कपड़ा उद्योग पर भी पड़ा है। भारत का कपड़ा उद्योग बांग्लादेश को कच्चे माल और दूसरी ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति करता है।

कपड़ा उद्योग के जानकारों का कहना है कि भारत से बांग्लादेश को होने वाले कॉटन के निर्यात में गिरावट आनी शुरू हो गई है।

भारत से मंगाया जा रहा सामान

चेन्नई के फरीदा ग्रुप के अध्यक्ष एम. रफीक अहमद का कहना है कि वेस्टर्न कंपनियों से अब नए ऑर्डर नहीं आ रहे हैं। प्रोडक्शन की मांग को पूरा करने के लिए कर्मचारी ओवर टाइम कर रहे हैं। ऑर्डर्स को पूरा करने के लिए भारत से कुछ चीजें मंगाई जा रही हैं, यहां तक कि भारत से टेक्नीशियन को भी बुलाया जा रहा है। फरीदा ग्रुप ने बांग्लादेश के फुटवियर क्षेत्र में निवेश किया हुआ है।

अहमद बताते हैं कि ज्यादातर प्रोडक्शन ढाका और चिट्टागोंग में हो रहा है। अगस्त में यहां कुछ अशांति थी लेकिन अब हालात सामान्य हो रहे हैं।

कन्फेडरेशन ऑफ़ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री की महासचिव चंद्रिमा चटर्जी का कहना है कि वेस्टर्न कंपनियां भारत को एक विकल्प के रूप में देख रही हैं लेकिन काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी डिलीवरी करने की क्या क्षमता है।

चटर्जी का कहना है कि कपड़ों की मांग आ रही है लेकिन भारत के कपड़ा उद्योग पर जो इसका तात्कालिक प्रभाव है, वह बहुत खराब है क्योंकि बांग्लादेश को निर्यात होने वाले इनपुट मैटीरियल का काम धीमा हो गया है।

कपड़े के सेक्टर में काम करने वाले एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बांग्लादेश में शुरू हुए संकट से पहले ही वेस्टर्न कंपनियां भारत की ओर देख रही थीं।

जीडीपी में 11% है हिस्सेदारी

बांग्लादेश में टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग वहां की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और यह इस देश की निर्यात से होने वाली आय का 80% से ज्यादा हिस्सा देता है। देश की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 11% है।

बांग्लादेश में कपड़ा उद्योग 45 अरब डॉलर का है और इससे 40 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है।