गुवाहाटी हाईकोर्ट के प्लेटिनम जयंती समारोह में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने तकनीक को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि टेक्नॉलॉजी अपने आप में रामबाण नहीं है। हमें डिजिटल इंक्लूजन और एक ऐसे इको सिस्टम की जरूरत है, जो तकनीक के लाभों को हकीकत बना सके।
उन्होंने आगे कहा कि इंडियन टेक्नॉलॉजी को भारतीय समाज की हकीकत को ध्यान में रखकर डिजाइन किए जाने की जरूरत है। डिजाइन का यूजर सेट्रिक होना भी बहुत महत्वपूर्ण है।
बता दें कि गुवाहाटी हाईकोर्ट की स्थापना साल 1948 में हुई थी। शुक्रवार को गुवाहाटी हाईकोर्ट की प्लेटिनम जयंती के मौके पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू, गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संदीप मेहता और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी शामिल हुए थे।
महिलाओं के लिए लॉन्च हुआ ऐप
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और कानून मंत्री किरण रिजिजू ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के प्लेटिनम जुबली समारोह के दौरान Bhoroxa नाम का ऐप लॉन्च किया। महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस ऐप को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने डेवलप किया है।
कैसे काम करेगा ऐप?
Bhoroxa का मतलब होता है भरोसा या ट्रस्ट। इस ऐप को इंस्टॉल करने के बाद यदि कोई महिला किसी आपात स्थिति में है तो SOS मैसेज भेज सकती है। खास बात यह है कि इस मैसेज के साथ अधिकारियों को फौरन लोकेशन भी मिल जाएगी और तत्काल मदद पहुंचाई जा सकेगी। इस एप्लीकेशन की सबसे खास बात यह है कि अगर किसी इलाके में इंटरनेट कनेक्शन भी नहीं है तब भी अधिकारियों को एसएमएस के जरिए एसओएस अलर्ट मिल जाएगा।
CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा?
CJI चंद्रचूड़ ने इस एप्लीकेशन की तारीफ करते हुए कहा कि मैं डेवलपर्स का धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने जमीनी हकीकत और तमाम Factors को देखते हुए एक ऐसा ऐप डेवलप किया जो बहुत मददगार साबित होगा।
समाज की जमीनी वास्तविकताओं को ध्यान में रखकर ऐप को डेवलप बनाने वाले डेवलपर्स की सराहना की जानी चाहिए। राष्ट्रीय और राज्य के स्तर पर डिजिटल जेंडर डिवाइड के बारे में बोलते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों को पढ़ा। उन्होंने कहा, “असम के शहरी क्षेत्रों में 75.4 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 53.9 प्रतिशत महिलाओं की मोबाइल तक पहुंच है।” साथ ही सीजेआई ने उन महिलाओं के संबंध भी चिंता भी व्यक्त की जिनकी पहुंच से इंटरनेट अभी दूर है।
डिजिटाइजेशन की तारीफ में कह चुके हैं ये बातें
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ पहले भी तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के संबंध में बोल चुके हैं। इसी वर्ष जनवरी में सीजेआई ने कहा था कि डिजिटाइजेशन न्याय देने की दिशा में सही कदम है। तब उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय की प्रशंसा करते हुए कहा था कि न्यायाधीशों और वादियों को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के मामले में उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय से बहुत आगे है, “SC पूरे देश के लिए कानून बनाता है लेकिन दिल्ली HC उन सुविधाओं में SC से बहुत आगे है जो न केवल न्यायाधीशों बल्कि वादियों को प्रदान की जाती हैं। ऑनलाइन ई-फाइलिंग, वीसी, अदालत के रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ करने जैसी आपकी पहल ने एक स्थायी अदालत की मजबूती को बढ़ाया है।”
डिजिटल डिवाइड से बचने की सलाह
सीजेआई ने डिजिटल डिवाइड से बचने की सलाह देते हुए कहा था, “यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि अदालत से जुड़ी ऑनलाइन सेवाओं का सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले ब्राउज़रों, स्क्रीन रीडिंग सॉफ़्टवेयर के साथ तालमेल अच्छा हो। उन्हें कम बैंडविड्थ वाले मोबाइल पर भी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता हो। साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारी तकनीक डिजिटल डिवाइड में योगदान ना करता हो।”