लोकसभा चुनाव 2024 में जीत के साथ ही पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने नए उद्योगों के विकास के लिए नया तरीका खोज निकाला है। सरकार ने बंद इंडस्ट्रीज के साथ-साथ चल रही इंडस्ट्रीज की खाली और इस्तेमाल न की जा रही जमीन बेचने की पेशकश शुरू कर दी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ममता बनर्जी ने गुरुवार को वरिष्ठ अधिकारियों से खाली पड़े सरकारी भवनों की एक सूची तैयार करने और उन संरचनाओं को नीलामी के माध्यम से बेचने के लिए एक नीति तैयार करने को कहा।
सरकारी बिल्डिंग बेचेगी ममता सरकार
मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों के सचिवों, जिलाधिकारियों और कोलकाता नगर निगम के अधिकारियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान यह निर्देश दिया। सम्मेलन में मौजूद सूत्रों ने बताया कि सरकार 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले जितना संभव हो उतना राजस्व पैदा करना चाहती है।
इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने विभागों को अपनी खाली पड़ी ज़मीनों को नीलामी के माध्यम से बेचने की अनुमति दी थी। अब, सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाया है और इस्तेमाल नहीं किए जा रहे सरकारी भवनों को बेचने का फैसला किया है।

कौन सी बिल्डिंग बेची जा सकती हैं उनकी लिस्ट होगी तैयार
बैठक में भाग लेने वाले सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वित्त विभाग इस्तेमाल में नहीं लाई जा रही सरकारी बिल्डिंग के मुद्रीकरण की प्रक्रिया की निगरानी करेगा, जिसकी सूची विभिन्न विभागों और जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा तैयार की जाएगी।
सीएम उन बिल्डिंग की बात कर रही हैं जिनका निर्माण पिछले 10 वर्षों में किया गया था। उनमें से अधिकांश इमारतें खाली पड़ी हैं। राज्य सरकार ने इंडस्ट्रीज शुरू करने के लिए जमीन की किल्लत को हल करने के लिए पिछले एक साल में पहले ही कई उपाय किए हैं। इसमें शुल्क के बदले लीजहोल्ड भूमि को फ्रीहोल्ड में परिवर्तित करना शामिल है।
पश्चिम बंगाल की GSDP
साल | GSDP (%) |
2019-20 | 1.7 |
2020-21 | 8.1 |
2021-22 | 11.4 |
2022-23 | 8.4 |
पिछले 10 सालों से खाली पड़ी बिल्डिंग को बेचा जा सकता है
पश्चिम बंगाल में लगभग 80 कर्म तीर्थ – बेरोजगार युवाओं के लिए शॉपिंग कॉम्प्लेक्स पिछले 10 वर्षों में बनाए गए थे लेकिन बेरोजगार युवाओं की रुचि की कमी के कारण कोई भी चालू नहीं हुआ। प्रत्येक ब्लॉक में स्थापित बड़ी संख्या में किसान मंडियाँ किसानों की रुचि की कमी के कारण खाली पड़ी हैं

पश्चिम बंगाल की वाणिज्य और उद्योग मंत्री शशि पांजा ने भी गुरुवार को सीआईआई द्वारा आयोजित सम्मेलन ‘वेस्ट बंगाल: पॉइज्ड टू लीड’ में इस बारे में जानकारी दी। सरकार पहली बार ऐसा कोई कदम उठाने जा रही कि वह राज्य में नए उद्योगों के लिए खाली और इस्तेमाल नहीं की जा रही जमीन की पेशकश कर रही है।
खाली पड़ी जमीन से कुल 1,054 एकड़ जमीन इकट्ठी
उद्योग मंत्री पांजा ने बताया कि हाल के वर्षों में 1,739 एकड़ की जमीन पर 9 औद्योगिक पार्क स्थापित किए गए हैं। खाली और बंद इंडस्ट्रीज की जमीन के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि औद्योगिक पार्क के लिए दुर्गापुर (डीपीएल) में 132 एकड़ जमीन, पश्चिम बर्दवान में ढाकेश्वरी कॉटन मिल्स प्लॉट में 193 एकड़ और बेलूर के पास 69 एकड़ एनईएससीओ जमीन थी।
उन्होंने कहा कि पश्चिम मिदनापुर के गारबेटा में उद्योग के लिए लगभग 350 एकड़ जमीन और पश्चिम बर्दवान के मंगलपुर में एक औद्योगिक पार्क के लिए 310 एकड़ जमीन थी। इस तरह बंद और खाली पड़ी जमीन से कुल 1,054 एकड़ जमीन इकट्ठी हुई।
हालाँकि, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि खाली पड़े सरकारी भवनों को बेचने की बात कहना जितना आसान होगा, करना उतना आसान नहीं होगा क्योंकि उनमें से अधिकांश बिल्डिंग बाज़ारों से दूर के क्षेत्रों में स्थित हैं। अधिकारियों का कहना है कि यही एकमात्र कारण है कि इन इमारतों को चालू नहीं किया जा सका, भले ही राज्य ने पहले इन्हें पट्टे पर देने की कोशिश की थी अब, यह देखना बाकी है कि क्या निजी निवेशक इन संपत्तियों को खरीदने के लिए आगे आएंगे या नहीं।