पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने राज्य में वोटर लिस्ट के रिवीजन को लेकर राज्य के निर्वाचन अफसरों को पत्र लिखा था। लेकिन पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल जिलों- मुर्शिदाबाद और मालदा में पिछले कुछ दिनों से लोगों के बीच इतनी अफरा-तफरी क्यों मची हुई है?

ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास आमतौर पर जन्म प्रमाण पत्र नहीं होते। लोगों को इस बात का डर है कि बिहार के बाद बंगाल में Special Intensive Revision (SIR) की प्रक्रिया के बाद अगर एनआरसी को शुरू किया जाता है तो जन्म प्रमाण पत्र से ही यह तय होगा कि कोई व्यक्ति भारत का रहने वाला है या नहीं।

बड़ी संख्या में लोग स्टांप पेपर लेकर नगर पालिकाओं, ग्राम पंचायतों और अदालतों में लंबी-लंबी लाइनों में खड़े हैं ताकि उनके जन्म प्रमाणपत्र में जो गड़बड़ियां हैं उनमें सुधार हो, उनका डिजिटाइजेशन किया जा सके या फिर उन्हें नए प्रमाण पत्र जारी हों।

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ममता बनर्जी सरकार ने SIR को लेकर सवाल खड़े किए हैं और जन्म प्रमाणपत्र को लेकर गाइडलाइंस भी जारी की हैं। जो लोग अपने जन्म प्रमाण पत्र ठीक कराने के लिए लाइनों में लगे हुए हैं, उनमें 65 साल के अबुल कासिम शेख भी हैं।

गांव से 45 किलोमीटर दूर पहुंचे अबुल

अबुल कासिम शेख अपनी बेटी सजना खातून का जन्म प्रमाण पत्र ठीक कराने के लिए अपने गांव से 45 किलोमीटर दूर बहरामपुर नगर पालिका पहुंचे हैं। उनके पास प्राइवेट नर्सिंग होम से 20 साल पहले जारी किया गया एक डॉक्यूमेंट है। अबुल कासिम शेख के साथ 600 लोग और लाइन में खड़े हुए हैं। शेख बताते हैं कि उनके गांव में लोग कहते हैं कि उन्हें इस लाल सर्टिफिकेट की जगह है सफेद प्रिंट आउट लेना होगा।

ऐसी ही चिंता समीरुन बीबी की भी है। वह अपने दो बेटों के बर्थ सर्टिफिकेट को डिजिटल कराने के लिए आई हैं। वह कहती हैं, “किसी दिन वे SIR और फिर एनआरसी लाएंगे। पहले हमारा वोट देने का अधिकार छीन लिया जाएगा, फिर हमें बाहर निकाल दिया जाएगा।”

ममता बनर्जी सरकार हुई सक्रिय

ममता बनर्जी सरकार लोगों को इन डॉक्यूमेंट्स को हासिल करने में पूरी मदद कर रही है और इसके लिए सरकार ने तमाम जरूरी इंतजाम किए हैं। बहरामपुर के नगर पालिका अध्यक्ष नारूगोपाल मुखर्जी कहते हैं, “पिछले 10 दिनों से यहां अफरा-तफरी का माहौल है। पहले हमें जन्म प्रमाण पत्रों के डिजिटलीकरण या सुधार के लिए हर दिन 10-12 आवेदन मिलते थे; अब यह संख्या 500-600 हो गई है। लोग सुबह 7 बजे से ही यहां खड़े हैं।”

सरकारी अधिकारी अभिजीत सरकार कहते हैं, “हम लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि इतनी जल्दीबाज़ी की कोई ज़रूरत नहीं है लेकिन वे सुनने के लिए तैयार ही नहीं हैं।”

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कोर्ट में भी भारी भीड़

मुर्शिदाबाद नगरपालिका में भी हर दिन 120-150 लोग आ रहे हैं। जन्म प्रमाण पत्र में गड़बड़ियों को लेकर अधिकारी कुछ लोगों से अदालत से एफिडेविट लाने को कहते हैं। उसे लेकर मुर्शिदाबाद जिला जज कोर्ट में भी काफी लोग पहुंच रहे हैं। इस बीच, स्टांप पेपर की कीमत भी लगभग दोगुनी हो गई है और वकीलों की फीस भी बढ़ गई है।

ऐसे ही हाल मालदा जिले के कलियाचक ब्लॉक और महलांडी पंचायत में भी हैं।

‘पिछले दरवाजे से एनआरसी लाने की साजिश’

मुर्शिदाबाद के लालगोला से टीएमसी विधायक मोहम्मद अली कहते हैं, “कोई भी राजनीतिक दल SIR के खिलाफ नहीं है। बंगाल में 2002 में ऐसा हुआ था लेकिन पिछले दरवाजे से एनआरसी लाने की साजिश चल रही है। इसीलिए लोग पंचायत कार्यालयों, नगर पालिकाओं और अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं।”

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टीएमसी और भाजपा को होगा फायदा- अधीर चौधरी

बहरामपुर से पूर्व लोकसभा सांसद और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अधीर चौधरी कहते हैं कि इससे दो पार्टियों को फायदा हो रहा है- ममता बनर्जी की टीएमसी और भाजपा। सीपीआई(एम) की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती कहते हैं कि बिहार में SIR के लिए जिस तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, उससे अफरा-तफरी मच गई है। हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य टीएमसी पर दहशत फैलाने का आरोप लगाते हैं।

अफरा-तफरी के माहौल के बीच बिचौलिये भी सक्रिय हो गए हैं। प्रमाण पत्र के डिजिटाइजेशन और छोटे सुधारों के लिए 1,000 से 2,000 रुपये मांगे जा रहे हैं। आवेदनों की प्रोसेसिंग फीस में काफी अंतर है। बहरामपुर नगरपालिका में यह 50 रुपये है जबकि मुर्शिदाबाद में 100 रुपये।

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