दस साल में पहली बड़ी चुनावी हार और उसके बाद एक और हार से बीजेपी के हालात काफी अलग द‍िखाई दे रहे हैं। साफ लग रहा है क‍ि लोकसभा चुनाव में उम्मीदों के मुताबिक नतीजे नहीं मिलने के बाद से ही बीजेपी की कुछ प्रदेश इकाइयों में हालात ठीक नहीं दिखाई दे रहे हैं। इसके बाद हुए उपचुनावों में भी भाजपा के बुरे प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश से लेकर बंगाल तक में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां पर पार्टी नेताओं ने एक-दूसरे को निशाने पर लिया है।

बता दें क‍ि 4 जून को आए लोकसभा चुनाव नतीजों में भाजपा की 63 सीटें कम आईं। इसके बाद 13 जुलाई को सात राज्‍यों की 13 व‍िधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आए तो उसमें भी भाजपा सिर्फ दो सीटें जीत सकी।

पश्चिम बंगाल में खुले आम बीजेपी का प्रदेश अध्‍यक्ष बदलने की मांग उठी है तो यूपी में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में पार्टी के मंच से यह कहना कि संगठन सरकार से बड़ा है, इसके भी अलग मतलब निकाले जा रहे हैं।

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लोकसभा चुनाव में एनडीए को उत्तर प्रदेश में हुए नुकसान के बाद उठे सवाल। (Source-PTI)

बताना होगा कि लोकसभा चुनाव के नतीजे उत्तर प्रदेश के साथ ही बंगाल में भी बीजेपी के लिए अच्छे नहीं रहे हैं। पार्टी ने यहां 42 में से 35 सीटें जीतने का टारगेट रखा था लेकिन वह 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली सीटों से भी काफी पीछे रह गई है। जबकि बंगाल में सीटों का आंकड़ा बढ़ाने के लिए पार्टी ने बहुत ताकत लगाई थी। उसके बाद चार व‍िधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस भाजपा पर भारी रही।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने किस राज्य में गंवाईं कितनी सीटें

राज्य 2019 में मिली सीटेंगंवाई सीटें
उत्तर प्रदेश 6229
महाराष्ट्र 2314
पश्चिम बंगाल 186
राजस्थान 2511
बिहार175
कर्नाटक 258
हरियाणा 105

उपचुनाव में सभी सीटें हारी पार्टी

चार सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी पार्टी के लिए निराशाजनक रहे हैं। वह चारों सीटों पर चुनाव हार गई है जबकि इन चार में से तीन सीटों पर उसने 2021 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी।

बंगाल बीजेपी के मौजूदा अध्यक्ष सुकांता मजूमदार को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया है। इसके बाद से ही नया अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जबरदस्त चर्चा है।

घोष के पक्ष में हैं पार्टी कार्यकर्ता

बंगाल बीजेपी के नए अध्यक्ष को लेकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, सांसद सौमित्र खान के साथ ही बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का नाम दौड़ में है। लेकिन दिलीप घोष और सौमित्र खान के शुभेंदु अधिकारी के साथ राजनीतिक रिश्ते ठीक नहीं हैं।

पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि दिलीप घोष फिर से पार्टी की कमान संभालें क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में दिलीप घोष के अध्यक्ष रहते हुए पार्टी ने यहां शानदार प्रदर्शन किया था और 2014 में मिली 2 सीटों के मुकाबले 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बंगाल बीजेपी के कार्यकर्ताओं के मुताबिक दिलीप घोष जमीनी नेता हैं और उन्होंने राज्य में पार्टी का संगठन खड़ा किया है।

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बीजेपी को यूपी में हुआ 29 सीटों का नुकसान। (Source-PTI)

बंगाल बीजेपी कार्यकार‍िणी बैठक में द‍िल्‍ली से कोई बड़ा नेता नहीं?

आगामी बुधवार को पश्चिम बंगाल बीजेपी की राज्य इकाई की बैठक होनी है। इस बैठक की अध्यक्षता करने के लिए रक्षा मंत्री और पार्टी के बेहद सीनियर नेता राजनाथ सिंह को जाना था लेकिन उनके अस्वस्थ होने की वजह से अब केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भेजा जा रहा है। खट्टर ऐसे नेता हैं, जिन्हें कुछ महीने पहले पार्टी हरियाणा के मुख्यमंत्री के पद से हटा चुकी है।

जबकि इस तरह की बड़ी बैठकों में बीजेपी के बड़े नेता जैसे- गृहमंत्री अमित शाह या राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल होते थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन और विधानसभा उपचुनाव में सभी सीटों पर मिली हार के बाद क्या बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को पश्चिम बंगाल से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है?

शनिवार को वेस्ट मिदनापुर के खड़गपुर में एक बैठक में ऐसा वाकया हुआ, जो बीजेपी को शर्मिंदा करने वाला था। इस बैठक में दिलीप घोष और सुकांता मजूमदार दोनों ही मौजूद थे। बैठक में कुछ नेताओं ने खुलकर मांग की कि दिलीप घोष को फिर से पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए।

सालटीएमसी को मिली सीटेंबीजेपी को मिली सीटेंअन्य को मिली सीटें
लोकसभा चुनाव 201922 182
लोकसभा चुनाव 202429 121

मुख्यालय के बाहर धरना देंगे बागी नेता

पश्चिम बंगाल में बीजेपी के बागी नेताओं ने बीजेपी बचाओ मंच बनाया हुआ है। इस मंच के नेताओं ने फैसला किया है कि वे पार्टी के पुराने राज्य मुख्यालय छह, मुरलीधर सेन लेन के बाहर धरने पर बैठेंगे। बागी नेताओं की मांग है कि चुनाव में खराब प्रदर्शन के लिए पार्टी के मौजूदा पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

लोकसभा चुनाव के नतीजे से पहले और बाद में भी पश्चिम बंगाल में बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है। पार्टी की ओर से इसका आरोप टीएमसी पर लगाया गया है। इस वजह से राज्य में पार्टी के कार्यकर्ता डरे हुए हैं।

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बीजेपी में नहीं थम रही रार। (Source-PTI)

बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सपना है कि जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के इस गृह राज्य में बीजेपी की सरकार बननी चाहिए लेकिन पार्टी को लगातार मिल रही शिकस्त की वजह से इसके कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ दिखाई दे रहा है।

…तो यूपी में 2027 में सरकार नहीं बन पाएगी

अब बात करते हैं उत्तर प्रदेश की। उत्तर प्रदेश में चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी के नेताओं के कई ऐसे बयान आ चुके हैं जो बताते हैं कि पार्टी के भीतर हालात ठीक नहीं हैं। बीजेपी के विधायक रमेश चंद्र मिश्रा ने हाल में कहा था कि जिस तरह के हालात उत्तर प्रदेश में हैं, अगर केंद्रीय नेतृत्व ने बड़े फैसले नहीं लिए तो 2027 में बीजेपी की सरकार नहीं बन पाएगी।

प्रयागराज में पार्टी के नेता विनोद प्रजापति ने कहा कि लोकसभा चुनाव में हम सपा से नहीं अपनों से लड़ रहे थे। मुजफ्फरनगर में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और पूर्व विधायक संगीत सोम की जुबानी जंग सोशल मीडिया से लेकर टीवी और अखबारों में चर्चा का मुद्दा बन चुकी है।

लोकसभा चुनाव के खराब नतीजों को भुलाकर बीजेपी अब आने वाले कुछ महीनों में जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, वहां नई ऊर्जा के साथ मैदान में जाना चाहती है। इन राज्यों में हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र और दिल्ली प्रमुख हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव होने हैं।

Mamata Banerjee
टीएमसी ने विधानसभा चुनाव में भी दर्ज की जीत। (Source-MamataBanerjeeOfficial/FB)

हरियाणा में पन्ना प्रमुख और दलित मतदाताओं पर फोकस

हरियाणा में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा है। 3 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले किसानों की लगातार बढ़ रही सक्रियता की वजह से पार्टी परेशानी है क्योंकि लोकसभा चुनाव में उसके लगभग सभी उम्मीदवारों को किसानों के गुस्से का सामना करना पड़ा था।

लोकसभा चुनाव के नतीजे से सबक लेते हुए भाजपा अब हरियाणा में अपनी पन्ना प्रमुख की रणनीति पर काम करने जा रही है। पन्ना प्रमुख के तहत भाजपा वोटर लिस्ट के हर पेज में से किसी एक मतदाता को उस पन्ने का मुखिया या प्रभारी बनाती है। वोटर लिस्ट के एक पेज पर आम तौर पर लगभग 30 मतदाताओं के नाम दर्ज होते हैं।

पन्ना प्रमुख की जिम्मेदारी होती है कि वह वह उस पन्ने में जितने भी मतदाता हैं, सभी को बीजेपी के पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित करे और उनका वोट भी डलवाए।

इसके अलावा बीजेपी राज्य की सभी 6000 से ज्यादा दलित मतदाताओं वाली बस्तियों या इलाकों में भी सक्रियता बढ़ाने जा रही है। बीजेपी ने अपने अनुसूचित जाति मोर्चा के नेताओं से कहा है कि वे राज्य की सभी दलित बस्तियों में जाकर हर घर से संपर्क करें और उन्हें बीजेपी सरकार के द्वारा किए गए कामों के बारे में बताएं। हरियाणा में 20% दलित मतदाता हैं।

हेमंत की बीजेपी को चुनौती

एक और चुनावी राज्य झारखंड में भी बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव के अपने प्रदर्शन को नहीं दोहरा पाई है। राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पांचों लोकसभा सीटों पर उसे हार मिली है। 5 महीने तक जेल में रहने के बाद जब हेमंत सोरेन ने फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है तो वह जोर-शोर से बीजेपी के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।

साल एनडीए को मिली सीटें इंडिया को मिली सीटें
2019 लोकसभा चुनाव95
2024 लोकसभा चुनाव122

बीजेपी ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को चुनाव प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को सह प्रभारी बनाया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 20 जुलाई को राजधानी रांची के मोहराबादी मैदान में कार्यकर्ता सम्मेलन में पहुंचेंगे। बताया जाता है क‍ि इसमें 20000 कार्यकर्ता शाम‍िल होंगे।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन की एक वजह कार्यकर्ताओं का नाराज व सुस्‍त पड़ जाना भी बताया जा रहा है। ऐसे में अब बीजेपी ने कार्यकर्ताओं को महत्‍व और सम्‍मान देना शुरू क‍िया है। झारखंड में इससे पहले प्रभारी श‍िवराज स‍िंंह चौहान भी कार्यकर्ताओं के सम्‍मान का अभ‍ियान चला चुके हैं।

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नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ (Source- PTI)

उत्‍तर प्रदेश में भी भाजपा अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने रव‍िवार को कहा क‍ि हर नेता कार्यकर्ता और कार्यकर्ता नेता है। केशव प्रसाद मौर्य का भी यह कहना क‍ि संंगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं की नाराजगी शांत करने के मकसद से द‍िया गया बयान बताया जा रहा है।

हालांकि बीजेपी ने एनडीए की अगुवाई में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की है लेकिन जिस तरह की खबरें पार्टी के भीतर से आ रही हैं, उससे ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर जरूर पड़ा है। देखना होगा कि पार्टी किस तरह इन मुश्किलों से उबर पाती है।