ईरान में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत होने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। महिलाएं हिजाब जलाकर, अपने बालों को काटकर और सरकार विरोधी नारे लगा कर रोष व्यक्त कर रही हैं। प्रदर्शन अब आंदोलन का रूप लेता जा रहा है, जो देश-दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विरोध को दबाने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई जा रही है। प्रदर्शन के दौरान कई लोगों के मरने और घायल होने की सूचना भी आ रही है।
तीन दिनों तक कोमा में रहने के बाद शुक्रवार को अमिनी की मौत हो गई थी। उन्हें पिछले सप्ताह 13 सितंबर को धार्मिक मामलों की पुलिस (morality police) ने हिजाब ठीक से न पहनने के मामले में गिरफ्तार किया था। जबकि अमिनी के परिजनों का कहना है कि वह हमेशा ड्रेस कोड का पालन करती थीं।
पुलिस पर आरोप है कि गिरफ्तारी के बाद अमिनी को वैन में ही इतना पीटा गया कि वह डिटेंशन सेंटर में पूछताछ के दौरान गिर पड़ीं और कोमा में चली गईं। डिटेंशन सेंटर में अमिनी के भाई भी उनके साथ मौजूद थे।
महसा अमिनी पश्चिमी ईरान के कुर्दिस्तान के सक्केज शहर निवासी थीं। उनकी मौत तेहरान के बाहरी इलाके में स्थित कासरा अस्पताल में हुई। परिवार का कहना है कि अमिनी को किसी तरह की बीमारी नहीं थी। वहीं पुलिस का दावा है कि अमिनी पूछताछ के दौरान गिर गईं, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। रविवार को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने अमिनी के परिवार से बातचीत की।
हिजाब को लेकर क्या है कानून?
1979 में इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में महिलाओं पर पाबंदी बढ़ा दी गई। इस्लामी तरीकों से कपड़ों को पहनने के लिए कानून बनाया गया। 1981 से ईरान में हिजाब पहनना अनिवार्य है। नौ साल से अधिक उम्र की महिलाएं और लड़कियां कानूनी रूप से अपना सिर ढकने के लिए बाध्य हैं।
सार्वजनिक जगहों पर सभी महिलाओं को ढीले कपड़े और एक स्कार्फ पहनने का आदेश है। किसी भी उल्लंघन पर 50,000 से 500,000 रियाल तक का जुर्माना और 2 से 12 महीने तक के जेल का प्रवाधान है।
एक साल में 18 फांसी
ईरान में पिछले कुछ समय अनिवार्य हिजाब नीति का महिलाएं विरोध कर रही हैं। ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी हिजाब विरोधी आंदोलन को ‘इस्लामी समाज में नैतिक भ्रष्टाचार का एक संगठित प्रचार’ मानते हैं। रयासी को देश के रूढ़िवादी धार्मिक अभिजात वर्ग का समर्थन प्राप्त है।
अगस्त 2021 में इब्राहिम रईसी के पद संभालने के बाद से देश में ड्रेस कोड लागू कराने को लेकर सख़्ती बढ़ी है। कट्टरपंथी विचारों वाले इब्राहीम रईसी ईरान के 13वें राष्ट्रपति हैं। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने हमेशा रईसी का विरोध किया है। न्यायपालिका प्रमुख रहे रईसी पर 80 के दशक में राजनीतिक कैदियों को फांसी देने का आरोप लगता रहा है।
इंडिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रईसी के पद संभालने के बाद से अब तक करीब 18 महिलाओं को फांसी दी जा चुकी है। पिछले कुछ माह से ईरान में सख्त ड्रेस कोड को लागू कराने के लिए महिलाओं की गिरफ्तारी के मामले बढ़े हैं। कई महिलाओं ने इस बात को ईरान के सरकारी टीवी चैनल के कैमरे पर स्वीकर किया है।