ब‍िहार में व‍िकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुख‍िया मुकेश सहनी एक बार फ‍िर चर्चा में हैं। कारण राजनीत‍िक नहीं है। उनके प‍िता जीतन सहनी की हत्‍या कर दी गई है। उनका शव दरभंगा के ब‍िरौल ब्‍लॉक स्‍थ‍ित सुपौल गांव में उनके घर के कमरे में पाया गया। उनके पेट और छाती पर धारदार हथ‍ियार से कई वार क‍िए गए।

शुरुआती आशंका के मुताब‍िक चोरों द्वारा जीतन सहनी की हत्‍या की गई हो सकती है, लेक‍िन रंज‍िश और अन्‍य एंगल से भी जांच चल रही है। हत्‍या की वजह का अभी पता नहीं चला है, लेक‍िन इस पर स‍ियासत शुरू हो गई है।

मुकेश सहनी इन द‍िनों इंड‍िया गठबंधन (आरजेडी, कांग्रेस) के साथ हैं और राज्‍य में एनडीए (भाजपा, जदयू, लोजपा, हम) का शासन है। एनडीए नेता राज्‍य सरकार के बचाव में बयान दे रहे हैं तो इंड‍िया के नेता ब‍िहार में कानून-व्‍यवस्‍था ध्‍वस्‍त होने का आरोप लगा रहे हैं। 

सहनी ने मुंबई में की सेल्समैन की नौकरी

43 साल के मुकेश सहनी का राजनीत‍िक कॅर‍िअर बहुत लंबा नहीं है। लेक‍िन, करीब दस साल के राजनीत‍िक कॅर‍िअर में ही उन्‍होंने ठीक-ठाक उपलब्‍ध‍ि हास‍िल कर ली है। अपनी जात‍ि की राजनीत‍ि और मल्‍लाहों का नेता बन कर वह मंत्री तक बन गए।

मुकेश सहनी आठवीं पास हैं। 19 साल की आयु में मायागनरी मुंबई में चमकने का सपना ल‍िए वह ब‍िहार छोड़ कर गए। यहीं से उनकी ज‍िंदगी की द‍िशा बदलने की शुरुआत हुई। 

सहनी ने मुंबई में सेल्‍समैन की नौकरी से शुरुआत की। धीरे-धीरे टीवी और फ‍िल्‍म इंडस्‍ट्री में बतौर सेट ड‍िजाइनर एंट्री ले ली। मुकेश स‍िने वर्ल्‍ड प्राइवेट ल‍िम‍िटेड नाम से कंपनी बनाई। देवदास (2002) और बजरंगी भाईजान (2015) जैसी बड़ी फ‍िल्‍मों का सेट ड‍िजाइन करने का भी मौका म‍िला। उसके बाद अपने राज्‍य और समुदाय के ल‍िए कुछ करने की गरज से कुछ पहल शुरू की। 2008 में भव्‍य तरीके से छठ का आयोजन क‍िया। 2010 में सहनी समाज कल्‍याण संस्‍था बनाई। संस्‍था की बैठकों में लोगों का जुटान देख लगा क‍ि राजनीत‍ि भी की जा सकती है। 

ब‍िहार में मल्‍लाह अत‍ि प‍िछड़ा वर्ग (ईबीसी) कैटेगरी की एक जात‍ि है। ब‍िहार में ईबीसी की आबादी 30 प्रत‍िशत है और मल्‍लाह 4.5 प्रत‍िशत हैं। यह जात‍ि क‍िसी एक पार्टी के साथ बंध कर नहीं रहती है। इसल‍िए सभी पार्ट‍ियों की नजर इन पर रहती है। मुकेश सहनी मानते हैं क‍ि उनके कहने पर मल्‍लाहों का वोट क‍िसी भी पक्ष में जा सकता है। 

सहनी या न‍िषाद समुदाय से ब‍िहार में दो ही बड़े नेता हुए हैं। भगवान लाल सहनी और कैप्‍टन जय नारायण प्रसाद न‍िषाद। 

‘सन ऑफ मल्‍लाह’ के नाम से हुए मशहूर

मुकेश सहनी ‘सन ऑफ मल्‍लाह’ के नाम से मशहूर हुए और मल्‍लाहों के नेता बन गए। जल्‍द ही बड़ी पार्ट‍ियों को भी वह काम के लगने लगे। 
2015 के ब‍िहार व‍िधानसभा चुनाव में ही बीजेपी ने उनकी मदद ली और उनसे प्रचार करवाया। लेक‍िन जब सहनी समुदाय को अनुसूच‍ित जात‍ि (एससी) में शाम‍िल करने का वादा पूरा नहीं हुआ तो वह एनडीए से अलग हो गए। 

पाला बदलते रहे हैं मुकेश सहनी

मुकेश सहनी ने 2018 में व‍िकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) बनाई।

2019 के लोकसभा चुनाव में वीआईपी को राजद ने तीन सीटें लड़ने के ल‍िए दी थीं, लेक‍िन मोदी लहर में कुछ नहीं म‍िला। एनडीए 40 में से 39 सीटें जीत गया था। इसके बाद से ही आरजेडी और वीआईपी नेतृत्‍व में मनभेद भी बढ़ता गया था। 

2020 में व‍िधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर आरजेडी से बात नहीं बनी तो मुकेश सहनी बीच प्रेस कॉन्‍फ्रेंस से उठ कर चले गए थे। उसके बाद ही उन्‍होंने अपना भव‍िष्‍य एनडीए में तलाश ल‍िया था। हालांक‍ि, बाद में उन्‍होंने फ‍िर पाला बदला और आजकल इंड‍िया गठबंधन में हैं।