Atal Bihari Vajpayee: पहली बार 13 दिन और दूसरी बार 13 महीने का प्रधानमंत्री बनने के बाद जब 13 अक्टूबर 1999 को अटल बिहारी वाजपेयी पूर्ण बहुमत वाले प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने भारत-पाक संबंधों को ठीक करने का भरपूर प्रयास किया।

पाकिस्तान में दिया उनका एक चर्चित वक्तव्य है, ”पाकिस्तान फले फूले हम चाहते हैं और हम फलें-फूलें यह आप भी चाहते होंगे। इतिहास बदला जा सकता है, मगर भूगोल नहीं बदला जा सकता। आप दोस्त बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं बदल सकते, तो अच्छे पड़ोसी के नाते रहें।”

‘नोबेल पीस प्राइज के दावेदार होते अटल’

अटल बिहारी वाजपेयी का इस बात पर बहुत जोर रहता था कि भारत का संबंध उसके पड़ोसी देशों के साथ अच्छा रहे। उन्होंने पाकिस्तान के साथ रिश्तों को सुधारने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए।

प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने न सिर्फ दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू की, बल्कि खुद उसमें बैठकर पाकिस्तान भी गए। वाजपेयी अपने साथ क्रिकेटर खिलाड़ी कपिल देव, सुपरस्टार देवानंद, गीतकार जावेद अख्तर, गायक महेंद्र कपूर और अभिनेता-नेता शत्रुघ्न सिन्हा को भी ले गए थे।

पाकिस्तान की जनता ने वाजपेयी पर खूब प्यार लुटाया। यह दृश्य देख पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हंसते हुए कहा था,  ‘वाजपेयी साहब, अब तो आप पाकिस्तान में भी चुनाव जीत सकते हैं’ इस किस्से का जिक्र वरिष्ठ पत्रकार किंगशुक नाग की पुस्तक अटल बिहारी वाजपेयी: ए मैन फॉर ऑल सीजन में मिलता है।

हालांकि इस प्रयास के बाद भी पाकिस्तान की तरफ से भारत पर करगिल युद्ध थोपा गया। देश ने उसका मुकाबला किया। लेकिन वाजपेयी ने शांति स्थापित करना का प्रयास नहीं छोड़ा और कारगिल युद्ध के ज़िम्मेदार परवेज़ मुशर्रफ़ को शांति समझौता के लिए आगरा बुलाया।

वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई अपनी किताब ‘भारत के प्रधानमंत्री’ में लिखते हैं, ”अगर भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही आगरा शांति वार्ता पटरी से न उतरी होती तो अटल बिहारी वाजपेयी शांति के नोबेल सम्मान के सबसे बड़े दावेदार होते।”  

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‘देश का गुलाम हूं वेश की नहीं’

पाकिस्तान के साथ अपने सकारात्मक संबंधों को लेकर वाजपेयी ने कभी सुरक्षात्मक रवैया नहीं अपनाया। अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी लिखने वाली सागरिका घोष एक इंटरव्यू में बताती हैं, ”एक बार पाकिस्तान हाई कमिश्नर ने जिया-उल-हक की तरफ से वाजपेयी को पठान सूट प्रजेंट किया। वाजपेयी वह पठान सूट पहनकर एक डिनर पर गए। वहां लोगों ने उनसे आश्चर्य में पूछा कि अरे आपने पठान सूट पहन रखा है। उस समय वाजपेयी ने कहा कि मैं देश का गुलाम हूं वेश का नहीं।”