डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने ऐसा नियम प्रस्तावित किया है, जो अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए झटका साबित हो सकता है। यह नियम विदेशी छात्रों के लिए अतिरिक्त जांच के बिना देश में रहने की अवधि को सीमित कर सकता है। होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) द्वारा प्रस्तावित मसविदा नियम को टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक कर दिया गया है।

अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्र अधिकतर एफ-1 वीजा पर आते हैं। एफ (शैक्षणिक छात्र वीजा) और जे (एक्सचेंज विजिटर वीजा; शैक्षिक विनिमय कार्यक्रमों के लिए प्रयुक्त) श्रेणी के वीजा धारकों को एक अनिर्दिष्ट अवधि के लिए अमेरिका में प्रवेश दिया जाता है, जिसे ‘स्थिति की अवधि’ कहा जाता है। इसका मतलब है कि उनके रेकार्ड में कोई निश्चित तिथि दर्ज नहीं होती कि वे कब तक देश में रह सकते हैं।

इसके बजाय, छात्र तब तक अमेरिका में रह सकते हैं जब तक वे अपना छात्र दर्जा बनाए रखते हैं। अगर उन्हें किसी कार्यक्रम को पूरा करने के लिए और समय चाहिए, तो वे स्कूल अधिकारियों से अपने प्रवास की अवधि बढ़ाने का अनुरोध कर सकते हैं। विश्वविद्यालय अपने दस्तावेज संशोधित करके छात्रों के कार्यक्रमों की समाप्ति तिथि को आगे बढ़ा सकते हैं।

इस वीजा के तहत कर्मचारी तीन साल तक अमेरिका में रह सकते हैं

अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक एच-1बी वीजा कार्यक्रम को घोटाला करार दे चुके हैं। एक रपट के अनुसार, एच-1बी वीजा कार्यक्रम के सबसे बड़े लाभार्थियों में भारतीय नागरिक शामिल हैं। अबतक एच-1बी वीजा के लिए 70 फीसद याचिकाएं दर्ज की जा चुकी हैं। इस मामले में दूसरे स्थान पर चीन है, जहां एच-1बी वीजा के लिए 12-13 फीसद याचिकाएं भेजी जा चुकी हैं। बता दें कि एच-1बी अमेरिकी नियोक्ताओं को अस्थायी रूप से विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। इस वीजा के तहत कर्मचारी तीन साल तक अमेरिका में रह सकते हैं।

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अक्तूबर 2022 से लेकर सितंबर 2023 तक एच-1बी वीजा कार्यक्रम के तहत जारी किए गए चार लाख वीजा में से 75 फीसद भारतीयों को दिए गए। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआइएस) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इसी अवधि के दौरान अमेरिका में मौजूद शीर्ष चार भारतीय आइटी कंपनियों इंफोसिस, टीसीएस, एचसीएल और विप्रो – को एच-1बी वीजा पर काम करने के लिए लगभग 20,000 कर्मचारियों की मंजूरी मिली।

लुटनिक के अनुसार, एक सामान्य अमेरिकी यहां प्रति वर्ष 75,000 अमेरिकी डालर कमाता है, लेकिन ग्रीन कार्ड से आए एक सामान्य विदेशी यहां प्रतिवर्ष 66 अमेरिकी डालर कमाते हैं। ज्यादातर एच-1बी वीजा धारक अमेरिका में या तो ग्रीन कार्ड या फिर स्थायी निवास के लिए अप्लाई करते हैं।

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गैर-लाभकारी संस्था अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल (एआइसी) के अनुसार, एच-1बी वीजा धारकों को कम वेतन नहीं मिलता। 2021 में एक एच-1बी वीजा धारक का औसत वेतन 108,000 डालर था, जबकि सामान्य अमेरिकी कर्मचारियों के लिए यह 45,760 अमेरिकी डालर था। इसके अलावा, 2003 और 2021 के बीच, एच-1बी वीजा धारकों के औसत वेतन में 52 फीसद की वृद्धि हुई। इसी अवधि के दौरान, सभी अमेरिकी कर्मचारियों के औसत वेतन में 39 फीसद की वृद्धि हुई।

बढ़ रहा है शुल्क

छात्रों समेत गैर अप्रवासी वीजा आवेदकों को 250 अमेरिकी डालर ( यानी की 21,000 रुपए) वीजा इंटीग्रिटी शुल्क और अतिरिक्त शुल्क के रूप में 24 डालर (दो हजार रुपए) का भुगतान करना पड़ता है। इसके साथ ही दो सितंबर से अमेरिकी विदेश विभाग सभी गैर अप्रवासी वीजा आवेदकों के लिए व्यक्तिगत वीजा साक्षात्कार अनिवार्य कर देगा, जिसमें 14 साल के बच्चे से लेकर 79 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग भी शामिल होंगे। हालांकि, इन्हें पहले इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया था।