US-China Tariff War: अमेरिका और चीन के बीच में खतरनाक ट्रेड वॉर शुरू हो चुका है। पहले तो सिर्फ राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा ही चीन पर भारी भरकम टैरिफ लगाया गया था। लेकिन चीन ने दूसरे देशों की तरह समझौता नहीं किया, बातचीत की टेबल पर वह नहीं आया, उसने उल्टा अमेरिका को आंखें दिखाई, चेतावनी दी और फिर जवाबी टैरिफ भी लगा डाला। अब आर्थिक लड़ाई अमेरिका और चीन के बीच में है, लेकिन मुश्किल में पूरी दुनिया है, जानकार मान रहे हैं मंदी का दौर शुरू हो सकता है।

अमेरिका और चीन कितना व्यापार करते हैं?

अगर पिछले साल के आंकड़ों की बात करें तो अमेरिका और चीन के बीच में 585 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ है। बड़ी बात यह है कि अमेरिकाने चीन से 440 बिलियन डॉलर का आयात किया है, वहीं चीन ने सिर्फ 145 बिलियन डॉलर का। यह बताने के लिए काफी है कि अमेरिका को चीन से ज्यादा सामान मिलता है, उसकी निर्भरता कुछ ज्यादा है। अगर दूसरे शब्दों में बोलें तो वर्तमान में अमेरिका का चीन के साथ 295 बिलियन डॉलर का ट्रेड डेफिसिट चल रहा है। इसे अमेरिका की एक फीसदी अर्थव्यवस्था के बराबर कहा जा सकता है।

अमेरिका की रणनीति यह जरूर दिखाई देती है कि वो चीन के साथ अपने आयात को कुछ कम करना चाहता है, लेकिन अभी भी अंतर इतना है कि आने वाले कुछ सालों तक तो स्थिति नहीं बदलने वाली है। नीचे दी गई टेबल से पता चलता है कि अमेरिका ने चीन से कितना आयात किया है-

सालआयात
2024463 बिलियन डॉलर
2023448 बिलियन डॉलर
2022576 बिलियन डॉलर
2021542 बिलियन डॉलर
2020457 बिलियन डॉलर
2019472 बिलियन डॉलर
2018563 बिलियन डॉलर
2017526 बिलियन डॉलर
2016481 बिलियन डॉलर
2015504 बिलियन डॉलर
2014486 बिलियन डॉलर
2013459 बिलियन डॉलर
अमेरिका चीन से करता है कितना आयात (Source: US Bureau of Economic Analysis)

चीन पर टैरिफ लगाकर अमेरिका को नुकसान

अब समझने की बात यह है कि चीन पूरी दुनिया का राजा है, बात जब इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स की आती है, रॉ मटिरियल की आती है या फिर सोलर पैनल की। हाउसहोल्ड गुड्स और जूतों के कारोबार में भी चीन का कोई जवाब नहीं। अब इन्हीं सब सामानों की चीन में कई फैक्ट्रियां हैं, वहां से अमेरिका को कम दाम में काफी कुछ मिलता है। अब दिक्कत यह है कि अमेरिका को लग रहा है कि चीन से क्योंकि ये सारा सामान आता है, ऐसे में उनके वहां पर लोगों की नौकरी छिन रही है, फैक्ट्री बंद पड़ रही हैं।

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अगर राष्ट्रपति ट्रंप 145 फीसदी टैरिफ लगाकर इस पैटर्न को बदलना चाहते हैं। लेकिन चुनौती सारी इस बात की है कि अमेरिका की चीन पर जो निर्भरता है, वो इतनी जल्दी तो कम नहीं होने वाली। ऐसे में इस टैरिफ वाली कड़वी दवाई का नुकसान अभी अमेरिका को ही उठाना पड़ेगा। फिर चाहे अमेरिका में इससे बढ़ने वाली महंगाई हो या फिर टैक्स बढ़ोतरी। जेपी मॉर्गन का विश्लेषण तो कहता है कि अमेरिकी लोगों के लिए आने वाले समय में 860 बिलियन डॉलर तक की टैक्स बढ़ोतरी हो सकती है। असल में अमेरिका को अपने देश में उतनी फैक्ट्री खोलने की जरूरत पड़ेगी जिससे चीन पर निर्भरता कम, लेकिन खेल वही है- यह काम एक दिन में या कुछ महीनों में नहीं होता है।

अब अमेरिका की चुनौती क्यों ज्यादा है, यह तो पता चल गया। यहां पर जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर चीन अमेरिका से कितना आयात करता है। यह समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि इसी से चीन की अकड़ को समझा जा सकता है। जहां दूसरे देशों ने बातचीत का रास्ता चुना, चीन क्यों लड़ने पर उतारू दिखा, इसकी कहानी कुछ आंकड़ों में छिपी है।

सालआयात
2023165 बिलियन डॉलर
2022179 बिलियन डॉलर
2021180 बिलियन डॉलर
2020136 बिलियन डॉलर
2019124 बिलियन डॉलर
2018156 बिलियन डॉलर
2017154 बिलियन डॉलर
2016135 बिलियन डॉलर
2015151 बिलियन डॉलर
2014160 बिलियन डॉलर
2013153 बिलियन डॉलर
2012134 बिलियन डॉलर
चीन अमेरिका से क्या आयात करता है (Source: US Bureau of Economic Analysis)

अब ऊपर दी गई टेबल से पता चलता है कि चीन, अमेरिका से आयात तो करता है, लेकिन उतना नहीं जितना अमेरिका। यह एक बड़ा कारण कि चीन क्यों ज्यादा आक्रमक रुख अपना सकता है। जानकार यह भी मानते हैं कि अगर चीन की सख्ती से जरूरी सामानों की सप्लाई चेन बाधित हो जाती है, उस स्थिति में अमेरिका को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा। चीन की चालाकी को इस बात से भी समझा जा सकता है कि उसके निर्माता अब उन देशों का रुख कर रहे हैं जहां पर अमेरिकी ड्यूटी काफी कम चल रही है। उदाहरण के लिए वियतनाम और कंबोडिया जैसे देशों से व्यापार बढ़ाने की कोशिश है।

अब नुकसान तो चीन को भी होना है, लेकिन अमेरिका ज्यादा घाटे में जा सकता है। ऐसे में अगर टैरिफ का खेल ज्यादा लंबे समय तक चलेगा, हाथ अमेरिका के ही जलेंगे, वहां के लोग ही आक्रोशित हो सकते हैं।