हाल ही में UPSC चेयरमैन मनोज सोनी ने पद से इस्तीफा दे दिया। सोनी ने इस्तीफे के पीछे की वजह ‘निजी कारणों’ को बताया। उनका कार्यकाल साल 2029 में ख़त्म होना था, लेकिन मनोज सोनी ने पहले ही त्यागपत्र दे दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले मनोज सोनी 28 जून 2017 को यूपीएससी के सदस्य बने थे। वह 16 मई 2023 को इसके अध्यक्ष बनाए गए थे।

केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “सोनी ने लगभग एक महीने पहले यूपीएससी प्रमुख के पद से अपना इस्तीफा दे दिया था और उनके 31 जुलाई तक कार्यमुक्त होने की उम्मीद है।” अधिकारी ने दावा किया, “सोनी का इस्तीफा आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर से जुड़े मौजूदा विवाद से बिल्कुल भी जुड़ा नहीं है और यह केवल एक संयोग है।”

मनोज सोनी ने अचानक दिया पद से इस्तीफा

मनोज सोनी महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय (एमएसयू) बड़ौदा (वडोदरा) के छात्र रहे हैं। उन्होंने 1980 के दशक में राजनीति विज्ञान में बीए और एमए किया था। एमएसयू में उनके कुछ पूर्व सहपाठियों का कहना है कि उन्हें कुछ समय से महसूस हो रहा था कि डॉ. मनोज सोनी संघ लोक सेवा आयोग में अपना कार्यकाल पूरा नहीं करेंगे, हालांकि उनका अचानक पद से इस्तीफा आश्चर्यजनक रहा।

कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था

मुंबई में जन्मे सोनी ने कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था जिसके बाद वह और उनकी मां जयश्रीबेन गैर-लाभकारी संगठन अनुपम मिशन में शामिल हो गए। इस म‍िशन के प्रमुख जशभाई पटेल को वहां “साहब” के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि सोनी साल 2020 में योगी बन गए थे। सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अब उनके मिशन में लौटने की उम्मीद है। आगे चल कर वह जशभाई के उत्तराधिकारी के रूप में इस म‍िशन का नेतृत्व कर सकते हैं।

सोनी ने 1991 में आनंद जिले में सरदार पटेल विश्वविद्यालय (एसपीयू) में राजनीति विज्ञान विभाग में पढ़ाना शुरू किया। एसपीयू वेबसाइट के मुताबिक साल 2016 तक उन्होंने वहां पढ़ाया।

एसपीयू में यूजीसी द्वारा वित्त पोषित सरदार वल्लभभाई केंद्र में 2002 में हुए गुजरात दंगों के तुरंत बाद उनकी देखरेख में एक संगोष्ठी आयोजित की गई थी। संगोष्ठी का टाइटल था “तीसरी जगह की तलाश में: गोधरा से परे” नरसंहार और उसके परिणाम”। संगोष्ठी में गुजराती में दिए गए भाषणों में हिंदुओं को सही ठहराया गया था। भाषण का अंग्रेजी में अनुवाद सोनी, सचिव स्वर्गीय प्रोफेसर आरसी देसाई और तत्कालीन प्रोफेसर स्वर्गीय जावेद हुसैन खान द्वारा कंपाइल किया गया था।

जब सोनी आनंदीबेन पटेल के करीबी बन गए

सूत्रों का कहना है कि यही वह समय था जब सोनी आनंदीबेन पटेल के करीबी बन गए। आनंदी उस समय मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार में शिक्षा मंत्री थीं।

सोनी 40 साल की उम्र में एमएसयू के सबसे युवा कुलपति बने

मनोज सोनी 2005 में 40 साल की उम्र में एमएसयू के सबसे युवा कुलपति बने थे। एक वरिष्ठ प्रोफेसर कहते हैं, ”सोनी उन लोगों में से थे जिन्हें उस समय मोदी सरकार के समर्थक के रूप में देखा जाता था।” लेकिन, वीसी के रूप में उनके कार्यकाल में 2007 में एमएसयू में एक बड़ा विवाद हुआ जब आंध्र प्रदेश के फाइन आर्ट्स के एक छात्र, चंद्र मोहन पर आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। हिंदू और ईसाई कार्यकर्ताओं ने उनकी कलाकृति के प्रदर्शन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इससे उनके देवताओं का अपमान हुआ है।

मोहन का बचाव करने वाले फाइन आर्ट्स के तत्कालीन कार्यवाहक डीन शिवाजी पणिक्कर को निलंबित कर दिया गया था। एमएसयू के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ”विश्वविद्यालय में कई लोग पणिक्कर को निलंबित करने के सोनी के फैसले से नाखुश थे और शायद यही कारण था कि 2008 में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें वीसी के रूप में दूसरा कार्यकाल नहीं दिया गया।”

मनोज सोनी को अहमदाबाद स्थित बाबा साहेब अम्बेडकर ओपन यूनिवर्सिटी (बीएओयू) के वीसी के रूप में दो बार नियुक्त किया गया था। एमएसयू के राजनीति विज्ञान विभाग में मनोज सोनी के टीचर रहे, सेवानिवृत्त प्रोफेसर एचसी शुकुल ने याद किया कि एक बार जब उनके घर का कुक नहीं आया तो सोनी उनके परिवार के लिए हॉस्टल मेस से खाना लाये थे। प्रोफेसर कहते हैं कि वह कड़ी मेहनत से ऊपर उठा है।

सहयोगी भी करते हैं तारीफ

एमएसयू राजनीति विज्ञान विभाग के वर्तमान प्रमुख प्रोफेसर अमित ढोलकिया कहते हैं, “सोनी अच्छे इंसान हैं और वीसी (एमएसयू) के रूप में उनकी ईमानदारी सवालों से परे थी।” ढोलकिया उन्हें ‘टेक सेवी’ कहते हैं। वह कहते हैं, ” जब वह बीएओयू में वीसी थे, तभी टैबलेट लेकर चलते थे। जबक‍ि उस समय टेक्नोलॉजी इतनी लोकप्रिय नहीं थी। उन्होंने टीचिंग के लिए ए-वी टूल्‍स के जर‍िए ऑडियो-विजुअल कंटेंट का उपयोग शुरू किया।”

2008 में मनोज सोनी को गुजरात विधानमंडल द्वारा स्थापित जस्टिस आरजे शाह फीस नियामक समिति का सदस्य नामित किया गया था, जिसका उद्देश्य राज्य में अनुदान प्राप्त नहीं करने वाले पेशेवर संस्थानों की फीस संरचना को रेगुलेट करना था।

सोनी का डॉक्टरल रिसर्च 1995 में पूरा हुआ था जो “पोस्ट-कोल्ड वॉर इंटरनेशनल सिस्टमिक ट्रांजिशन एंड इंडो-यूएस रिलेशंस” पर था जिसका मार्गदर्शन प्रोफेसर हरबंस पटेल ने एसपीयू में किया था। बाद में इसको “अंडरस्टैंडिंग द ग्लोबल पॉलिटिकल अर्थक्वेक” नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया था।

“ऑनरेरी मेयर-प्रेसिडेंट ऑफ द सिटी ऑफ बैटन रूज” के सम्मान से किया गया सम्मानित

यूपीएससी के अनुसार साल 2013 में मनोज सोनी को लुइसियाना, यूएसए के बैटन रूज के मेयर-प्रेसिडेंट द्वारा “समाज के वंचित वर्गों को आईटी साक्षरता से सशक्त बनाने में उनके नेतृत्व” के लिए “ऑनरेरी मेयर-प्रेसिडेंट ऑफ द सिटी ऑफ बैटन रूज” के सम्मान से सम्मानित किया गया था।

मनोज सोनी की पत्नी का नाम प्रथा है। वह भी एसपीयू से ही पढ़ी हैं। वह नाद‍ियाड के एक कॉलेज में लाइफ साइंस पढ़ाती हैं। उनके बेटे गांधीनगर में लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं।