Akhilesh Yadav strategy UP Bypolls: उत्तर प्रदेश में 9 सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनाव में लड़ाई बेहद जोरदार हो गई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों से पता चला था कि मुस्लिम समुदाय के बड़े तबके का समर्थन समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन को मिला था और अखिलेश यादव चाहते हैं कि इस उपचुनाव में भी इस समर्थन को बरकरार रखा जा सके। दूसरी ओर बीजेपी का फोकस हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने पर है।
रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुस्लिम बहुल कुंदरकी विधानसभा सीट पर चुनावी रैली की तो उसके तुरंत बाद वह सपा के दिग्गज नेता और उत्तर प्रदेश की राजनीति के बड़े मुस्लिम चेहरे आजम खान के परिवार से मिलने उनके घर पहुंच गए। इस दौरान उन्होंने खान के परिवार को भरोसा दिलाया कि अगर समाजवादी पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव में यूपी की सत्ता में लौटी तो आजम खान और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज किए गए सभी मुकदमों को वापस ले लिया जाएगा।
अखिलेश ने कहा कि आजम खान और उनके परिवार को झूठे मुकदमों में फंसाया गया है।
बंटेंगे तो कटेंगे का जवाब पीडीए से
कुंदरकी में अपनी चुनावी रैली के दौरान अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से दिए गए बंटेंगे तो कटेंगे के नारे पर हमला बोला और कहा कि पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक तबका हमेशा उनके साथ रहेगा। उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार पर आरोप लगाया कि इस सरकार ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और रामपुर में मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय जैसे बड़े इदारों को निशाना बनाया है। बताना होगा कि मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की स्थापना आजम खान ने ही की थी।
तीन सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम वोटों की बड़ी अहमियत है। इस तरह उपुचनाव वाली 9 सीटों में से तीन सीटें ऐसी हैं, जहां पर मुस्लिम मतदाता ताकतवर हैं, इनमें मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर, कानपुर की सीतामऊ और मुरादाबाद जिले की कुंदरकी सीट है। मीरापुर में 40%, सीसामऊ में 45% और कुंदरकी में 65% मुस्लिम मतदाता हैं। इसके अलावा भी बाकी सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन सपा हासिल करना चाहती है।
कुछ दिन पहले नगीना से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद भी आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम से मिलने जेल में गए थे। इससे पता चलता है कि आजम खान की मुस्लिम मतदाताओं के बीच अभी भी एक बड़ी सियासी हैसियत है।
पहले भी आजम खान से मिले थे अखिलेश
आजम खान समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के भरोसेमंद लोगों में से एक थे लेकिन पिछले कुछ सालों में वह लंबे वक्त तक जेल में रहे हैं और ऐसा लगता है कि समाजवादी पार्टी में भी हाशिए पर हैं। हालांकि अखिलेश यादव आजम खान की सियासी ताकत को पहचानते हैं इसलिए लोकसभा चुनाव के दौरान भी वह सीतापुर जेल में आजम खान से मिलने गए थे और इस बार भी उपचुनाव के दौरान उन्होंने आजम खान के परिवार से मुलाकात की है।
सपा को क्या है डर?
सपा को इस बात का डर है कि इस उपचुनाव में बसपा, एआईएमआईएम और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) मुस्लिम मतों में सेंध लगाकर उसकी राह मुश्किल कर सकते हैं और ऐसा हुआ तो मुस्लिम मतों का बंटवारा होगा और इसका सीधा नुकसान सपा को हो सकता है। इसके लिए अखिलेश ने कमर कस ली है।
निश्चित रूप से सपा नहीं चाहती कि उपचुनाव में मुस्लिम मतों का बंटवारा हो इसलिए अखिलेश यादव हालात को भांपते हुए आजम खान के परिवार के पास पहुंचे। उपचुनाव में सपा के लिए एक फायदेमंद बात यह है कि कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ रही है ऐसी स्थिति में कांग्रेस को मिलने वाला वोट भी सपा के खाते में जाने की संभावना जताई जा रही है।
अखिलेश यादव की पत्नी और सांसद डिंपल यादव ने भी मुस्लिम समुदाय के पक्ष में बयान दिया है। डिंपल ने महाकुंभ के मेले में गैर हिंदुओं को दुकान नहीं लगाने की अनुमति देने का विरोध किया। डिंपल यादव ने कहा कि इस तरह के बयान देश की गंगा-जमुनी तहजीब को चोट पहुंचाते हैं और ऐसे लोग नहीं चाहते कि देश संविधान के मुताबिक चले। याद दिलाना होगा कि अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों ने कहा था कि महाकुंभ के मेला क्षेत्र में गैर हिंदुओं को दुकान लगाने की अनुमति नहीं दी जाए।
लोकसभा चुनाव में आगे रहा इंडिया गठबंधन
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजे जिस तरह इंडिया गठबंधन के पक्ष में रहे थे और इसमें भी सपा ने बड़ी कामयाबी हासिल की थी, उसके बाद सपा उपचुनाव में भी अपनी बढ़त को बरकरार रखना चाहती है जबकि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद आक्रामक हिंदुत्व की पिच पर उतरने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बंटेंगे तो कटेंगे के नारे के जरिए देश में सियासी बहस को रफ्तार दी है और उनका यह नारा उत्तर प्रदेश में ही नहीं दूसरे चुनावी राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड में भी गूंज रहा है।
2024 में यूपी में हुआ बीजेपी को बड़ा नुकसान
| राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
| बीजेपी | 33 | 62 |
| सपा | 37 | 5 |
| कांग्रेस | 6 | 1 |
| बीएसपी | 0 | 10 |
| रालोद | 2 | – |
| अपना दल (एस) | 1 | 2 |
| आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) | 1 | – |
हिंदू मतों को एकजुट करना चाहती है बीजेपी
योगी आदित्यनाथ के इस नारे का समर्थन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी किया है। बीजेपी की पूरी कोशिश है कि न सिर्फ उत्तर प्रदेश के उपचुनाव बल्कि महाराष्ट्र और झारखंड में भी हिंदू मतों का बंटवारा न हो। उत्तर प्रदेश के लिए इसे देखा जाए तो बीजेपी किसी भी सूरत में हिंदू मतों का बंटवारा नहीं चाहती इसलिए प्रधानमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे से आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक है तो सेफ है का नारा दिया है। कुल मिलाकर इस उपचुनाव में सीधी लड़ाई हिंदू और मुस्लिम मतों के बंटवारे को रोकने की है।
बीजेपी ने उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए पूरी सरकार, संगठन, फ्रंटल संगठनों सहित तमाम पदाधिकारियों को चुनाव मैदान में उतारा हुआ है और पार्टी लोकसभा चुनाव में मिली हार के कलंक को धोना चाहती है। आने वाले दिनों में यह लड़ाई और तेज होगी और देखना होगा कि क्या अखिलेश यादव मुस्लिम समुदाय का समर्थन अपने साथ बरकरार रख पाएंगे?
उत्तर प्रदेश में इन सभी 9 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 नवंबर को चुनाव के नतीजे जाएंगे।
