BSP Azad Samaj Party Dalit Vote Politics: 22% दलित मतदाताओं वाले उत्तर प्रदेश में इस समुदाय का बड़ा नेता कौन है, इसे लेकर बहस उत्तर प्रदेश के उपचुनाव के नतीजे के बाद फिर से शुरू हुई है। इस उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बसपा की पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए सभी 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। उत्तर भारत की दलित राजनीति में तेजी से कदम बढ़ा रहे नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी 8 सीटों पर अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया था। ऐसे में विधानसभा उपचुनाव का विश्लेषण करके देखना जरूरी होगा कि इस उपचुनाव में दलित मतदाताओं ने किस नेता को ज्यादा पसंद किया है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में 9 सीटों के लिए हुए उपचुनाव में राज्य में सरकार चला रही एनडीए का प्रदर्शन शानदार रहा। 9 में से 7 सीटें एनडीए के खाते में गई। इसमें से भी 6 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की और एक सीट राष्ट्रीय लोकदल के खाते में गई है। दो सीटों- करहल और सीसामऊ पर सपा को जीत मिली है।

खबर में आगे बढ़ने से पहले थोड़ा बसपा और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के इतिहास के बारे में जानते हैं।

मायावती को कांशीराम ने बढ़ाया था राजनीति में आगे

बसपा का गठन 1984 में कांशीराम ने किया था। कांशीराम ने बसपा के काफिले को आगे बढ़ाया और उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तर भारत की दलित राजनीति में भी यह बहुत बड़ा मौका था, जब 1995 में एक दलित समुदाय से आने वालीं मायावती भारत के सबसे बड़े सूबे की मुख्यमंत्री बनीं। इसके पीछे कांशीराम ही थे।

इसके बाद वह 1997 में भी एक छोटे कार्यकाल के लिए और 2002 से 2003 तक राज्य की मुख्यमंत्री बनीं। 2007 में पहली बार बसपा ने अकेले दम पर उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई।

लोकसभा चुनाव में बसपा का वोट शेयर और सीटें

सालबसपा को मिली सीट बसपा को मिले वोट (प्रतिशत में)
198932.1
199131.8
1996114.0
199854.7
1999144.2
2004195.3
2009216.2
201404.2
2019103.7
2024 0 2.04

उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बसपा का ग्राफ लगातार गिरता गया है। पार्टी को इन चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को सपा और रालोद के साथ गठबंधन में रहते हुए 10 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन मायावती के इस गठबंधन से बाहर निकलने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में उनका आंकड़ा शून्य हो गया। 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा को सिर्फ एक सीट मिली।

यूपी में बसपा का वोट शेयर

साल वोट शेयर (प्रतिशत में)
2007 व‍िधानसभा चुनाव30.43
2012 व‍िधानसभा चुनाव25.91
2014 लोकसभा चुनाव 19.60
2017 व‍िधानसभा चुनाव22.23
2019 लोकसभा चुनाव 19.43
2022 व‍िधानसभा चुनाव12.8
2024 लोकसभा चुनाव 9.39

अब बात करते हैं नगीना सांसद चंद्रशेखर की।

चंद्रशेखर आजाद ने 2015 में भीम आर्मी का गठन किया था। वह 2017 में तब पहली बार सुर्खियों में आए थे जब उन्हें सहारनपुर जिले के शब्बीरपुर गांव में हुई जातीय संघर्ष की घटनाओं को लेकर गिरफ्तार किया गया था। उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार द्वारा उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया था। जेल से निकलने के बाद चंद्रशेखर दलित युवाओं में लोकप्रिय हो गए थे। 

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महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी की अगुवाई में महायुति को मिली बड़ी जीत। (Source-PTI)

चंद्रशेखर ने बनाई पार्टी, डेढ़ लाख वोटों से चुनाव जीते

चंद्रशेखर आजाद ने पिछले कुछ ही सालों में सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की है। आजाद ने बहुजन राजनीति के रास्ते पर चलते हुए लगातार अपने सियासी जनाधार को बढ़ाने की कोशिश की है। 2022 में उन्होंने आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) बनाई।

बसपा के संस्थापक कांशीराम को अपना आदर्श मानने वाले चंद्रशेखर ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से बड़ी जीत दर्ज कर राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान कर दिया था। उन्हें डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से जीत मिली थी। इस जीत के बाद से ही आजाद की पार्टी के कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं।

चंद्रशेखर ने हाल ही में हरियाणा का विधानसभा चुनाव जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर लड़ा था। इससे पहले उनकी पार्टी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी विधानसभा का चुनाव लड़ा था।

उत्तर प्रदेश में दलित मतदाताओं की संख्या 22% के आसपास है जिसमें लगभग 12% जाटव हैं। चंद्रशेखर और मायावती दोनों इसी समुदाय से आते हैं। बसपा दलित मतों के अलावा सर्वसमाज की राजनीति भी करती है। पार्टी ने 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के दम पर उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी। जबकि चंद्रेशखर ने मूल रूप से दलित-आदिवासी-पिछड़ा-अल्पसंख्यक जिसे बहुजन राजनीति कहा जाता है, उसे अपना आधार बनाया है।

अब बात करते हैं उत्तर प्रदेश उपचुनाव के नतीजों की।

विधानसभा सीट का नाम बसपा को मिले वोट आसपा (कांशीराम) को मिले वोट
कटेहरी416475152 
मझवां34927 3529
मीरापुर324822661
सीसामऊ1410 
करहल8409 2499 
फूलपुर20342 4449 
खैर13365 8269 
कुंदरकी109914201
गाजियाबाद10736 6304 

बसपा चार दशक से राजनीति कर रही है जबकि आजाद समाज पार्टी को बने अभी 3 साल भी पूरे नहीं हुए हैं। चंद्रशेखर आजाद की अगुवाई में इस पार्टी ने उत्तर प्रदेश में तेजी से अपनी पहचान बनाई है। चंद्रशेखर ने उत्तर प्रदेश से बाहर निकलकर दूसरे राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन कर अन्य राज्यों में चुनाव लड़ा है और इस तरह अपनी पार्टी को लोगों के बीच पहुंचाने की कोशिश की है।

BJP Ramveer Singh wins in Kundarki bypoll 2024,
कुंदरकी में बीजेपी की जीत की है जोरदार चर्चा। (Source-FB)

दो सीटों पर बसपा को पीछे छोड़ा

उपचुनाव के नतीजों में मीरापुर और कुंदरकी विधानसभा सीट पर आसपा को अच्छे-खासे वोट मिले हैं और उसने इन दोनों सीटों पर बसपा को काफी पीछे छोड़ दिया है। इससे यह कहा जा सकता है कि उपचुनाव के नतीजे बीएसपी के लिए खतरे की घंटी हैं और दलित मतों के साथ ही बहुजन राजनीति में भी चंद्रशेखर आजाद मायावती के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं। 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए चंद्रशेखर आजाद अपनी पार्टी को तैयार कर रहे हैं जबकि बसपा लगातार मिल रही हार से नहीं उबर पा रही है।