Uddhav Thackeray Shiv Sena (UBT) Konkan 2024: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में सबसे अहम इलाका कोंकण का है। कोंकण में विधानसभा की 75 सीटें आती हैं और यहां पर चुनावी मुकाबला इसलिए बेहद दिलचस्प है क्योंकि इस इलाके में शिवसेना का बड़ा असर रहा है। लेकिन 2022 में शिवसेना में हुए विभाजन के बाद इस बार शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे की यहां राजनीतिक परीक्षा होनी है। कोंकण में लोकसभा चुनाव के नतीजों में महायुति ने महा विकास अघाड़ी (MVA) से ज्यादा सीटें जीती थी।

कोंकण में कौन से इलाके आते हैं?

कोंकण में दो प्रमुख इलाके आते हैं। मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), और पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग के ग्रामीण जिले। एमएमआर महाराष्ट्र का सबसे तेजी से विकसित होने वाला और शहरी इलाका है वहीं दूसरे हिस्से में अधिकतर ग्रामीण इलाके आते हैं और यहां पानी, बिजली और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाएं भी बहुत बेहतर नहीं हैं। बेरोजगारी भी इस इलाके में एक बड़ा मुद्दा है।

यहां प्रस्तावित रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (आरआरपीसीएल) परियोजना भी एक बड़ा मुद्दा है। महायुति (बीजेपी-शिवसेना (शिंदे)-एनसीपी(अजित पवार) सरकार इस परियोजना को जमीन पर उतारना चाहती है जबकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना परियोजना का विरोध करने वालों के साथ है।

‘मराठी मानुष’ के नारे से बढ़ा शिवसेना का प्रभाव

80 के दशक में कोंकण का इलाका कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था लेकिन शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने जब ‘भूमिपुत्र’ और ‘मराठी मानुष’ का नारा दिया तो इस इलाके का राजनीतिक माहौल पूरी तरह से बदल गया। एक वक्त में बाला साहेब ठाकरे के करीबी रहे और बीजेपी सांसद नारायण राणे भी इसी इलाके से आते हैं। नारायण राणे के शिवसेना छोड़ने के बाद भी शिवसेना को यहां अच्छा समर्थन मिलता रहा लेकिन इस बार शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के सामने बड़ा सवाल यह है कि क्या टूट के बाद भी वह शिवसेना के इस गढ़ में अपनी पार्टी को जीत दिला पाएंगे?

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2019 में क्या रहे थे नतीजे?

2019 के विधानसभा चुनाव में अविभाजित शिवसेना ने यहां 29 सीटें जीती थी और बीजेपी को 27 सीटों पर जीत मिली थी। बीजेपी-शिवसेना के गठबंधन की वजह से ही इस इलाके में कांग्रेस और एनसीपी को काफी पीछे रहना पड़ा था और इस गठबंधन को 15 सीटें भी नहीं मिल पाई थीं।

2019 के नतीजे से पता चलता है कि यहां पर शिवसेना-बीजेपी काफी ताकतवर थीं लेकिन शिवसेना और एनसीपी में हुई टूट के बाद होने जा रहे पहले विधानसभा चुनाव में यहां के मतदाता किसका साथ देंगे, इसे देखना दिलचस्प रहेगा।

कोंकण में आगे रहा था महायुति गठबंधन

2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे पूरे महाराष्ट्र के लिहाज से MVA के लिए अच्छे और महायुति के लिए खराब रहे थे लेकिन कोंकण में महायुति आगे रही थी। यहां की 12 लोकसभा सीटों में से शिवसेना (शिंदे), बीजेपी और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने सात सीटें जीती थी जबकि MVA को 5 सीटों पर जीत मिली थी। इस तरह महायुति गठबंधन यहां आगे रहा था।

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अगर कोंकण लोकसभा क्षेत्र के चुनाव नतीजों पर विधानसभा सीटों के हिसाब से नजर डालें तो इससे पता चलता है कि महायुति को 48 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी जबकि MVA सिर्फ 27 विधानसभा सीटों पर आगे रहा।

एकनाथ शिंदे के साथ चले गए बड़े नेता

बालासाहेब ठाकरे के जीवित रहने के दौरान शिवसेना के गढ़ रहे कोंकण के इलाके में फिर से अपनी पार्टी को जिंदा कर पाना शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि शिवसेना में हुई टूट के बाद यहां के कई दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे के साथ चले गए और इस इलाके में नया नेतृत्व खड़ा कर पाना शिवसेना (यूबीटी) के लिए बेहद कठिन हो गया है। उद्धव ठाकरे लगातार बीजेपी पर बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को तोड़ने और इसे कमजोर करने का आरोप लगा चुके हैं। लोकसभा चुनाव में उन्हें इससे पैदा हुई सहानुभूति का फायदा मिला था।

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपनी शिवसेना को असली शिवसेना बताते हैं। शिंदे का कहना है कि उनकी पार्टी बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों पर चलती है।

बीजेपी भी इस इलाके में काफी मेहनत कर रही है। रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के कंधों पर यहां बड़ी जिम्मेदारी है। शिंदे गुट के नेता और उद्योग मंत्री उदय सामंत और उनके बड़े भाई भैया सामंत रत्नागिरी में आने वाली सीटों से चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा ठाणे शहर में भी शिवसेना के दोनों गुटों के बीच भिड़ंत देखने को मिलेगी।