अलिंद चौहान
पाकिस्तान के कायद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म 25 दिसंबर, 1876 को हुआ था। जिन्ना के उतार-चढ़ाव भरे राजनीतिक जीवन तो खूब विश्लेषण हुआ है। लेकिन उनके निजी जीवन, विशेषकर उनके जीवन में शामिल महिलाओं के बारे में बहुत कुछ कम लिखा गया है। जिन्ना ने दो बार शादी की। उनकी एक बेटी भी थी, जो उनकी एकमात्र संतान थी।
पाकिस्तानी-अमेरिकी विद्वान और पूर्व राजनयिक अकबर एस अहमद की ‘जिन्ना, पाकिस्तान एंड इस्लामिक आइडेंटिटी: द सर्च फॉर सलादीन’ के अनुसार, वह अपनी दूसरी पत्नी रतनबाई उर्फ रूटी और अपनी बेटी दीना के बहुत करीब थे। इस आर्टिकल में हम इन्हीं दो महिलाओं के बारे में जानेंगे। साथ ही यह समझने की कोशिश करेंगे कि जिन्ना के साथ उनका रिश्ता कैसा था।
रतनबाई जिन्ना
अठारह वर्षीय पारसी महिला रतनबाई ने 1918 की शुरुआत में अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध जिन्ना से शादी की थी। 42 वर्षीय जिन्ना एक ‘आदर्श प्रेमी’ के मानक पर फिट नहीं बैठते थे। वह न केवल रतनबाई के पिता की उम्र के थे बल्कि एक अलग धर्म से भी थे।
अहमद ने अपनी किताब में लिखा है, “सर दिनशॉ पेटिट (रतनबाई के पिता) गुस्सा हो गए थे जब उनके दोस्त जिन्ना ने उनकी बेटी को प्रपोज किया था। यह स्वाभाविक भी था। पारसी लोग धनी थे। उनका समुदाय बहुत एलीट था। बंबई की लाइफस्टाइल को वे प्रभावित करते थे।… और रुटी को अपने लोगों में से ही किसी युवा चुनने का मौका मिल सकता था।”
‘बॉम्बे की फूल’ के नाम से मशहूर रतनबाई एक जिद्दी महिला, उत्साही पाठक और कविता और ललित कला की प्रेमी थीं। उन्होंने बंबई में वेश्यालयों को खत्म करने और पशु क्रूरता के खिलाफ अभियान चलाया था।
अपनी शादी के एक साल के भीतर, जिन्ना 1919 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष बन गए। रतनबाई मुस्लिम लीग की सार्वजनिक बैठकों में जिन्ना के साथ मंच साझा करने लगीं। उनकी पश्चिमी पोशाक अक्सर ऐसी सभाओं में विवाद पैदा कर देती थी।

ऐसी ही एक घटना 1924 में बॉम्बे में आयोजित मुस्लिम लीग के वार्षिक सत्र में घटी। साद एस खान और सारा एस खान ने अपनी किताब, ‘रूटी जिन्ना: द वूमन हू स्टूड डिफिएंट’ में लिखा है, “कुछ लोगों ने आयोजकों से पूछा कि वह महिला कौन है। जिन्ना के राजनीतिक सचिव एमसी चागला को आपत्तिकर्ताओं को बताना पड़ा कि वह मुस्लिम लीग के अध्यक्ष की पत्नी हैं, इसलिए बेहतर होगा कि वे अपनी राय अपने तक ही सीमित रखें।”
यह घटना इस तथ्य का संकेत है कि श्रीमती जिन्ना सिर्फ बाउंडरी के बाहर खड़े होकर जयकार करने वाली एक निष्क्रिय साथी नहीं थीं, बल्कि सुर्खियों में जगह बनाने वाली थीं।
रतनबाई और जिन्ना अपनी शादी के कुछ साल बाद अलग हो गए। वे अलग हो गए क्योंकि जिन्ना दूर हो गए और अपने राजनीतिक जीवन में उलझ गए। हालांकि, जब रतनबाई बीमार पड़ीं तो यह जोड़ा एक बार फिर एकजुट हो गया। रतनबाई की मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं है। उनकी मृत्यु 1929 में 29 वर्ष की आयु में हुई थी।
अहमद ने लिखा, “रूटी की मौत ने जिन्ना को ‘तबाह’ कर दिया… जब रूटी के शव को कब्र में डाला गया, तो जिन्ना एक बच्चे की तरह रोए, खुद पर उनका काबू न रहा… इसके बाद वह कभी पहले जैसे नहीं हो पाए; उनके भीतर कुछ खत्म सा गया।”
दीना वाडिया
दीना सिर्फ नौ साल की थीं जब उनकी मां रतनबाई का निधन हो गया। उसे पालने में मदद करने के लिए, जिन्ना ने अपनी बहन फातिमा को बुलाया और तीनों कुछ समय के लिए लंदन चले गए। इन वर्षों के दौरान दीना और जिन्ना एक-दूसरे के करीब आये।
हेक्टर बोलिथो ने ‘जिन्ना: क्रिएटर ऑफ पाकिस्तान (1954)’ में लिखा है, “भारत की तनावपूर्ण राजनीति से दूर एक तनाव मुक्त वातावरण ने पिता और बेटी को एक मधुर रिश्ता बनाने में मदद की।” बोलिथो ने लिखा, “वह अकेले ही अपने पिता को चिढ़ा सकती थी – एक ऐसा स्नेहपूर्ण व्यवहार जिसकी उन्हें पूरी जिंदगी कमी रही थी”
हालांकि, उनका रिश्ता तब ख़राब हो गया जब दीना ने एक ईसाई, जो कभी पारसी था, नेविल वाडिया से शादी करने की योजना बनाई। जिन्ना ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। अहमद ने अपनी किताब में लिखा है कि जिन्ना ने उन्हें बताया था कि भारत में लाखों मुस्लिम लड़के हैं, वह किसी को भी चुन सकती हैं। दीना ने जवाब दिया कि लाखों मुस्लिम लड़कियां थीं और वह उनमें से एक से शादी कर सकता थे, फिर उन्होंने उनकी मां से शादी क्यों की?
आखिरकार, दीना ने 1938 में नेविल से शादी कर ली। इस घटना के बाद जिन्ना ने अपनी बेटी को लगभग त्याग दिया। पिता और बेटी बाद के वर्षों में संपर्क में रहे। एक दूसरे को पत्र भी लिखा। लेकिन फिर बंटवारा हो गया।
जिन्ना ने दीना को बंबई छोड़, पाकिस्तान में आकर रहने को कहा। लेकिन दीना ने अपने पति और बच्चों के साथ भारत में ही रहने का फैसला किया। इस तरह वह अपने पिता को फिर कभी नहीं देख पाईं क्योंकि बंटवारे के अगले ही वर्ष जिन्ना का निधन हो गया।
अपने बाद के वर्षों में दीना ज्यादातर न्यूयॉर्क में रहीं। वह साल में कभी एक बार अपने परिवार और दोस्तों से मिलने के लिए मुंबई आती थी। मालाबार हिल, जिसे आमतौर पर जिन्ना हाउस कहा जाता है, उसे लेकर एक अदालती मामले में भी उलझ गईं। जिन्ना हाउस को यूरोपीय शैली में वास्तुकार क्लाउड बैटली ने डिजाइन किया गया। 1930 के दशक के अंत में जिन्ना उस घर में रहते थे। दीना का 98 वर्ष की आयु में 2 नवंबर, 2017 को न्यूयॉर्क स्थित उनके घर पर निधन हो गया।