बार और बेंच के बीच तकरार कोई नई बात नहीं है। 1980 के दशक का एक मामला खासा चर्चित है। तब एक वकील और सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पी.एस. कैलासम (P.S. Kailasam) के बीच इतनी तकरार बढ़ गई थी कि 6 जज इस्तीफे की जिद पर अड़ गए थे। तत्कालीन चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ (Former CJI Y. V. Chandrachud) ने किसी तरह मामले को संभाला था और दोनों में सुलह कराई थी।
किस बात पर शुरू हुई थी तकरार?
मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस पी.एस. कैलासम (P.S. Kailasam) 3 जनवरी 1977 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए। एक दिन जस्टिस कैलासम एसएलपी से जुड़ी एक अर्जी पर सुनवाई कर रहे थे। दिग्गज एडवोकेट एलएम सिंघवी उस एसएलपी को स्वीकार करने के लिए दलीलें दे रहे थे। बॉम्बे हाईकोर्ट के एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ अपनी किताब ‘Supreme Whispers’ में लिखते हैं कि जस्टिस कैलासम ने सारी दलील सुनी, लेकिन उनको उस एसएलपी में कोई मेरिट नजर नहीं आई और डिसमिस कर दिया।
एडवोकेट सिंघवी ने दे दी जस्टिस को धमकी
जस्टिस कैलासम ने SLP खारिज करते हुए एडवोकेट सिंघवी पर कुछ तीखी टिप्पणी भी कर दी। इसके बाद एडवोकेट सिंघवी बुरी तरह भड़क गए और कोर्ट में ही कह दिया कि आज के बाद वे किसी ऐसी बेंच के सामने पेश नहीं होंगे, जिसमें जस्टिस कैलासम शामिल होंगे।
इस्तीफे की जिद पर अड़ गए 6 जज
मामला यहीं शांत नहीं हुआ, बल्कि एडवोकेट सिंघवी ने इस मामले पर बार एसोसिएशन की मीटिंग भी बुला ली। इससे सुप्रीम कोर्ट के जजों का एक धड़ा खासा नाराज हो गया। 6 जज इस्तीफे की जिद पर अड़ गए। जिसमें जस्टिस कैलासम, जस्टिस पीएन सिंघल, जस्टिस उटवालिया, जस्टिस एपी सेन, जस्टिस एडी कौशल और जस्टिस वीडी तुलजापुरकर शामिल थे।
CJI को करानी पड़ी थी सुलह
अभिनव चंद्रचूड़ लिखते हैं कि तत्कालीन CJI वाईवी चंद्रचूड़ ने मामले में दखल दिया और दोनों पक्षों की मीटिंग बुलाई। समझौता करा दिया। हालांकि मीटिंग में क्या बातचीत हुई थी, यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन इस मीटिंग के बाद जस्टिस कैलासम और नाराज हो गए थे।
CJI पर भी बिफर पड़े थे जज
मौजूदा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव लिखते हैं कि सुलह के बाद जस्टिस कैलासम तत्कालीन सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ पर बुरी तरह नाराज हुए और कहा कि मीटिंग में वह बहुत नरमी से पेश आए। मुसीबत का डटकर सामना तक नहीं किया।