राजस्थान के तेज तर्रार नेता नरेश मीणा ने एक नया संगठन बनाया है। नरेश मीणा ने भगत सिंह सेना बनाई है। इस संगठन को बनाने का ऐलान उन्होंने पंजाब में भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में जाकर किया। नरेश मीणा का कहना है कि उनका यह संगठन नशा मुक्ति, भ्रष्टाचार और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाएगा और किसानों के मुद्दों पर भी संघर्ष करेगा।
नरेश मीणा ने पिछले महीने हुए अंता विधानसभा सीट के उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर दी थी और बहुत अच्छे वोट हासिल किए थे।
बीजेपी, कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के असर वाले राजस्थान में नरेश मीणा की भगत सिंह सेना क्या अपनी मौजूदगी दर्ज करा पाएगी? इस सवाल का जवाब तलाशने से पहले यह जानना जरूरी होगा कि नरेश मीणा कौन हैं?
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संघर्षशील नेता की है पहचान
नरेश मीणा की पहचान जुझारू और संघर्ष करने वाले नेता की है। नरेश मीणा का राजनीतिक सफर 2003 में शुरू हुआ था जब उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ में महासचिव पद का चुनाव जीता था। इस दौरान वह बीजेपी के नेता और कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के संपर्क में आए।
धीरे-धीरे नरेश मीणा का कद बढ़ता गया और उनके समर्थकों ने उन्हें ‘छोटा किरोड़ी’ कहना शुरू कर दिया। नरेश मीणा का नाम तब सुर्खियों में आया था जब एक बार वोटिंग के दौरान उन्होंने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। इस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और 8 महीने तक जेल में रहना पड़ा था।
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जातीय समर्थन जुटाना जरूरी
राजस्थान में जातीय राजनीति की जड़ें काफी मजबूत हैं इसलिए राज्य की राजनीति में कामयाबी हासिल करने के लिए जातीय समर्थन होना जरूरी है। राजस्थान के जातीय समीकरणों की बात करें तो यहां पर ओबीसी आबादी 40% है। दलित समुदाय 18%, आदिवासी 1, सवर्ण समुदाय 19% और मुस्लिम समुदाय की आबादी 9% के आसपास है।
इन जाति समूहों के बीच भी जाट 12 फीसदी, गुर्जर और राजपूत 9-9 फीसदी, ब्राह्मण और मीणा समुदाय की आबादी 7-7 प्रतिशत है।
थर्ड फ्रंट बनाना चाहते हैं मीणा
हाल ही में नरेश मीणा ने जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर से मुलाकात की थी। नरेश मीणा की कोशिश राजस्थान में तीसरे मोर्चे का गठन करने की है। वह आम आदमी पार्टी, हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी जैसे कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर राजस्थान में थर्ड फ्रंट बनाना चाहते हैं।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2028 के अंत में होने हैं और तब तक नरेश मीणा अपने संगठन को खड़ा करने का काम करेंगे। मूल रूप से राजस्थान के बारां के रहने वाले नरेश मीणा आने वाले दिनों में पूरे राजस्थान में अपने संगठन का विस्तार करने की बात कह चुके हैं।
नरेश मीणा ने पिछले 3 साल में तीन चुनाव लड़े हैं और अच्छे वोट हासिल किए हैं हालांकि उन्हें चुनाव में कामयाबी नहीं मिली लेकिन उन्होंने यह दिखाया है कि उनमें संघर्ष करने की क्षमता है।
‘बीजेपी चुनाव आयोग को वोट चोरी करने का औजार बना रही है’
हर बार हासिल किए अच्छे वोट
2023 के विधानसभा चुनाव में मीणा ने बागी होकर बारां जिले की छाबड़ा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और लगभग 44,000 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। 2024 में उन्होंने देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस का टिकट मांगा लेकिन एक बार फिर उन्हें टिकट नहीं मिला। इस चुनाव में भाजपा के राजेंद्र गुर्जर ने 1,00,599 वोटों के साथ जीत हासिल की, जबकि मीना को 59,478 वोट मिले और कांग्रेस के कस्तूर चंद मीना 31,385 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे।
अंता उपचुनाव में नरेश मीणा ने कांग्रेस से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा और बीजेपी और कांग्रेस के छक्के छुड़ा दिए। मीणा को उपचुनाव में 53,800 मिले जबकि बीजेपी के उम्मीदवार मोरपाल सुमन को 53959। कांग्रेस के उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया 69,571 वोट हासिल कर चुनाव जीते थे।
नरेश मीणा के समर्थकों का कहना है कि कांग्रेस नरेश मीणा के तेजी से आगे बढ़ने की वजह से घबराई हुई है और उन्हें टिकट नहीं देना चाहती जबकि कांग्रेस के नेता नरेश मीणा को उपद्रवी स्वभाव वाला नेता बताते हैं।
नरेश मीणा अगर आदिवासी समुदाय में बड़े चेहरे बनकर उभरते हैं और कुछ छोटे दलों का गठबंधन बनाने में कामयाब रहते हैं तो वह निश्चित रूप से कुछ सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं।
राजस्थान में नरेश मीणा की छवि दबंग और बागी नेता की भी है। उन्हें इससे मीणा समाज के बीच लोकप्रियता जरूर मिली है लेकिन वह अपनी छवि मीणा और आदिवासी समुदाय के अलावा सर्व समाज के नेता के तौर पर बनाने की कोशिश में भी जुटे हैं।
नरेश मीणा की अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं और युवाओं के बीच अच्छी पकड़ मानी जाती है। अगर कांग्रेस मीणा को मनाने में कामयाब रही तो इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी वरना मीणा अपने इरादे जाहिर कर ही चुके हैं।
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