पिछले दिनों जब रिंकू सिंह ने एक ओवर में पांच छक्का लगाकर कोलकाता नाइट राइडर्स को जीत दिलाई, उसके बाद से उनके संघर्ष की कहानियों की खूब चर्चा हो रही है। अलीगढ़ निवासी रिंकू के पिता गैस वेंडर हैं यानी घर-घर रसोई घर सिलेंडर पहुंचाते हैं। गुरबत के दिनों में जब रिंकू सिंह काम की तलाश कर रहे थे, तो उन्हें एक कोचिंग सेंटर में मुझे पोछा लगाना मिला था। हालांकि उन्होंने वह काम नहीं किया।  

रिंकू सिंह का परिवार दो कमरों के एक छोटे से घर में रहता था, जिसमें मूलभूत सुविधाएं भी पर्याप्त नहीं थीं। स्कूल के दिनों में रिंकू को क्रिकेट खेलने की वजह से अपने पिता से मार खानी पड़ती थी। बॉल खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे। लेकिन वह हार नहीं माने और खेलते रहे।

घरेलू क्रिकेट में धमाल मचा रहे इस प्रतिभा पर किसी की नजर नहीं थी। लेकिन आईपीएल ने न सिर्फ रिंकू सिंह की गुमनामी को खत्म किया बल्कि आर्थिक तौर पर सबल भी बनाया। साल 2018 में रिंकू सिंह को शाहरुख खान की कोलकाता नाइटराइडर्स ने न सिर्फ 80 लाख रुपए में अनुबंधित किया बल्कि खेलने का भी मौका दिया।

रिंकू सिंह की सफलता के साथ KKR का नाम इसलिए जुड़ता है क्योंकि KKR से पहले 2017 के आईपीएल में किंग्स किंग्स इलेवन पंजाब ने सिंह को 10 साल रुपये में अपने साथ रखा था। लेकिन खेलने का मौका नहीं दिया था।

आईपीएल ने बदला बहुत कुछ

इंडियन प्रीमियर लीग दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट टूर्नामेंट में से एक है। इसने दुनिया को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए कई क्रिकेटरों को एक मंच प्रदान किया है। आईपीएल न सिर्फ अपना टैलेंट दिखाने का मौका देता है बल्कि फ्रेंचाइजियों को इम्प्रेस करने के बाद मोटी डील भी दिलाता है। वैसे खिलाड़ी जो घरेलू क्रिकेट में तो अच्छा कर रहे थे लेकिन कोई इंटरनेशनल एक्सपोजर नहीं था, उनके लिए आईपीलए लाइफ चेंजिंग इवेंट साबित हो रहा है।

अभी आईपीएल की बदौलत भारत में कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जो गरीब परिवारों से आने के बावजूद क्रिकेट में कमाल कर रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ अपने टैलेंट से भारतीय क्रिकेट को समृद्ध किया है, बल्कि मोटी कमाई कर परिवार के लिए भी मददगार साबित हुए हैं।

आईपीएल ने हमें आर्थिक रूप से कमजोर क्रिकेटर्स की कुछ उल्लेखनीय कहानियां दी हैं, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ता से अब खुद को इस खेल के उच्चतम स्तर तक पहुंचाया है। आइए जानते हैं ऐसे ही पांच खिलाड़ियों की कहानी:

एक ऑटो रिक्शा चालक का बेटा

आज भारतीय क्रिकेट टीम के प्रमुख गेंदबाजों की सूची में शामिल मोहम्मद सिराज एक ऑटो रिक्शा चालक के बेटे हैं। 13 मार्च 1992 को हैदराबाद के एक गरीब परिवार में पैदा हुए मोहम्मद सिराज ने जिंदगी की मुसीबतों से लड़कर अपनी खास जगह बनाई है। उनके संघर्ष को सफलता की सीढ़ी तक लाने में आईपीएल की बड़ी भूमिका है।

बहुत पहले की बात नहीं है, 2015 तक सिराज टेनिस बॉल से खेला करते थे। पिता का सपोर्ट था। घरेलू क्रिकेट में धमाल मचा रहे थे लेकिन न तो राष्ट्रीय स्तर पर नाम हो रहा था, न आर्थिक तंगी दूर हो रही थी। सिराज को आईपीएल खेलने का मौका साल 2017 में मिला। उन्हें सनराइजर्स हैदराबाद 2.6 करोड़ में खरीदा था, जबकि उनका बेस प्राइज सिर्फ 20 लाख था। उन्हें खरीदने के लिए विभिन्न फ्रेंचाइजियों में होड़ थी क्योंकि आईपीएल उनके टैलेंट की कीमत जानता था।

कभी भरपेट खाने को तरसते थे

गुजरात टाइटंस को आईपीएल 2022 का चैंपियन बनाने वाले भारतीय क्रिकेट के आक्रामक ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या कभी भरपेट खाना खाने को तरसते थे। पांड्या के पिता पहले बिजनेस करते थे,जो बाद में बंद हो गया था। परिवार किराए के मकान में रहता था। हार्दिक पांड्या और उनके भाई कुणाल पांड्या दोनों को क्रिकेट खेलना बहुत पसंद था लेकिन उनके पास क्रिकेट किट नहीं होती थी। दोनों ने करीब साल भर बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन से क्रिकेट किट लेकर काम चलाया था।

साल 2016 में इंडियन एक्सप्रेस को दिए उनके एक इंटरव्यू में हार्दिक पांड्या ने बताया था कि “5 रुपये की मैगी आती थी, माली को रिक्वेस्ट करके गर्म पानी लेता था और मैं और मेरा भाई ग्राउंड पर बनाकर खाते थे। ब्रेकफास्ट भी वही और लंच भी वही और ऐसे ही पूरा दिन निकल जाता था।”

पांड्या ने बताया था कि दोनों भाइयों पर बहुत उधार हो गया था। वह पांच-पांच रुपये के लिए मोहताज थे। जूनियर पांड्या (हार्दिक पांड्या) ने पहली बार सफलता हासिल की जब MI (मुंबई इंडियंस) फ्रैंचाइज़ी ने उन्हें 2015 के IPL के लिए 15 लाख रुपये में साइन किया। अगले वर्ष सीनियर पांड्या (कुणाल पांड्या) की एंट्री हुई, उन्हें 2016 की नीलामी में MI ने 2 करोड़ रुपये में खरीदा।

पिता प्राइवेट कंपनी में थे सिक्युरिटी गार्ड

भारतीय क्रिकेट टीम के ऑल राउंडर रविंद्र जडेजा का जन्म 6 दिंसबर 1998 को गुजरात के जामनगर में हुआ। परिवार मध्यवर्गीय था। पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा भारीतय सेना में थे लेकिन चोटिल होने की वजह से नौकरी छोड़नी पड़ी थी। मां नर्स थीं। पिता की नौकरी जाने के बाद वह एक प्राइवेट कंपनी में बतौर सिक्युरिटी गार्ड काम करते थे। जडेजा की क्रिकेट में रूची थी। मां का भी सपना था कि जडेजा क्रिकेटर ही बनें। लेकिन पिता सेना में भर्ती करवाना चाहते थे।

हालांकि जिंदगी में एक मौका ऐसा भी आया था, जब जडेजा ने क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया था। दरअसल जडेजा की उम्र जब 17 साल थी, तब उनकी मां का देहांत एक हादसे में हो गया था। इस घटना को जडेजा को तोड़ दिया। वह क्रिकेट से दूरी बनाने लगें। बाद में बड़ी बहन नैना के कहने पर फिर से खेलने लगे।

अंडर-19 में कमाल करने के वाले जडेजा को आईपीएल के रूम में सबसे बड़ा एक्सपोजर साल 2008 में मिला था। आईपीएल 2008 में उनके प्रदर्शन ने राजस्थान रॉयल्स को खिताब जीतने में मदद की। त्तकालीन कप्तान शेन वार्न ने जडेजा को “रॉकस्टार” नाम दिया था। 2012 की आईपीएल में जडेजा को चेन्नई सुपर किंग्स ने लगभग 9.8 करोड़ रुपये में खरीदा था। वह उस साल के सबसे महंगे खिलाड़ी थे। भारतीय क्रिकेट टीम में जडेजा का चयन साल 2009 में बतौर ऑलराउंडर हुआ था।

एक जोड़ी जूतों से चला काम

टीम इंडिया के प्रमुख तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने पांच साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया था। बुमराह को पालने के लिए उनकी मां को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

अपनी आईपीएल फ्रेंचाइजी मुंबई इंडियंस (MI) द्वारा साल 2019 में शेयर किए गए एक वीडियो में बुमराह ने याद किया था कि जब वह बच्चे थे तो उनके पास केवल एक जोड़ी जूते और एक जोड़ी टी-शर्ट ही था।

बुमराह के लिए जीवन ने अच्छा मोड़ लिया जब उन्हें आईपीएल के लिए चुना गया। साल 2013 के जब आईपीएल खेलने के लिए बुमराह का चयन हुआ था, तब उनकी उम्र 19 साल थी।