केंद्र सरकार ने सोमवार को पेपर लीक के खिलाफ बनाए गए नए कानून- द पब्लिक एग्जामिनेशंस (प्रीवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, 2024 यानी (लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) अधिनियम, 2024) को नोटिफाई कर दिया है। संसद ने इस साल फरवरी में यह कानून बनाया था और 21 जून को यह लागू हुआ है।
लोक शिकायत और कार्मिक मंत्रालय द्वारा नोटिफाई किए गए कानून के मुताबिक यह कानून परीक्षा में गड़बड़ियों को रोकने के लिए बनाया गया है। इसके तहत परीक्षा केंद्रों के कोऑर्डिनेटर, प्रभारी और क्षेत्रीय अधिकारियों की नियुक्ति का काम भी शामिल है।
जबरदस्त दबाव में है केंद्र सरकार
केंद्र सरकार को यूजीसी-नेट, सीएसआईआर यूजीसी नेट और एनईईटी पीजी प्रतियोगी परीक्षाओं को स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। देश भर में विपक्ष और छात्रों के सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने की वजह से सरकार जबरदस्त दबाव का सामना कर रही है। बिहार में पेपर लीक मामले में सबूत मिलने के बाद सीबीआई NEET UG मामले की जांच कर रही है।

क्या कहते हैं नियम?
कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट: यह नियम कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट (सीबीटी) के बारे में है। इसमें उम्मीदवारों का पंजीकरण, परीक्षा केंद्रों को तय करना, प्रवेश पत्र जारी करने के साथ ही प्रश्न पत्रों को खोलने और उनको बांटना, उत्तरों का मूल्यांकन करना आदि काम शामिल है।
नियमों के मुताबिक, प्रश्न पत्रों को खोलने और उन्हें छात्रों को देने का मतलब है कि परीक्षा केंद्र में मेन सर्वर से लोकल सर्वर पर प्रश्न पत्रों को डाउनलोड करना, अभ्यर्थियों को दिए गए कंप्यूटर पर इन प्रश्न पत्रों को अपलोड करना और उन्हें डिजिटली ट्रांसफर करना शामिल है।
केंद्र सरकार की नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी स्टेकहोल्डर्स से बातचीत के बाद ही सीबीटी के लिए मानदंड, मानक और गाइडलाइन तैयार करेगी। एक बार यह काम पूरा हो जाने के बाद केंद्र सरकार इस बारे में अधिसूचना जारी करेगी।
नोटिफाई किए गए मानदंड, मानक और गाइडलाइंस के तहत परीक्षा केंद्रों के रजिस्ट्रेशन के लिए फिजिकल ओर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा सीबीटी केंद्रों पर जगह और बैठने की व्यवस्था, सर्वर और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर और इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म, अभ्यर्थियों का चेक इन, बायोमैट्रिक रजिस्ट्रेशन, प्रश्न पत्रों की सिक्योरिटी और स्क्रीनिंग, सेटिंग और प्रश्न पत्रों को लोड करना, निरीक्षण करना और परीक्षा के बाद के सभी जरूरी काम शामिल हैं।

सेंटर कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति
इस कानून में परीक्षाओं के लिए सेंटर कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति की बात कही गई है। सेंटर कोऑर्डिनेटर वह व्यक्ति होगा, जो या तो नौकरी में हो या फिर केंद्र सरकार, राज्य सरकार, किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, सरकारी विश्वविद्यालय, स्वायत्त निकाय या किसी अन्य सरकारी संगठन से रिटायर हो।
कानून यह भी बताता है कि सर्विस प्रोवाइडर का क्या मतलब है।
इस कानून के तहत कौन-कौन से एग्जाम आएंगे?
(लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) अधिनियम, 2024) की धारा 2(के) के अनुसार सार्वजनिक परीक्षा का मतलब यह है कि ऐसी कोई भी परीक्षा जो सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण द्वारा कराई जाती है या अन्य किसी प्राधिकरण के द्वारा, जिसे केंद्र सरकार ने नोटिफाई किया है।
इस शेडयूल में पांच सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण हैं:
1- संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी)। यह सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन, कंबाइंड डिफेंस सर्विस एग्जामिनेशन, कंबाइंड मेडिकल सर्विस एग्जामिनेशन, इंजीनियरिंग सर्विसेज एग्जामिनेशन आदि परीक्षाएं कराता है।
2- कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), जो केंद्र सरकार में ग्रुप सी (नॉन-टेक्निकल) और ग्रुप बी (नॉन-गैजेटेड) नौकरियों के लिए भर्ती करता है।
3- रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी)। यह भारतीय रेलवे में समूह सी और डी कर्मचारियों की भर्ती करता है।
4- बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस)। आईबीपीएस राष्ट्रीयकृत बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के लिए सभी स्तरों पर नियुक्ति करता है।
5- नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए), जो जेईई (मेन), एनईईटी-यूजी, यूजीसी-नेट, कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) आदि आयोजित करती है।
इनके अलावा केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय या विभाग और कर्मचारियों की भर्ती के लिए उनसे संबंधित कार्यालय भी इस नए कानून के दायरे में आते हैं। केंद्र सरकार जरूरत पड़ने पर एक अधिसूचना जारी कर सकती है और इस शेडयूल में नए प्राधिकरण जोड़ सकती है।

(लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) अधिनियम, 2024) इन परीक्षाओं में बैठने वाले अभ्यर्थी की परिभाषा बताता है। साथ ही कोई ऐसा व्यक्ति जिसे सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण द्वारा परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई है या परीक्षाओं में किसी अभ्यर्थी ने अपनी जगह किसी दूसरे व्यक्ति को अधिकृत किया हो, तो इसके बारे में भी बताता है।
इस कानून की धारा 3 में 15 ऐसे कामों को रखा गया है, जो बताते हैं कि परीक्षाओं के दौरान कौन से काम गलत हैं। इसके तहत प्रश्न पत्र या आंसर पेपर या उसके किसी भी हिस्से का लीक होना, बिना किसी अनुमति के प्रश्न पत्र या ओएमआर (ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन) रिस्पॉन्स शीट को अपने कब्जे में लेना, ओएमआर रिस्पॉन्स शीट या आंसर शीट के साथ किसी तरह की गड़बड़ी करना, परीक्षा के दौरान किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा जिसे इजाजत न हो, उसके द्वारा एक या एक से अधिक प्रश्नों को हल करना और परीक्षा में किसी भी तरह अभ्यर्थी की सहायता करना।
इसके तहत अभ्यर्थियों की शॉर्ट-लिस्टिंग या किसी अभ्यर्थी की मेरिट या उसकी रैंक फाइनल करने के लिए किसी दस्तावेज़ के साथ छेड़छाड़ को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर सिस्टम के साथ किसी तरह की छेड़छाड़, फर्जी वेबसाइट बनाना, फर्जी एग्जाम करवाना, नकली प्रवेश पत्र जारी करना या पैसे कमाने के लिए फर्जी ऑफर लेटर जारी करने के काम को अवैध काम माना गया है।
यह भी कहा गया है कि अगर किसी तरह की कोई भी घटना होती है तो उस जगह के प्रभारी फॉर्म 1 में अपने निष्कर्षों के साथ एक रिपोर्ट तैयार करेंगे। यह रिपोर्ट सेंटर कोऑर्डिनेटर के जरिये क्षेत्रीय अधिकारी को भेजी जाएगी। अगर ऐसी स्थिति बनती है कि एफआईआर दर्ज करनी है तो वहां का प्रभारी इस संबंध में जरूरी कार्रवाई करेगा।
अगर मैनेजमेंट या बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के स्तर से नीचे का कोई व्यक्ति गलत काम करता है या ऐसी किसी घटना की रिपोर्ट नहीं करता है तो सेंटर को ऑर्डिनेटर फॉर्म 2 में क्षेत्रीय अधिकारी को इस मामले की रिपोर्ट करेगा। क्षेत्रीय अधिकारी इस संबंध में पूछताछ करेंगे और यदि वह संतुष्ट हैं कि परीक्षा केंद्र पर किसी भी सर्विस प्रोवाइडर का कोई प्रतिनिधि शामिल है, तो वह सेंटर को ऑर्डिनेटर को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देंगे।

पेपर लीक पर चल रहे विवाद के बीच ऐसे किसी कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य में होने वाली परीक्षाओं में अगर किसी तरह की गड़बड़ी होती है तो उस कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पांच सालों में पेपर लीक के 48 मामले
पिछले कुछ सालों में देश भर में भर्ती परीक्षाओं में प्रश्न पत्र लीक होने के कई मामले सामने आए हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट में बताया था कि पिछले पांच सालों में 16 राज्यों में पेपर लीक के कम से कम 48 मामले सामने आए हैं और इस वजह से सरकारी नौकरियों में नियुक्ति की प्रक्रिया में रुकावट आई है।
पेपर लीक के इन मामलों की वजह से लगभग 1.2 लाख पदों के लिए कम से कम 1.51 करोड़ लोगों ने अप्लाई किया था और निश्चित रूप से इससे उन लोगों को खासी परेशानी हुई।

क्या है कानून का उद्देश्य?
इस कानून के क्या उद्देश्य हैं और इसे क्यों बनाया गया है, इस बारे में कहा गया है कि गड़बड़ियों के कारण परीक्षाओं में देरी होती है और इन्हें रद्द करना पड़ता है, जिससे लाखों युवाओं पर खराब असर पड़ता है। मौजूदा वक्त में ऐसा कोई कानून नहीं है जो परीक्षाओं को लेकर किए जाने वाले अपराधों से सख्ती से निपटता हो। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि परीक्षा व्यवस्था की कमजोरियों का जो लोग फायदा उठाते हैं उनकी पहचान की जाए और एक कानून बनाया जाए जो तमाम तरह की गड़बड़ियों से बेहतर ढंग से निपट सके।
इसके अलावा यह भी कहा गया है कि कानून का उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षा प्रणालियों में ज्यादा पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता कायम करना है और युवाओं को इस बात का भरोसा दिलाना है कि उनकी मेहनत का फल उन्हें जरूर मिलेगा और उनका भविष्य पूरी तरह सुरक्षित है।
इस कानून के तहत 1 करोड़ रुपये का जुर्माना और 10 साल तक की जेल का प्रावधान है।