बुलडोजर एक्शन को लेकर पिछले कुछ सालों में देश भर में जमकर बहस हुई है। इसके आलोचकों का कहना है कि बुलडोजर की कार्रवाई के जरिये अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाता है और बीजेपी शासित सरकारें इसका राजनीतिक फायदा लेती हैं। जबकि बुलडोजर चलाने वाली राज्य सरकारों का कहना है कि बुलडोजर एक्शन का मकसद अपराधियों के अवैध निर्माण और संपत्तियों को नष्ट करना है और इससे अपराधियों में डर पैदा हुआ है।
बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बेहद सख्त टिप्पणियां की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई शख्स दोषी भी पाया जाता है तो भी उसके घर पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता।
पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश के अलावा भाजपा शासित कई राज्यों में जिस तरह बुलडोजर चला है, उसे लेकर लगातार सवाल उठे हैं।
बुलडोजर एक्शन को चर्चा उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले कार्यकाल में मिली। उत्तर प्रदेश की सरकार के बाद मध्य प्रदेश, हरियाणा की भाजपा सरकारों ने भी आरोपियों के घर गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया।
‘बुलडोजर बाबा’ के नाम से मिली पहचान
उत्तर प्रदेश में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुलडोजर चलाया तो सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों ने उन्हें ‘बुलडोजर बाबा’ का खिताब दिया। योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और एंटी सोशल एक्टिविटीज (प्रीवेंशन) एक्ट के तहत लगभग 15,000 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किये और कई मामलों में आरोपियों के खिलाफ अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चला कर इन्हें गिरा दिया गया।
2022 में मैनपुरी में हुई एक चुनावी रैली के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गरजते हुए कहा कि जो लोग आक्रामक हो रहे हैं उन्हें चुनाव के बाद चुप करा दिया जाएगा। 2022 के चुनाव के बाद जब बीजेपी उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापस लौटी तो योगी सरकार ने एक बार फिर बुलडोजर की कार्रवाई शुरू की और बलात्कार के मामलों में अभियुक्त कुछ लोगों के घरों को गिरा दिया गया।
इस साल जून में मुरादाबाद और बरेली जिलों में 6 संपत्तियां को बुलडोजर चला कर तहस-नहस कर दिया गया। इनमें से एक मामला बरेली में हुए शूटआउट का था तो दूसरा मुरादाबाद में एक विवाहित महिला का उसके घर से अपहरण किए जाने का था।
मध्य प्रदेश में कब-कब चला बुलडोजर?
योगी आदित्यनाथ सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने कार्यकाल में बुलडोजर की कार्रवाई शुरू की। शिवराज सिंह चौहान ने अप्रैल 2022 में खरगोन में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद 16 घरों और 29 ढांचों को गिरा दिया।
‘बुलडोजर मामा’ कहकर पुकारे गए शिवराज
जिस तरह योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश में ‘बुलडोजर बाबा’ के नाम से उनके समर्थकों के बीच लोकप्रियता मिली, उसी तरह शिवराज सिंह चौहान को ‘बुलडोजर मामा’ कहा गया। चौहान के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने मोहन यादव ने भी ‘बुलडोजर कल्चर’ को जारी रखा।
पिछले साल दिसंबर में मुख्यमंत्री बने मोहन यादव ने कामकाज संभालने के तुरंत बाद भोपाल में ‘मांस की अवैध खरीद और बिक्री’ की जांच को लेकर अभियान चलाया और मांस की 10 दुकानों पर बुलडोजर चलाने का आदेश दे दिया। उसी दिन सरकार ने बीजेपी के एक कार्यकर्ता पर हमला करने वाले तीन लोगों के घरों को भी मिट्टी में मिला दिया।
पिछले महीने 22 अगस्त को मध्य प्रदेश सरकार ने छतरपुर में एक स्थानीय नेता शहजाद अली का घर गिरा दिया। इस मामले में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों पर एक हिंदू धार्मिक नेता के बयान के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए पुलिस थाने में पत्थर फेंकने का आरोप था।
हरियाणा सरकार को भी पसंद आया ‘बुलडोजर जस्टिस’?
हरियाणा की बीजेपी सरकार भी ‘बुलडोजर जस्टिस’ के मामले में आगे बढ़ी और पिछले साल जुलाई में नूंह में जब विश्व हिंदू परिषद की एक यात्रा के बाद सांप्रदायिक दंगे हुए थे तो तत्कालीन खट्टर सरकार ने दंगों के मामले में आरोपी बताए जा रहे कई लोगों के घरों और अन्य बुनियादी ढांचों को ध्वस्त कर दिया था।
इसी तरह दिल्ली में अप्रैल 2022 में जब हनुमान जयंती रैली के दौरान जहांगीरपुरी इलाके में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई तब उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने भी बुलडोजर एक्शन का सहारा लिया था और एक मस्जिद की दीवार और उसके फ्रंट गेट सहित कुछ अन्य निर्माणों को गिरा दिया था। तब उत्तरी दिल्ली नगर निगम में बीजेपी का शासन था।
राजस्थान में बीजेपी की अगुवाई वाली भजन लाल शर्मा सरकार ने भी हाल ही में उदयपुर में एक छात्र को चाकू मारे जाने के आरोपी छात्र के किराए के घर को गिरा दिया था।