Supreme Court on UPSC CSE Extra Attempt: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यूपीएससी सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन (UPSC CSE) के ऐसे अभ्यर्थियों को अतिरिक्त मौका देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी, जिनका कोरोना काल में अटेम्प्ट खत्म हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो इस मसले पर कोई नीति बना सकती है, लेकिन कोर्ट को कहीं न कहीं लकीर खींचनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब कोर्ट किसी मामले पर अपना फैसला सुना दे तो आप बार-बार याचिका दायर नहीं कर सकते हैं। हमें कहीं ना कहीं लकीर खींचनी होगी। इस पर अभ्यर्थियों की तरफ से पेश एडवोकेट ने कहा कि यह सही नहीं है… पहले सही तथ्य नहीं रखे गए थे। इस पर जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि उस आदेश की समीक्षा नहीं की जा सकती है…।
जज ने दिया अपने क्लाइंट का उदाहरण
जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि अगर सरकार नीतिगत फैसला लेते हुए अतिरिक्त अटेम्प्ट देती है तो हमारा आदेश उसके आड़े नहीं आएगा, लेकिन हमें कहीं ना कहीं लाइन खींचनी होगी। इसपर एडवोकेट ने कहा हम ऐसे लाखों अभ्यर्थियों की तरफ से बस आपका 2 मिनट चाहते हैं, जो टकटकी लगाए आपकी तरफ देख रहे हैं।
इस पर जस्टिस रस्तोगी ने अपने एक क्लाइंट का उदाहरण देते हुए कहा कि मेरे एक क्लाइंट जो आईएएस ऑफिसर थे, जब उन्हें सस्पेंड किया गया तो उन्होंने आईआईएम में एडमिशन ले लिया। फिर एक नौकरी ज्वाइन की और अमेरिका चले गए। इसलिए अगर कोई मेधावी है तो उसके लिए करने को तमाम चीजें हैं।
एडवोकेट ने भी दिया उदाहरण
इस पर सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि अगर मैं आपका ही उदाहरण दूं तो देश एक प्रतिभावान मेधा से वंचित रह जाएगा। ये (अभ्यर्थी) बस एक और मौका चाहते हैं क्योंकि उनकी उम्र खत्म हो गई है। इस पर जस्टिस रस्तोगी ने अभ्यर्थियों के नाम वाली लिस्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यहां देखिये…और उन्होंने अभ्यर्थियों के नाम और उनके अटेम्प्ट गिनाए। जिसपर ए़डवोकेट शंकरनारायण ने कहा- यह सही है…।
केंद्र चाहे तो फैसला ले सकती है
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एक और मौका देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी और कहा कि हमें कहीं ना कहीं लकीर खींचनी होगी। सरकार चाहे तो इस मसले पर कोई नीतिगत फैसला ले सकती है।
