चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ (Dhananjaya Yashwant Chandrachud), जस्टिस पीएस नरसिम्हा (Justice PS Narasimha) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala ) की बेंच 2 फरवरी को एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी, जो अजन्मे बच्चे से जुड़ा था।
दरअसल, 20 वर्षीय एक छात्रा प्रेगनेंट हो गई और प्रेगनेंसी को 29 सप्ताह से ज्यादा का समय हो गया है। छात्रा बच्चा नहीं चाहती है और अबॉर्शन कराना चाहती थी। लेकिन ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) द्वारा गठित एक्सपर्ट कमिटी ने अबॉर्शन से मना कर दिया। उधर, छात्रा के घर वालों को भी प्रेगनेंसी की कोई जानकारी नहीं है।
अचानक उठ गए जज
CJI की अगुवाई वाली बेंच मामले को सुन रही थी। लेकिन अचानक बेंच उठ गई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ समेत पूरी बेंच CJI के चेंबर में चली गई। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी को चेंबर के अंदर बुला लिया।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के चेंबर में करीब 40 मिनट तक उस नन्ही सी जान को लेकर विचार-विमर्श होता रहा जो अभी दुनिया में आई भी नहीं है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि उन्होंने एक ऐसे दंपति को ढूंढ लिया है जो इस बच्चे को गोद लेना चाहता है।
मामले को लेकर CJI ने अपने घर पर भी की बात
CJI चंद्रचूड़ इस मामले को लेकर बेहद संवेदनशील नजर आए क्योंकि उन्होंने खुद दो बच्चियों को गोद ले रखा है। चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने घर में भी बात की है और इस बच्ची की भविष्य की चिंता है। ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह बच्चे को अपने पास रखने को तैयार हैं।
करीब 40 घंटे की माथापच्ची के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए एम्स को बच्चे के जन्म की जिम्मेदारी सौंप दी। साथ ही आदेश दिया है कि बच्चे के जन्म के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के सलाह के अनुसार केंद्रीय एजेंसी में रजिस्टर दंपति को उचित तरीके से बच्चे को गोद दिया जाएगा।