Hindu Hriday Samrat Bal Thackeray: भारत में जब-जब हिंदुत्व की राजनीति के बड़े चेहरों या बड़े नायकों के बारे में बात होती है तो शिवसेना की नींव रखने वाले बाला साहेब ठाकरे का नाम सबसे पहले आता है। इन दिनों जब महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव चल रहा है तो इस बात का भी फैसला होना है कि बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी कौन है? महाराष्ट्र के चुनाव के वक्त ही उनकी पुण्यतिथि (17 नवंबर) भी है और ठाकरे को श्रद्धांजलि देने के लिए जुटे नेताओं की कतार से पता चलता है कि महाराष्ट्र और हिंदुत्व की राजनीति में इस नेता का क्या कद था। यहां तक कि एकदम विरोधी विचारधारा वाली कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कहा है कि कांग्रेस बाला साहेब ठाकरे का बहुत आदर करती है।

बालासाहेब ठाकरे की पहचान एक ऐसे नेता के रूप में है जो खुलकर आक्रामक हिंदुत्व की बात करते थे। ठाकरे हमेशा विवादों में रहे। उन्होंने हिटलर की प्रशंसा की। वह वैलेंटाइन डे मनाने का सख्त विरोध करते थे।

कौन था यह नेता जिसे उनके समर्थक आज भी हिंदू हृदय सम्राट कहकर पुकारते और याद करते हैं।

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कार्टूनिस्ट के तौर पर शुरू किया करियर

बाला साहेब ठाकरे का असली नाम बाल केशव ठाकरे था। बाला साहेब का जन्म 23 जनवरी, 1926 को महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने मुंबई में स्थित फ्री प्रेस जनरल में कार्टूनिस्ट के रूप में अपना करियर शुरू किया था और उनके कार्टून टाइम्स ऑफ़ इंडिया में भी प्रकाशित होते थे। बाल ठाकरे ने अपने कार्टूनों के जरिए कई राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर बात की। उन्होंने जाने-माने कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण के साथ भी काम किया था। उन्होंने एक अखबार निकाला था जिसका नाम मार्मिक था।

इस अखबार का इस्तेमाल बालासाहेब ठाकरे ने मुंबई में गुजरातियों, मारवाड़ियों और दक्षिण भारतीयों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए किया। उस दौरान उन्होंने दक्षिण भारतीयों के खिलाफ बचाओ ‘पुंगी बजाओ और लुंगी हटाओ’ का नारा दिया था।

यह वह वक्त था जब मुंबई में तमाम बड़े कारोबारों पर गुजरातियों और दक्षिण भारतीयों का कब्जा था और मराठी समाज के लिए बहुत ज्यादा मौके नहीं थे। ऐसे वक्त में उन्होंने मराठी मानुष की आवाज को उठाया और मराठी भाषा बोलने वाले लोगों के हक के लिए आंदोलन किया। इस वजह से वह मराठी समुदाय के बीच बहुत तेजी से लोकप्रिय हुए।

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ठाकरे का कहना था कि मुंबई को एक तरह से धर्मशाला बना दिया गया है और बाहर से आने वाले लोगों को रोकने का एक तरीका यही है कि यहां पर परमिट सिस्टम लागू कर दिया जाए। बाल ठाकरे की उग्र हिंदुत्व वाली छवि को लोग आज भी याद करते हैं और सोशल मीडिया पर उनकी सैकड़ों रील मौजूद हैं।

मराठा राष्ट्रवाद से हिंदुत्व की ओर निकले ठाकरे

बाल ठाकरे के पिता केशव ठाकरे सामाजिक कार्यकर्ता थे और उन्होंने देश की आजादी के बाद एक मराठी राज्य के गठन की मांग के लिए आंदोलन किया था। बाल ठाकरे अपने पिता से काफी प्रभावित थे। 1966 में बाल ठाकरे ने शिव सेना बनाई और इसका मुख्य मकसद महाराष्ट्र में मराठी बोलने वालों के हक और हिस्सेदारी को सुरक्षित करना था। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत महाराष्ट्र के क्षेत्रीय मुद्दों और मराठी संस्कृति के बारे में बात करने से की लेकिन बाद में वह हिंदुत्व की लाइन पर चल पड़े।

मराठी मानुस की राजनीति करने वाले बाल ठाकरे के परिवार को लेकर यह भी कहा जाता है कि उनके दादा का परिवार मूल रूप से बिहार का रहने वाला था और वह बाद में मुंबई में जाकर बस गए थे।

कभी नहीं लिया कोई पद

बाला साहेब ठाकरे ने महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना को खड़ा किया और कई नेताओं को विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद बनाया लेकिन जीवन में कभी भी कोई चुनाव नहीं लड़ा और ना ही कोई पद संभाला। बाद के सालों में उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन किया।

1989 में उन्होंने शिवसेना का समाचार पत्र सामना शुरू किया। 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद जब मुंबई में सांप्रदायिक दंगे हुए तो उन्होंने इसके खिलाफ खुलकर आवाज उठाई। तब मुंबई में हुए दंगों में बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। बाल ठाकरे को ऐसे नेता के रूप में जाना जाता है जो कभी झुकते नहीं थे। उन्होंने इन दंगों में शिवसेना के कार्यकर्ताओं के शामिल होने को लेकर कभी दुख नहीं जताया।

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रिमोट कंट्रोल से चलाते थे सरकार

1995 में पहली बार बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन जब सत्ता में आया तो इसका बड़ा श्रेय बाल ठाकरे को ही दिया गया। यह कहा जाता है कि शिवसेना-बीजेपी की सरकार के कार्यकाल के दौरान इसका रिमोट कंट्रोल बाल ठाकरे के पास ही होता था। 1987 में बाल ठाकरे ने ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’ का नारा दिया और हिंदुत्व और हिंदू हितों के नाम पर वोट मांगे।

चुनाव आयोग ने लगा दिया था प्रतिबंध

ठाकरे के उग्र हिंदुत्व का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2002 में उन्होंने बयान दिया था कि हिंदुओं को आत्मघाती दस्ते बनाने चाहिए तभी हिंसा करने वालों का मुकाबला किया जा सकेगा। बाल ठाकरे के भाषणों को लेकर चुनाव आयोग ने उन पर 6 साल का प्रतिबंध लगा दिया था। इस दौरान वह वोटिंग भी नहीं कर सकते थे और चुनाव भी नहीं लड़ सकते थे। यह प्रतिबंध दिसंबर 1999 से दिसंबर 2005 तक लगाया गया था।

2007 में इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने हिटलर की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि हिटलर क्रूर था और उसने गलत काम किए थे लेकिन वह कलाकार था और इस वजह से मैं उसे प्यार करता हूं। उसके पास भीड़ को अपने साथ ले जाने की क्षमता थी। बाल ठाकरे कहते थे कि हिटलर एक साहसी व्यक्ति था उसके पास अच्छे और बुरे दोनों गुण थे।

महाराष्ट्र चुनाव में है जोरदार टक्कर। (Source-devendra.fadnavis/FB)

अपनी जबरदस्त हाजिरजवाबी और उग्र हिंदुत्व की राजनीति के लिए पहचाने जाने वाले बालासाहेब ठाकरे भारतीय राजनीति के सबसे विवादास्पद और चर्चित राजनेताओं में से एक रहे हैं। ठाकरे का मुंबई और महाराष्ट्र के तमाम कलाकार और राजनेता बहुत सम्मान करते थे।

किसे मिलेगी राजनीतिक विरासत?

ठाकरे के निधन के बाद शिवसेना में बड़ी टूट हुई जब जून, 2022 में एकनाथ शिंदे अपने समर्थक विधायकों को लेकर अलग हो गए। मौजूदा दौर में भी शिवसेना हो या बीजेपी या फिर कांग्रेस, सभी बाला साहेब ठाकरे के राजनीतिक कद का सम्मान करते हैं। एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना बाल ठाकरे के राजनीतिक आदर्शों पर चलने का दावा करती हैं और खुद को उनकी राजनीतिक विरासत का सच्चा उत्तराधिकारी बताती हैं।