उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है, कांग्रेस और सपा बीजेपी के खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़ने के लिए जमीन पर ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। पिछली बार सपा और कांग्रेस का गठबंधन उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ मजबूत चुनौती पेश नहीं कर पाया था।
सपा और कांग्रेस की यह मेहनत उत्तर प्रदेश में कुछ लोकसभा सीटों पर दिखाई भी देती है। इनमें से एक सीट रायबरेली भी है। इस सीट पर इंडिया गठबंधन के इन दोनों दलों के नेता चुनावी सभाओं में अपनी एकजुटता दिखाते हैं जिससे विपक्ष के चुनाव अभियान को नई ऊर्जा मिलती है।
SP Congress Alliance : अखिलेश, राहुल की संयुक्त चुनावी रैलियां
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली और सपा मुखिया अखिलेश यादव कन्नौज सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। राहुल और अखिलेश यादव ने बीते दिनों में मिलकर चुनावी रैलियों को संबोधित किया है। पिछले शुक्रवार को राहुल गांधी ने अखिलेश के साथ कन्नौज में एक रैली को संबोधित किया था। इसी दिन दोनों नेताओं ने कानपुर में भी कांग्रेस उम्मीदवार आलोक मिश्रा के लिए चुनावी रैली की थी।
इससे पहले 2017 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान सपा और कांग्रेस ने गठबंधन किया था। उस चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी जीत मिली थी। 403 सीटों वाली उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बीजेपी 312 सीटें जीती थी। सपा ने गठबंधन में रहते हुए 47 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस सिर्फ 7 सीटें ही जीत सकी थी।

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 39.67% वोट मिले थे जबकि सपा ने 21.82% और कांग्रेस ने 6.25% वोट हासिल किए थे।
सपा और कांग्रेस के नेता कहते हैं कि 2017 में ऊपरी स्तर पर तो गठबंधन दिखाई देता था लेकिन जमीनी स्तर पर आपसी तालमेल नहीं था और तब दोनों दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ 14 सीटों पर उम्मीदवार भी उतारे थे।
2019 UP Lok Sabha Chunav: सिर्फ रायबरेली सीट पर जीती थी कांग्रेस
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। उस वक्त सपा और बसपा गठबंधन में थे। 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में सपा ने 37 सीटों पर चुनाव लड़कर 5 सीटें जीती थी जबकि बीएसपी ने 38 सीटों पर चुनाव लड़कर 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को सिर्फ रायबरेली सीट पर ही जीत मिली थी।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि 2017 से अगर तुलना करें तो गठबंधन जमीनी स्तर पर काम करे, इसके लिए ज्यादा कोशिश की जा रही है। रायबरेली में यह कोशिश जमीन पर दिखाई भी देती है।

Amethi, Rae Bareli election 2019: सपा ने नहीं उतारा था उम्मीदवार
सपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रति नरम रूख दिखाते हुए रायबरेली और अमेठी सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारा था। तब अमेठी सीट पर राहुल गांधी चुनाव मैदान में थे जबकि रायबरेली से सोनिया गांधी उम्मीदवार थीं।
इस बार सपा के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर ज्यादा सक्रिय होकर कांग्रेस के लिए प्रचार कर रहे हैं। इनमें सपा के जिला अध्यक्ष, ब्लॉक प्रभारी कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी की हर बैठक में उनके साथ रहते हैं और ऐसा ही कांग्रेस की ओर से भी दिखाई देता है।
प्रियंका के साथ सपा नेताओं की मौजूदगी
क्षेत्र में होने वाली नुक्कड़ सभाओं में सपा के झंडे न सिर्फ कांग्रेस के झंडों के साथ दिखाई देते हैं बल्कि सपा के नेता भी कांग्रेस की बैठकों में सपा की लाल टोपी और गमछा डालकर चुनावी सभाओं में आगे की कुर्सियों पर बैठे दिखाई देते हैं। ऐसा करके वे दिखाते हैं कि ये चुनावी लड़ाई एकजुट होकर लड़ी जा रही है।
चुनाव प्रचार के दौरान कुछ मौकों पर प्रियंका गांधी इस बात को सुनिश्चित करती हैं कि उनकी एक तरफ सपा के नेता हों जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस के। सपा के कार्यकर्ता ऐसी बैठकों में अपनी पार्टी का गमछा और कांग्रेस की टोपी पहने हुए दिखाई देते हैं।

Samajwadi Party UP: अखिलेश ने दिए हैं निर्देश
स्थानीय सपा नेता कहते हैं कि उन्हें पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की ओर से निर्देश मिला है कि वह जमीन पर कांग्रेस को पूरा समर्थन दें। इसलिए रणनीति के तहत सपा के जिलाध्यक्ष, स्थानीय विधायक या पूर्व विधायक प्रियंका गांधी के साथ रहते हैं जबकि संबंधित विधानसभा से सपा के ब्लॉक प्रमुख प्रियंका गांधी के पहुंचने से पहले ही चुनावी सभाओं में पहुंच जाते हैं।
स्थानीय कार्यकर्ता संजय अपनी पार्टी के विधायक श्याम सुंदर भारती की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, “वह हमारे स्थानीय विधायक हैं। यहां तक कि ब्लॉक प्रमुख भी मौजूद हैं। जिला अध्यक्ष वीरेंद्र यादव प्रियंका जी के साथ हैं।” श्याम सुंदर भारती प्रियंका गांधी के आने से पहले ही एक चुनावी सभा में पहुंच चुके थे।
UP Assembly Election 2022: चार सीटों पर जीती थी सपा
रायबरेली लोकसभा क्षेत्र के अंदर आने वाली विधानसभा सीटों पर सपा की अच्छी मौजूदगी है और यहां सपा का समर्थन कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में से चार सीटों- बछरावां, हरचंदपुर, सरेनी और ऊंचाहार पर सपा को जीत मिली थी।
हालांकि ऊंचाहार से जीते सपा विधायक मनोज पांडे अब बागी हो चुके हैं लेकिन पार्टी के तीन अन्य विधायक अपनी-अपनी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

प्रचार के लिए आएंगे सपा प्रमुख
सपा के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र यादव कहते हैं अखिलेश यादव जी के निर्देश पर हमने विधानसभा स्तर पर टीमें गठित कर दी हैं। इन टीमों में स्थानीय विधायक या विधानसभा चुनाव लड़ चुके नेता, ब्लॉक प्रमुख और बूथ के प्रभारी शामिल हैं। मैं भी नुक्कड़ सभाओं में प्रियंका जी के साथ रहता हूं।
सपा जिलाध्यक्ष कहते हैं कि पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी यहां चुनाव प्रचार करने के लिए आएंगे।
Kheri Election 2022: खीरी में भी साथ दिखे सपा-कांग्रेस
सपा और कांग्रेस की यह एकजुटता लखीमपुर खीरी में भी दिखाई दी थी। जहां पर अखिलेश यादव हाल ही में पार्टी के उम्मीदवार उत्कर्ष वर्मा के लिए चुनाव प्रचार करने गए थे। यहां से कांग्रेस के पूर्व सांसद जफर अली नकवी भी अखिलेश की सभा में मौजूद रहे थे जबकि ऐसा बताया गया था कि यहां कांग्रेस के कार्यकर्ता नाराज हैं।
रविवार को अखिलेश यादव बाराबंकी के दौरे पर गए थे जहां उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार और पार्टी के वरिष्ठ नेता पीएल पूनिया के बेटे तनुज पूनिया के लिए प्रचार किया था। यहां अखिलेश यादव ने एक चुनावी रैली में कहा था, “साइकिल वालों पंजा दबाओगे कि नहीं दबाओगे।”

वाराणसी में भी साथ दिख सकते हैं राहुल और अखिलेश
चुनाव प्रचार के आने वाले चरणों में इस तरह की और बैठकें होनी हैं। अखिलेश और राहुल की 17 मई को भी एक संयुक्त चुनावी रैली होनी है। यह रैली रायबरेली के साथ ही अमेठी में भी होगी। अमेठी से कांग्रेस ने पार्टी के पुराने सिपाही केएल शर्मा को टिकट दिया है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि इस तरह की संयुक्त चुनावी सभाएं वाराणसी में भी हो सकती हैं।
वाराणसी से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस ने यहां से अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को टिकट दिया है। देवरिया में भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अखिलेश प्रताप सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के नेता कहते हैं कि झांसी सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार प्रदीप जैन आदित्य के समर्थन में अखिलेश यादव चुनावी सभा को संबोधित कर सकते हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में इनमें से अधिकतर सीटों पर कांग्रेस को एक लाख से ज्यादा वोट मिले थे और सपा के समर्थन के बाद उसे इन सीटों पर काफी उम्मीद है। गठबंधन के तहत सपा को उत्तर प्रदेश में 63 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।