शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे का निधन 17 नवंबर, 2012 को 86 वर्ष की आयु में हुआ था। उनका राजनीतिक सफर बहुत अनोखा था। वह चार दशक से ज्यादा समय तक सार्वजनिक जीवन में रहे, लेकिन न कभी चुनाव लड़ा और ही कोई राजनीतिक पद लिया। बावजूद इसके महाराष्ट्र की राजनीति, विशेषकर मुंबई में उनका खास प्रभाव रहा।

पेशेवर कार्टूनिस्ट से नेता बने बाल ठाकरे का तौर तरीका और बयान अक्सर विवादों के घेरे में रहा। उन्होंने जर्मन तानाशाह हिटलर और महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा की थी।

‘मैं हिटलर का फैन हूं’

द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शिवसेना की स्थापना के एक साल बाद ही साल 1967 में एक अखबार ‘नवाकाल’ से बातचीत में ठाकरे ने कहा था कि “आज भारत को एक हिटलर की जरूरत है।”

साल 2007 में अंग्रेजी मैगजीन ‘एशिया वीक’ को दिए इंटरव्यू में ठाकरे ने साफ-साफ स्वीकार किया था कि वह जर्मन तानाशाह हिटलर के बड़े फैन हैं। ठाकरे ने जिस सवाल के जवाब में यह कहा था, पहले उसे जान लीजिए। ठाकरे से पूछा गया था- आपने हाल में खुद को बॉम्बे का हिटलर बताया था और भारत का हिटलर बनने की इच्छा व्यक्त की थी, क्या यह सही है?

जवाब में ठाकरे ने कहा, “क्यों नहीं? मैं हिटलर का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं और मुझे ऐसा कहने में कोई शर्म नहीं है। मैं यह नहीं कहता कि मैं उनके द्वारा अपनाए गए सभी तरीकों से सहमत हूं, लेकिन वह एक अद्भुत संगठनकर्ता और वक्ता थे और मुझे लगता है कि उनमें और मुझमें कई चीजें समान हैं। देखिए, हमने महाराष्ट्र में केवल छह महीनों में कितना अच्छा काम किया है। दरअसल, हमारे देश में दिखावटी लोकतंत्र बहुत ज्यादा है। भारत को वास्तव में एक ऐसे तानाशाह की जरूरत है जो उदारतापूर्वक और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ शासन करे।”

पत्रिका ने ठाकरे से अगला सवाल पूछा- क्या आप वह तानाशाह बनना चाहेंगे? जवाब में शिवसेना संस्थापक ने कहा, “आम आदमी को यह एहसास होने लगा है कि जिन लोगों को उन्होंने पहले चुना, उन्होंने उनकी बिल्कुल भी सेवा नहीं की है, वे बस जनता के खर्च पर अपनी जेबें भर रहे हैं। पहले हमने मराठी मानुष की स्थिति सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया। लेकिन अब, मुझे लगता है कि समय आ गया है कि शिवसेना राष्ट्रीय हित में व्यापक दृष्टिकोण अपनाए। हम अगले साल का चुनाव अपने बैनर तले लड़ेंगे और सीट बंटवारे के विषय पर हम पहले से ही अपने चुनावी सहयोगी (भाजपा) के साथ बातचीत कर रहे हैं।”

टाइम्स ऑफ इंडिया ने साल 2009 में छापा था कि 1992 के मुंबई दंगों से पहले बाल ठाकरे ने कहा था कि “यदि आप Mein Kampf (हिटलर की आत्मकथा) से यहूदी शब्द हटाकर मुस्लिम शब्द डालते हैं, तो आप जान जाएंगे कि मैं किस चीज में विश्वास करता हूं।” हिटलर की आत्मकथा नाजी विचारों से लैस एक किताब है, जिसमें नस्ली और यहूदी विरोधी विचारों का भंडार है। हिटलर यहूदियों से नफरत करता था। उसके शासनकाल में यहूदियों का नरसंहार हुआ था।

बाल ठाकरे के स्कूल के समय के दोस्त बाल सामंत ने हिटलर की प्रशंसा से भरी एक जीवनी भी लिखी है। बताया जाता है कि इस किताब के विमोचन में खुद बाल ठाकरे पहुंचे थे। उन्होंने किताब की 200 से अधिक प्रतियां खरीदकर शिव सैनिकों में बांटी थी।

रुख साफ किया!

एशिया वीक को दिए इंटरव्यू पर विवाद के बाद 29 जनवरी, 2007 को बाल ठाकरे ने एक मीडिया रिपोर्ट में अपना रुख साफ़ कर दिया। उन्होंने कहा, “हिटलर ने बहुत क्रूर चीजें कीं। लेकिन वह एक कलाकार था, मैं उसे इस वजह से पसंद करता हूं। हिटलर के पास पूरे देश, भीड़ को अपने साथ ले जाने की ताकत थी। आपको सोचना होगा कि उसके पास क्या जादू था। वह एक चमत्कार था… यहूदियों की हत्या गलत थी। लेकिन हिटलर के बारे में अच्छी बात यह थी कि वह एक कलाकार था। वह एक साहसी व्यक्ति था। उसमें अच्छे गुण और बुरे दोनों गुण थे। मुझमें भी अच्छे गुण और बुरे गुण हो सकते हैं।”

बाद के वर्षों में जब आउटलुक ने ठाकरे से हिटलर की प्रशंसा पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, “मैंने किसी को गैस चैंबर में नहीं भेजा है। अगर मैं वैसा होता तो आपको आकर मेरा इंटरव्यू लेने की हिम्मत नहीं होती।

“हमें नाथूराम गोडसे पर गर्व है”

बाल ठाकरे को महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे पर गर्व था। उन्होंने ये बात चुनावी मंच से भरी सभा में कही थी। इतना ही नहीं उन्होंने महात्मा गांधी पर देश को धोखा देने का भी आरोप लगाय था। बाल ठाकरे ने ये बातें एक भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कही थी। कई किताबों के लेखक वैभव पुरंदरे ने अपनी किताब “Bal Thackeray & The Rise of the Shiv Sena” में ठाकरे के पूरे बयान को छापा है, पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें-

Bal Thackeray