न्यायपालिका में जाति-धर्म के आधार पर भेदभाव और नियुक्तियां कोई नई बात नहीं हैं। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में ऐसी नियुक्तियों के ढेरों उदाहरण हैं। इमरजेंसी के ठीक बाद जब मोरारजी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी की सरकार बनी तो कानून मंत्री शांति भूषण पर ही एक जाति विशेष को फेवर करने के आरोप लगे और बात इतनी बढ़ी की प्रधानमंत्री तक पहुंच गई।
पीएम तक पहुंची भूषण की शिकायत
बॉम्बे हाईकोर्ट के एडवोकेट अभिनव चंद्रचूड़ पेंगुइन से प्रकाशित अपनी किताब ‘सुप्रीम व्हिसपर्स’ (Supreme Whispers) में लिखते हैं कि 1977 में जब शांति भूषण कानून मंत्री बने तो तमाम जजों ने शिकायत की कि भूषण हाईकोर्ट की नियुक्ति में बनिया जाति से ताल्लुक रखने वाले लोगों को प्राथमिकता दे रहे हैं। शांति भूषण के खिलाफ प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई तक शिकायत पहुंच गई। अभिनव लिखते हैं कि मोरारजी देसाई, शांति भूषण को कतई पसंद नहीं करते थे। पीएम ने कई बार चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ से इसकी शिकायत की।
अभिनव चंद्रचूड़ लिखते हैं कि वास्तव में शांति भूषण ही वो शख़्स थे जिन्होंने बतौर कानून मंत्री जाति के आधार न्यायिक नियुक्तियों की परिपाटी शुरू की। वह अपनी किताब में ऐसे कई उदाहरण का जिक्र करते हुए लिखते हैं कि सिर्फ शांति भूषण ही नहीं, तमाम कानून मंत्रियों और नेताओं ने न्यायपालिका में जाति-धर्म आधारित नियुक्तियां करवाईं।
गृह मंत्री पंत पर CJI ने लगाए थे आरोप
उदाहरण के तौर 1960 के दशक का एक किस्सा खासा मशहूर है, जो तत्कालीन गृह मंत्री जीबी पंत से जुड़ा है। चीफ जस्टिस बीपी सिन्हा ने पंत पर आरोप लगाया कि वह सुप्रीम कोर्ट में एक ब्राम्हण कैंडिडेट को नियुक्त कराना चाहते थे और इसके लिए पुरजोर वकालत की थी। 1980 में कानून मंत्री बने शिव शंकर का भी एक किस्सा मशहूर है।
अभिनव लिखते हैं उन्होंने (शिव शंकर) सभी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को खत लिखकर कहा कि उच्च न्यायालयों में नियुक्ति में एसटी-एसटी कैंडिडेट तो तरजीह दें।
जस्टिस उंटवालिया की राह में आई जाति
अभिनव लिखते हैं कि पटना हाईकोर्ट के जज रहे एनएल उंटवालिया की कहानी भी दिलचस्प है। जस्टिस उंटवालिया को अगस्त 1957 में पटना हाई कोर्ट में जज बनाने की सिफारिश की गई, लेकिन उनकी नियुक्ति लटक गई। उनकी जगह भूमिहार ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखने वाले जज को नियुक्त कर दिया गया। बाद में करीब 6 महीने बाद जनवरी 1958 में उंटवालिया की नियुक्ति हो पाई थी।