Supreme Court: उच्चतम न्यायालय में आज (5 अप्रैल) कांग्रेस समेत 14 राजनीतिक दलों की उस याचिका पर सुनवाई, जिसमें उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों (Central Investigative Agencies) के दुरुपयोग का आरोप लगा था। विपक्षी पार्टियों की तरफ से सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ (Dhananjaya Y. Chandrachud) की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए।
उन्होंने दलील दी कि साल 2014 से 2021 के बीच CBI और ED के मामलों में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लेकिन सजा केवल 23 को हुई है। यहां टोकते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा पूछा कि लेकिन डॉ. सिंघवी, भारत में सजा की दर तो निराशाजनक है ही। इस पर सिंघवी ने कहा कि मैं केवल सजा की दर की बात नहीं कर रहा हूं।
सिंघवी ने आंकड़ों की एक और सूचि सीजेआई को सुनाई। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा ईडी ने 121 पॉलिटिकल लीडर्स की जांच की है, जिनमें से 95 प्रतिशत विपक्ष के हैं। सीबीआई जिन 124 पॉलिटिकल लीडर्स की जांच कर रहा है, उनमें से 95% से अधिक विपक्ष के हैं।
सिंघवी के आंकड़ों को सुनन के बाद सीजेआई ने उनसे पूछा, “यह एक या दो पीड़ित व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका नहीं है। यह 14 राजनीतिक दलों की याचिका है। आप हमें कुछ आंकड़े दें। क्या इन आँकड़ों के कारण हम कह सकते हैं कि कोई जाँच या कोई अभियोग नहीं होना चाहिए? अंततः एक राजनीतिक नेता मूल रूप से एक नागरिक होता है। नागरिक के रूप में हम सभी एक ही कानून के अधीन हैं।”
‘मैं गाइडलाइन की मांग करता हूं’
सिंघवी ने आरोप लगाया कि सीबीआई और ईडी अपने अधिकार क्षेत्र का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे पक्ष और विपक्ष के बीच समानता खत्म हो रही है। उन्होंने स्पष्ट किया, “मैं नहीं चाहता कि कोई लंबित मामला प्रभावित हो। मैं यहां उन मामलों में दखल देने के लिए नहीं हूं, जिनकी जांच चल रही है।”
सिंघवी कहते हैं कि अगर आंकड़े केंद्रीय जांच एजेसिंयों के दुरुपयोग की ओर इशारा कर रहे हैं, जिससे गलत प्रभाव पड़ रहा है, तो मैं दिशानिर्देशों की मांग कर रहा हूँ। यह 14 राजनीतिक दल लगभग 42% मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले। यदि वे प्रभावित होते हैं, तो लोग प्रभावित होते हैं।
सिघवी ने नेताओं की पूर्व गिरफ्तारी पर गाइडलाइन की मांग की। विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि सीबीआई और ईडी इस बात को स्पष्ट करे कि जांच पूरी होने से पहले गिरफ्तार क्यों किया जा रहा है?
सीजेआई ने याद दिलाया नेता भी नागरिक हैं
सिंघवी की दलील सुनने के बाद सीजेआई ने कहा, “आप कहते हैं कि 7 साल से कम दंडनीय अपराधों के लिए, कोई गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए, जब तक कि ट्रिपल टेस्ट संतुष्ट न हो। मैं आपको एक सरल उदाहरण देता हूँ।
ऐसे मामले जिनमें फिजिकल वॉलेंस शामिल नहीं है। करोड़ों के आर्थिक घोटाले हैं। क्या हम यह कह सकते हैं कि चूंकि इसमें फिजिकल वॉलेंस शामिल नहीं है इसलिए गिरफ्तारी न करें? राजनीतिक नेता बिल्कुल देश के अन्य नागरिकों के ही समान हैं। वे अलग पहचान का दावा नहीं करते हैं। उनके लिए अलग प्रक्रिया कैसे हो सकती है?
आपकी याचिका की समस्या यह है कि आप दिशानिर्देशों में आँकड़ों को एक्सट्रपलेशन करने की कोशिश कर रहे हैं। सांख्यिकी केवल राजनेताओं से संबंधित हो सकती है। लेकिन केवल राजनेताओं पर लागू होने वाले दिशानिर्देश नहीं हो सकते।”
तमाम दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 14 विपक्षी दल की याचिका को खारिज कर दिया है।
IE की पड़ताल में सामने आया था 95% वाला आंकड़ा
द इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में ही यह सामने आया था कि 2014 से ईडी का इस्तेमाल चार गुना बढ़ा है। साथ ही ईडी के निशाने पर 95 प्रतिशत विपक्षी दल के नेता हैं। वहीं यूपीए शासन (2004 से 2014) में ईडी ने केवल 26 नेताओं की जांच की थी, जिनमें से 14 (54 प्रतिशत) विपक्ष के थे। (विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें।)