बिहार में सासाराम ऐसी लोकसभा सीट है जहां आजादी के बाद से अब तक हुए 17 चुनावों में 9 बार बाप और बेटी ही जीत कर लोकसभा पहुंचे। खास बात यह भी है कि इस सीट पर तीन ही परिवारों का कब्जा रहा है। ये परिवार बाबू जगजीवन राम, मुनिलाल राम और छेदी पासवान के हैं। यहां अब तक कुल पांच ही लोग सांसद बने हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में छठा व्यक्ति जीत कर संंसद जाएगा।
सासाराम सीट पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम के नाम से जानी जाती है। जगजीवन राम को लोग सम्मान के साथ बाबूजी कहकर पुकारते थे क्योंकि भारत की आजादी और दलित कल्याण के मामले में उनकी अहम भूमिका रही थी।
बीजेपी और कांग्रेस ने इस बार अपने पुराने उम्मीदवारों को बदल दिया है और नए चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा है। बाबू जगजीवन राम का गढ़ रही इस सीट पर चुनाव कौन जीतेगा, इसके लिए इंडिया गठबंधन और एनडीए ने पूरा जोर लगाया हुआ है।
बसपा भी यहां कुछ वोट हासिल कर सकती है।

Sasaram Members of Parliament: कब कौन-कौन जीता
बाबू जगजीवन राम ने सासाराम की सीट से 1952 से लगातार 1984 तक जीत दर्ज करके नेशनल रिकॉर्ड बनाया था। जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार भी 2004 और 2009 में यहां से लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद में पहुंची थीं लेकिन 2014 और 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2019 में तो उनकी हार का अंतर 1.65 लाख वोटों का रहा था। मीरा कुमार तो अब चुनावी मैदान में नहीं हैं, लेकिन उनके बेटे अंशुल अभिजीत पटना साहिब से कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के रवि शंकर प्रसाद के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
1952 से 2019 के बीच केवल 5 लोग रहे सांसद
साल | जीते उम्मीदवार का नाम |
1952 और 1957 | राम सुभाग सिंह और जगजीवन राम |
1962 से 1984 | जगजीवन राम |
1989 और 1991 | छेदी पासवान |
1996 से 1999 | मुनिलाल |
2004 और 2009 | मीरा कुमार |
2014 और 2019 | छेदी पासवान |
पिछले दो चुनाव में मीरा कुमार को भाजपा के उम्मीदवार छेदी पासवान ने हराया था। छेदी पासवान यहां से 1989 और 1991 में भी चुनाव जीत चुके हैं। मीरा कुमार के पुत्र अंशुल अविजीत इस बार कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं।
बीजेपी इस बार भी सासाराम में जीत दर्ज कर चुनाव में हैट्रिक बनाना चाहती है जबकि महागठबंधन की कोशिश बीजेपी का विजय रथ रोकने की है।

BJP Shivesh Ram: शिवेश राम के पिता रहे तीन बार सांसद
पिछले दो चुनाव में लगातार जीत दर्ज करने के बाद भी बीजेपी ने छेदी पासवान को चुनाव मैदान में नहीं उतारा। बीजेपी ने शिवेश राम को चुनाव मैदान में उतारा है। शिवेश राम के पिता मुनिलाल यहां से तीन बार बीजेपी के टिकट पर सांसद रह चुके हैं इसलिए उन्हें राजनीति विरासत में मिली है। शिवेश राम बीजेपी संगठन में जमीन से आगे बढ़ते हुए विधायक और प्रदेश महामंत्री के पद तक पहुंचे हैं। शिवेश राम सुरक्षित सीट अहिगांव से विधायक रह चुके हैं।
Congress Manoj Kumar Ram: पिछली बार बसपा से लड़े थे मनोज कुमार
महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के उम्मीदवार मनोज कुमार चुनाव लड़ रहे हैं। यह दोनों ही उम्मीदवार रविदास समाज से आते हैं। मनोज कुमार 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़े थे और उन्होंने 86 हजार वोट हासिल किए थे। शिवेश राम और मनोज कुमार दोनों ही पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने यहां से संतोष कुमार को टिकट दिया है।

Chhedi Paswan: छेदी पासवान की नाराजगी से हो सकता है नुकसान
टिकट कटने के बाद से छेदी पासवान यहां भाजपा के चुनाव प्रचार में सक्रिय नहीं दिखाई दिए हैं इसलिए बीजेपी को इसका नुकसान हो सकता है। टिकट कटने के बाद से ही छेदी पासवान लगातार पार्टी से नाराज चल रहे थे और कुछ वक्त पहले तक ऐसी चर्चा थी कि कांग्रेस मनोज कुमार की जगह उन्हें यहां से अपना उम्मीदवार बना सकती है।
बीजेपी को यहां सवर्ण मतदाताओं पर भरोसा है। इसके अलावा वैश्य, कुर्मी और कुशवाहा मतदाताओं के समर्थन की भी उसे उम्मीद है जबकि कांग्रेस को यादव, मुस्लिम महादलित और कुशवाहा वोटर्स से समर्थन मिलने की आस है। मीरा कुमार का दलित और कुशवाहा जाति के मतदाताओं में अच्छा आधार माना जाता है। सासाराम लोकसभा सीट पर बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के मतदाता भी हैं।
Sasaram Farmers Issues: किसानों की समस्याएं हैं बड़ा मुद्दा
यहां के किसान एमएसपी दिए जाने की मांग लंबे वक्त से कर रहे हैं। यह इलाका धान की बड़ी पैदावार के लिए जाना जाता है। रोहतास और कैमूर के इलाके को धान का कटोरा कहा जाता है और यहां आज भी बड़ी आबादी खेती-किसानी के काम से जुड़ी हुई है। यहां एक बड़ा मुद्दा सिंचाई के लिए पानी की कमी का भी है।

Sasaram Lok Sabha सीट के तहत विधानसभा की 6 में से 5 सीटें इंडिया गठबंधन के पास
सासाराम लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती हैं। इनके नाम- मोहनिया, भभुआ, चैनपुर, चेनारी, सासाराम और करगहर हैं। इनमें से 2020 में हुए बिहार के विधानसभा चुनाव में आरजेडी को तीन सीटों पर, कांग्रेस को दो सीटों पर और बसपा को एक सीट पर जीत मिली थी।