इंदिरा गांधी सरकार ने 25 जून 1975 में देश में आपातकाल लगा दिया। विपक्षी नेताओं को चुन-चुनकर जेल में डाल दिया गया। 1976 के आखिर आते-आते संजय गांधी ने संविधान बदलने का मन बना लिया और तय किया कि अमेरिका की तर्ज पर भारत में भी राष्ट्रपति सरकार के मुखिया होंगे। हालांकि इंदिरा गांधी को संविधान बदलने वाला आइडिया ज्यादा समझ में नहीं आना और सार्वजनिक तौर पर इस पर कुछ नहीं कहा।

इंदिरा को भेजा गया था दस्तावेज

द इंडियन एक्सप्रेस की कंट्रीब्यूटिंग एडिटर नीरजा चौधरी अपनी किताब ‘हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड’ में लिखती हैं कि 1976 के मध्य में इंदिरा गांधी ने कांग्रेस नेता डीके बरुआ, रजनी पटेल और सिद्धार्थ शंकर रे इस मसले पर राय मांगी। इन तीनों ने इंदिरा गांधी को एक दस्तावेज सौंपा, जिसमें सुझाव दिया गया था कि संविधान को नई संविधान सभा में ले जाकर भारत में राष्ट्रपति शासन प्रणाली को लागू करने का प्रस्ताव लाया जाए। इस दस्तावेज को ए.आर. एंटुले ने तैयार किया था, लेकिन उन्होंने अपना नाम गोपनीय रखा था।

संजय गांधी के हाथ लग गया था दस्तावेज

चौधरी लिखती हैं कि डीके बरुआ ने खुद इस दस्तावेज को लीक कर दिया और यह संजय गांधी और उनके करीबियों के हाथ लग गया। संजय के कुछ करीबियों ने मौजूदा संसद को संविधान सभा में बदलने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि भारत में सीधे राष्ट्रपति का चुनाव हो और भारतीय राष्ट्रपति के पास अमेरिकी राष्ट्रपति के मुकाबले कहीं ज्यादा शक्तियां हों। राष्ट्रपति से पूछताछ और जांच का भी कोई सिस्टम न हो।

4 राज्यों में पास हो गया था प्रस्ताव

नीरजा चौधरी लिखती हैं कि संजय गांधी और उनके करीबियों ने इंदिरा पर दबाव बनाने के लिए उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार की विधानसभा में इसके पक्ष में प्रस्ताव भी पारित करवा दिया। इससे इंदिरा खासी नाराज हो गईं। चौधरी लिखती हैं कि कुछ लोग मानते हैं कि संजय की चली होती तो वह संविधान बदल देते और खुद राष्ट्रपति बन जाते। वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि संजय गांधी चाहते थे कि चुनाव से ही छुटकारा मिल जाए।

इंदिरा को आजीवन राष्ट्रपति बनाना चाहते थे बंसीलाल

जिस वक्त संविधान को बदलने की बात चल रही थी, उस वक्त संजय गांधी के करीबी बंसीलाल ने इंदिरा गांधी के चचेरे भाई बीके नेहरू से कहा, ”चुनाव जैसी बेवकूफी से छुटकारा पाइये…बस हमारी बहन इंदिरा को जीवन भर के लिए राष्ट्रपति बना दीजिए। उसके बाद तो कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी’।

आपको बता दें कि इमरजेंसी के ठीक बाद हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी और संजय गांधी को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। तब इंदिरा पर आरोप लगा था कि उन्होंने 1 सफदरजंग रोड वाले अपने घर से दो बड़े-बड़े संदूक छतरपुर स्थित फार्म हाउस भेजे थे, जहां उन्हें जमीन में दबा दिया गया। इन संदूकों में दस्तावेज थे। आईबी को भी इसकी खबर लग गई थी। (पढ़ें विस्तार से)