राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (Madhav Sadashivrao Golwalkar) अखंड भारत के समर्थक रहे। एक साक्षात्कार में गोलवलकर ने कहा था कि वह अविभाजित भारत के पक्ष में हैं।
विभाजन से पहले की भारतीय सीमा को प्राप्त करने की आपनी आकांक्षा को व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था, “देश में इस मत का अत्यधिक जोर है कि भारत की पुरानी सीमाओं को फिर से प्राप्त कर लिया जाए। मेरा दृष्टिकोण भी इससे अलग नहीं है। जहां तक संभव हो, हमें इन दो विभाजित प्रदेशों को फिर से एक करने की दिशा में प्रयत्नशील रहना चाहिए।”
जब गोलवलकर से पूछा गया कि क्या वह विभाजन को मिटाना चाहते हैं, तो उन्होंने कहा, “वास्तव में तो यह एक राजनैतिक प्रश्न है, किंतु मुझे यह कहना ही होगा कि विभाजन से कोई भी व्यक्ति प्रसन्न नहीं है।” गोलवलकर संघ को पाकिस्तान के हिंदुओं के बीच भी पहुंचाना चाहते थे। वह सीमा उस पार के हिंदुओं के लिए भी काम करना चाहते थे। उन्होंने कहा था कि अगर मौका मिला तो वह इस काम को जरूर करना चाहेंगे।
अखंड भारत के सवाल पर…
अखंड भारत का समर्थक रहे गोलवलकर से एक बार पूछा गया था कि क्या वह अखंड भारत के लिए सशस्त्र संघर्ष का सुझाव देना चाहेंगे? दूसरे सरसंघचालक ने जवाब दिया था, “एक नागरिक ऐसा कोई सुझाव देने की स्थिति में नहीं होता। वैसे अब जनसंख्या की अदला-बदली का प्रश्न नहीं उठता, क्योंकि अब वहां बहुत ही थोड़ी जनसख्या रह गई है।”
भारत के प्रति पाकिस्तान शत्रुता क्यों रखता है? गोलवलकर ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा, “पाकिस्तान के अस्तित्व का आधार ही भारत के प्रति घृणा है। इसलिए पाकिस्तान के लिए ‘घृणा’ जरूरी हो गई है, अन्यथा वह समाप्त हो जाएगा।
संघ की भविष्य की योजना?
गोलवलकर ने संघ की योजना बताते हुए कहा था, “निश्चित ही हम राजनीति से अलग रहेंगे और सांस्कृतिक क्षेत्र में काम करेंगे। किंतु संस्कृति और क्षुधा साथ-साथ नहीं चल सकते। हमारा किसी राजनीतिक संगठन के साथ जुड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता। किंतु संघ का कोई भी स्वयसेवक अपनी इच्छानुसार राजनीतिक सगठन में प्रवेश के लिए मुक्त हैं।”
जब चोरी हो गया था RSS का संविधान
आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने 1933-34 के आसपास संघ एक संविधान तैयार किया था। दूसरे सरसंघचालक गोलवलकर उस संविधान को हमेशा अपने साथ रखते थे। लेकिन एक बार प्रवास के दौरान उनका सामान चोरी हो गया। उस चोरी में उनका वह झोला भी चला गया, जिसमें वह संविधान की प्रति रखते थे। (संघ का संविधान किसने चोरी किया, यह जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें)