देश की रक्षा करते हुए आजादी के बाद से अब तक जितने जवानों ने अपनी गंवाई है, उससे छह गुना ज्यादा लोगों की मौत एक साल के भीतर सड़क दुर्घटना में हो गई है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क दुर्घटनाओं पर एक वार्षिक रिपोर्ट जारी है। रिपोर्ट का शीर्षक है- Road Accidents in India – 2022
इस रिपोर्ट में साल 2022 में हुए सड़क दुर्घटनाओं का लेखा-जोखा है। रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले साल देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। इन दुर्घटनाओं में 1,68,491 लोगों की मौत हो गई और 4,43,366 लोग घायल हो गए।
अब तुलना के लिए नेशनल वॉर मेमोरियल की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों को देख लीजिए। आजादी के बाद से भारतीय सशस्त्र बलों के 26,000 से अधिक सैनिक देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा में अपना बलिदान दे चुके हैं।
मरने वालों की संख्या 9.4 प्रतिशत बढ़ी
देश में सड़क मार्ग का लगातार विकास हो रहा है। अक्सर मीडिया में इसकी चर्चा भी देखने को मिलती है। लेकिन चिंता की बात यह है कि सड़कों के जाल के साथ-साथ सड़क दुर्घटनाओं की संख्या और उसमें जान गंवाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। 2021 की तुलना में सड़क दुर्घटनाएं 11.9% बढ़ी है। रोड एक्सिडेंट में मरने वालों की 9.4% और घायलों की संख्या 15.3% बढ़ी है।
ओवरस्पीडिंग सबसे जानलेवा
2022 की कुल सड़क दुर्घटनाओं में 72.3 प्रतिशत ओवरस्पीडिंग के कारण हुईं। यानी सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण तेज गति से गाड़ी चलाना रहा। कुल मौतों में 71.2 प्रतिशत और कुल घायलों में 72.8 प्रतिशत के लिए ओवर स्पीडिंग जिम्मेदार थी। गलत दिशा में गाड़ी चलाना 2022 में कुल सड़क दुर्घटनाओं का दूसरा सबसे बड़ा कारण था, जो सभी दुर्घटनाओं का 4.9 प्रतिशत था।

अधिकांश दुर्घटनाएं सीधी सड़कों पर हुईं
आंकड़ों के मुताबिक, 67 फीसदी दुर्घटनाएं सीधी सड़कों पर हुईं। यह घुमावदार सड़कों, गड्ढों वाली सड़कों और ढलान वाली सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं की कुल संख्या (13.8 प्रतिशत) से चार गुना अधिक है।

आग से नहीं, पीछे से टक्कर ज्यादा हुईं
मंत्रालय की रिपोर्ट से यह बेहद चौकाने वाला आंकड़ा मिलता है कि सड़क पर गाड़ियों की आमने-सामने की टक्कर की संख्या, पीछे से टक्कर मारे जाने की संख्या से कम है। गाड़ियों के आपस में टकराने की कुल घटनाओं में ‘आमने-सामने की टक्कर’ की संख्या 16.9 प्रतिशत है। जबकि पीछे से टक्कर मारने की संख्या 21 प्रतिशत से अधिक।

साफ मौसम में हुईं अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं
लगभग तीन-चौथाई दुर्घटनाएं और मौतें साफ मौसम (जिसमें धूप निकली थीं और सब कुछ साफ दिख रहा था) में हुईं। प्रतिशत में कहें तो, 74.2 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं, ऐसे मौसम में हुई जब धूप निकली हुई थी। वहीं बारिश, कोहरे और ओलावृष्टि जैसी प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों में होने वाली दुर्घटनाएं कुल सड़क दुर्घटनाओं का लगभग 16.6 प्रतिशत थीं।

दुपहिया वाहनों पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं और मौतें
2022 में दोपहिया वाहनों से जुड़ी कुल 63,115 दुर्घटनाएं हुईं। इनमें 25,228 मौतें हुईं। इसके बाद नंबर आता है कार में चलने वालों का और पैदल चलने वालों का। कार से सड़क दुर्घटना के 29,005 मामले हुए, इसमें 10,174 मौतें हुईं। वहीं पैदल चलने वाले 10,160 लोग सड़क दुर्घटना में मारे गए।

सिक्किम में मृत्यु दर सबसे अधिक, लद्दाख, दमन और दीव में सबसे कम
किसी स्थान पर वाहनों की आबादी के सापेक्ष सड़क दुर्घटनाओं को समझाने के लिए मृत्यु दर का इस्तेमाल किया जाता है। इसे प्रति 10,000 वाहनों पर सड़क दुर्घटना में मरने वालों की संख्या से मापा जाता है। सिक्किम में सबसे अधिक मृत्यु दर 17 दर्ज की गई। केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख और दमन और दीव में मृत्यु दर सबसे कम 0 है। अखिल भारतीय दर 5.2 है।

तमिलनाडु में हुईं सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं
तमिलनाडु में कुल 64,105 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जो पिछले वर्ष से 15.1 प्रतिशत अधिक हैं। यह भारत में दर्ज कुल दुर्घटनाओं का 13 प्रतिशत से अधिक है। तमिलनाडु के बाद मध्य प्रदेश का नंबर आता है, जहां 54,432 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं।

(इंडियन एक्सप्रेस पर प्रकाशित हरिकिशन शर्मा की रिपोर्ट से इनपुट के साथ)