लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय लोक दल बड़ी तैयारी कर रहा है। पार्टी की योजना पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बाहर निकलने की है।
लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद रालोद ने बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन का हाथ पकड़ लिया था।
बीजेपी ने रालोद को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दो सीटें दी थी। इनमें बागपत और बिजनौर की सीट शामिल है। रालोद को दोनों ही सीटों पर जीत मिली थी।
लोकसभा सीट | कौन जीता | कितने वोटों से मिली जीत |
बागपत | राजकुमार सांगवान | 1,59,459 |
बिजनौर | चंदन चौहान | 37,508 |
निश्चित रूप से 2024 के लोकसभा चुनाव में रालोद का प्रदर्शन 2014 और 2019 के मुकाबले बेहतर रहा क्योंकि पिछले दोनों लोकसभा चुनाव में रालोद अपना खाता भी नहीं खोल सका था।
लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद रालोद मुखिया जयंत चौधरी को मोदी सरकार में कौशल विकास और उद्यम मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया है।

रालोद की ‘लुक ईस्ट’ पॉलिसी
अब रालोद की योजना पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बाहर निकलकर उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में अपना विस्तार करने की है। पार्टी की योजना के बारे में बात करते हुए रालोद के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने कहा, ‘पार्टी का विस्तार हमारे नेता जयंत चौधरी के नेतृत्व में किया जा रहा है। हमने इसे ‘लुक ईस्ट’ पॉलिसी का नाम दिया है। हमने पार्टी के विस्तार को ध्यान में रखते हुए ही कुछ नेताओं को रालोद में शामिल किया है।’
अनुपम मिश्रा ने कहा कि पूर्वी और मध्य यूपी के जिलों- बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती, देवरिया, गोरखपुर, बलिया, गाजीपुर और फैजाबाद पूर्वी और मध्य यूपी में पार्टी सबसे पहले अपना विस्तार करेगी। याद दिलाना होगा कि फैजाबाद सीट पर इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हार मिली है।

AJGR की जगह D-MAJGR
मिश्रा ने कहा कि आगे बढ़ने के लिए पार्टी की नजर विशेष जाति समूहों पर भी है। पार्टी के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने AJGR (अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत) का फॉर्मूला दिया था। अब इसमें कुछ संशोधन के साथ इस फॉर्मूले को फिर से जिंदा किया जा रहा है और पार्टी इसे D-MAJGR करने जा रही है।
D-MAJGR का मतलब है- दलित, मुस्लिम, अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत। उन्होंने कहा कि इस फॉर्मूले में और जातियों को भी शामिल किया जाएगा और हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्र सबका साथ सबका विकास का पालन करेंगे।
निश्चित रूप से यह दिखाई देता है कि रालोद की महत्वाकांक्षा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बाहर निकलने की है।

2022 में 8 सीटें जीता था रालोद
2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद ने सपा से गठबंधन करके चुनाव लड़ा था। तब उसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर, बागपत और मथुरा की सीट दी गई थी। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा ने गठबंधन के तहत रालोद को 33 सीटें दी थी। रालोद को इसमें से 8 सीटों पर जीत मिली थी।
इस साल मार्च में जब जयंत चौधरी ने इंडिया गठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल होने का फैसला किया था तो उन्होंने समाजवादी पार्टी पर दादागिरी करने का आरोप लगाया था। सपा ने इसके जवाब में कहा था कि सपा के समर्थन से ही रालोद ने विधानसभा चुनाव में 8 सीटें जीती थी।
रालोद को एनडीए में आने का तत्काल फायदा भी मिला था जब पुरकाजी से उसके विधायक अनिल कुमार को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री बनाया गया था।

रालोद के विस्तार पर बीजेपी में हलचल
रालोद के विस्तार को लेकर बीजेपी के अंदर हलचल है। उत्तर प्रदेश भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘यह अच्छी बात है कि रालोद अपने कैडर को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है लेकिन यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि इससे किसी इलाके में, जहां उसका सहयोगी दल पहले से ही मजबूत है, उसे चुनौती न मिलती हो।’
एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि रालोद के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपना विस्तार करना मुश्किल होगा क्योंकि वहां उसका कोई आधार नहीं है। भाजपा नेता ने कहा कि रालोद का कोर वोट बैंक जाट और गुर्जर हैं और उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्य इलाकों में इन जाति के मतदाताओं की हिस्सेदारी बहुत कम है।
रालोद के एनडीए में आने के बाद ऐसा लगता है कि रालोद को मिलने वाले मुस्लिम समुदाय के समर्थन में कमी आ सकती है। हालांकि अनुपम मिश्रा ने दावा किया है कि यह कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि जब से रालोद ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाया है, एक भी मुस्लिम नेता ने पार्टी नहीं छोड़ी है।
मुस्लिम नेता को उम्मीदवार बना सकता है रालोद
मिश्रा ने कहा कि इसके साथ ही हम आने वाले विधानसभा उपचुनाव में मीरापुर सीट से किसी मुस्लिम नेता को उतारने पर विचार कर रहे हैं। मिश्रा ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि भाजपा के साथ उनके गठबंधन से मुस्लिम समुदाय द्वारा रालोद को दिए जाने वाले समर्थन पर किसी तरह का असर पड़ेगा।