यूरोप और अमेरिका में चरम दक्षिणपंथी दल मुख्यधारा में आते जा रहे हैं। अप्रवास विरोध, सीमा बंदी और फासीवादी रुझानों से राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है, जो वैश्विक लोकतंत्र और सामाजिक स्थिरता के लिए गंभीर चेतावनी है। यूरोप में चरम दक्षिणपंथी दल, जो ‘रीमाइग्रेशन’ (गैर-नागरिकों को निर्वासित करना) और सीमा बंद करने पर जोर देते हैं, मुख्यधारा में आ रहे हैं।

2024 के यूरोपीय संसद चुनावों में, फ्रांस की नेशनल रैली और जर्मनी के आऊ जैसे दलों ने लगभग 25 फीसद सीटें जीतीं, जो पहले की तुलना में ज्यादा है। ये दल मुसलिम विरोधी और अप्रवासी-विरोधी बयानबाजी पर जोर देते हैं। अप्रवास को अपराध, कल्याण प्रणाली पर दबाव और सांस्कृतिक क्षरण से जोड़ते हैं। आस्ट्रिया की बात करें तो यहां फ्रीडम पार्टी है जो सख्त अप्रवास नियंत्रण की वकालत करती है। 2024 के अंत में 30 फीसद समर्थन के साथ मतदान में आगे थी।

फ्रांस/इटली/जर्मनी में नेशनल रैली (मरीन ले पेन) और ब्रदर्स ऑफ इटली (जार्जिया मेलोनी) जैसे दलों ने फासीवादी विचारों को सामान्य किया है। 2024 में अप्रवासी-विरोधी रुख से लाभ उठाया। जुलाई 2025 में, अप्रवासी केंद्रों पर हमले सहित चरम दक्षिणपंथी घटनाएं बढ़ीं।

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वृहद यूरोप में 2024 की नई शरण नियमावली ‘निवारण’ पर जोर देती है, जिसमें सीमा पर धकेलने की नीतियां शामिल हैं। पर जनमत इसके साथ दिखतता है। देखा गया है कि अनियंत्रित अप्रवास चरमपंथ को बढ़ावा देता है। एक अध्ययनकर्ता ने फ्रांस और जर्मनी में कम आत्मसात दर के कारण दक्षिणपंथ की लोकप्रियता को उजागर किया। आलोचक, हालांकि, फासीवाद के केंद्र के रूप में नस्लवाद (विशेष रूप से अश्वेत और मुस्लिम-विरोधी) की चेतावनी देते हैं।

वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका में सीमा संकट ने खास तरह का राजनीतिक ध्रुवीकरण किया है। अमेरिका में 2024 के चुनाव के दौरान अप्रवासी-विरोधी उन्माद चरम पर था, डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रवासियों को ‘आक्रमणकारी’ के रूप में चित्रित किया, जो अपराध और आर्थिक समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं। मतदान में अवैध अप्रवास शीर्ष चिंता थी, जिसने रिपब्लिकन की जीत में योगदान दिया। 2025 तक, चरम दक्षिणपंथी मिलिशिया सीमाओं पर गश्त कर रहे थे, और निर्वासन की बयानबाजी तेज हो गई।

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कनाडा, जो लंबे समय तक अप्रवास की सफल कहानी रहा, अब तनाव का सामना कर रहा है। 2023-2024 में उच्च प्रवाह (1 मिलियन से अधिक) ने आवास और नौकरियों पर दबाव डाला, जिससे चरम दक्षिणपंथी कथानक को बढ़ावा मिला। कंजर्वेटिव नेता पियरे पाइलिवरे ने अप्रवासियों को मूल समस्याओं जैसे कि सामर्थ्य के लिए जिम्मेदार ठहराया। वहीं, आस्ट्रेलिया में कई तरह के बदलाव उल्लेखनीय हैं। ‘बहुसंस्कृतिवाद’ से 2025 में हजारों लोगों के अप्रवास-विरोधी प्रदर्शनों तक, नयो-नाजी से जुड़े वक्ताओं ने चरमपंथ के जोखिम को उजागर किया।

इनके अंतर्निहित कारण में आर्थिक दबाव (जैसे, आवास की कमी) को अहम माना गया है। अपराध की अतिशयोक्तिपूर्ण धारणा या पहचान खोने का डर पैदा किया जाता है। सोशल मीडिया इसे बढ़ाता है। इससे चरम दक्षिणपंथ को सबसे अधिक लाभ होता है। लोकलुभावन नेता वोटों के लिए अप्रवास के मुद्दों को गर्म करते रहते हैं। अप्रवास अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाता है। यह श्रम की कमी को पूरा करता है। ‘ह्यूमन राइट्स वाच’ का कहना है कि यूरोपीय नीतियां वैश्विक असमानता जैसे मूल कारणों को हल किए बिना जीवन को खतरे में डालती हैं। कोई एक सोशल मीडिया पोस्ट गलत धारणा को बखूबी बढ़ा सकता है।

सितंबर 2025 तक यह अलगाववादी भावना कम होने के कोई संकेत नहीं दिखाती। इन देशों में चरम दक्षिणपंथी दलों को 20 से 30 फीसद समर्थन है, जो केंद्रवादी नीतियों को भी प्रभावित कर रहा है (जैसे, यूके की रवांडा योजना)। ट्रंप की अमेरिकी जीत और यूरोप का विखंडन नकल को प्रेरित कर सकता है, लेकिन अतिप्रतिक्रिया लाभकारी अप्रवास को रोक सकती है।

जांच, एकीकरण और जन शिक्षा जैसे संतुलित दृष्टिकोण चरमपंथ को कम कर सकते हैं। यूरोप, अमेरिका, कनाडा व आस्ट्रेलिया जैसे देश इस समय वैश्विकवाद के संक्रमणकाल से जूझ रहे हैं। मावतावाद के जनक देशों में ही इस पर सवाल है।