ऐसा लगभग हर विधानसभा या लोकसभा चुनाव में होता है जब कोई भी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करता है तो बगावत होती है। लेकिन हरियाणा बीजेपी की मुश्किल इससे ज्यादा है। 67 उम्मीदवारों की पहली सूची में तमाम जातीय समीकरणों को साधने के बाद पार्टी के अंदर बड़ी संख्या में नेता बगावत पर उतर आए हैं।

बड़ी संख्या में नेता पार्टी छोड़ रहे हैं और धड़ाधड़ इस्तीफे दे रहे हैं। अब तक 40 नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। कई जगहों पर पार्टी के नेता ही घोषित उम्मीदवारों के खिलाफ मैदान में उतर आए हैं।

ऐसे हाल में बीजेपी नेतृत्व के लिए समझना मुश्किल है कि आखिर उससे चूक कहां हुई है? निश्चित रूप से इन धड़ाधड़ इस्तीफों की वजह से प्रदेश बीजेपी से लेकर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व तक में हड़कंप है और नाराज नेताओं को मनाने के लिए पार्टी नेतृत्व ने अपने नेताओं की ड्यूटी लगाई है।

Haryana assembly election 2024 Haryana BJP candidates list 2024
लगातार तीसरी बार सरकार बना पाएगी बीजेपी? (Source-FB)

मनाने में जुटी पार्टी, नहीं मान रहे नेता

बागी नेताओं को मनाने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने हरियाणा में चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और प्रदेश के सह प्रभारी बिप्लव देव को जिम्मेदारी सौंपी है लेकिन अभी भी बागी नेताओं का गुस्सा ठंडा होता नहीं दिख रहा है।

पहली सूची में उतारे 13 जाट उम्मीदवार

बीजेपी ने उम्मीदवारों की पहली सूची में राज्य में ताकतवर जाट समुदाय के 13 नेताओं को उम्मीदवार बनाया। यह बीजेपी द्वारा किसी भी जाति को हरियाणा में दिए गए सबसे ज्यादा टिकट हैं। ऐसा करके पार्टी ने उसे लेकर बनाई गई इस धारणा को तोड़ने की कोशिश की है कि वह हरियाणा में जाट बनाम गैर जाट समीकरण की राजनीति कर रही है।

हरियाणा में पिछले कुछ सालों में हुए किसान आंदोलन, पहलवानों के आंदोलन के बाद ऐसा कहा जा रहा था कि बीजेपी को इस समुदाय की ओर से विधानसभा चुनाव में बहुत ज्यादा समर्थन नहीं मिलेगा। इसके अलावा कांग्रेस की ओर से सबसे बड़े चेहरे भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी जाट बिरादरी से आते हैं लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने जाट समुदाय को पूरी भागीदारी देने की कोशिश की है।

लेकिन हरियाणा में सबसे बड़े जाट नेता माने जाने वाले देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के भाई रणजीत सिंह चौटाला बगावत पर उतर आए हैं। वह रानियां सीट से टिकट चाहते थे लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला।

इसके अलावा जाट बिरादरी से आने वाले सुखविंदर मांडी, दीपक डागर, राधा अहलावत, जसबीर देशवाल, कृष्णमूर्ति हुड्डा जैसे चेहरे भी नाराज हैं।

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उचाना कलां सीट पर होगा जोरदार मुकाबला। (Source- dchautala/FB)

बीजेपी ने ओबीसी समुदाय के 16 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। लेकिन इसके बाद भी कई ओबीसी नेता पार्टी के घोषित उम्मीदवारों के विरोध में मैदान में उतर गए हैं। जैसे हरियाणा में ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष करण देव कंबोज ने पार्टी के सभी पदों के इस्तीफा दे दिया है। वह इंद्री सीट से टिकट चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया।

जैन, वैश्य वर्ग के नेता भी कर रहे विरोध

बीजेपी का समर्थक वर्ग माने जाने वाले वैश्य और जैन समुदाय से जुड़े हुए नेता भी पार्टी की पहली सूची के बाद बगावत की राह पर उतर आए हैं। हिसार से टिकट मांग रहीं हरियाणा सरकार की पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। कविता जैन ने भी सोनीपत सीट से टिकट नहीं मिलने पर बगावत का झंडा उठाया है।

हिसार से ही भाजपा के नेता तरुण जैन ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसी तरह वैश्य समुदाय के नेता और गुरुग्राम सीट से टिकट मांग रहे नवीन गोयल ने भी पार्टी छोड़ दी है। इन सब की नाराजगी निश्चित रूप से पार्टी के लिए भारी पड़ सकती है। बीजेपी ने पहली सूची में वैश्य समुदाय के 5 नेताओं को टिकट दिया है।

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नायब सिंह सैनी के कंधों पर बीजेपी को जीत दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है। (Source-NayabSainiOfficial)

दलित समुदाय में भी नाराजगी

दलित समुदाय के बीच भी पार्टी के खिलाफ नाराजगी दिखाई दे रही है। रतिया विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर पिछला चुनाव जीते लक्ष्मण नापा टिकट न मिलने की वजह से कांग्रेस में शामिल हो गए हैं जबकि हरियाणा की सैनी सरकार में सामाजिक न्याय मामलों के मंत्री विशंभर वाल्मीकि ने भी टिकट कटने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वाल्मीकि बवानी खेड़ा सीट से टिकट मांग रहे थे। जबकि दलित समुदाय के 13 नेताओं को बीजेपी ने टिकट दिया है।

बागी नेताओं को मनाने की कोशिश

जितने बड़े पैमाने पर बीजेपी में बगावत हुई है, उतनी ही तेजी से पार्टी नेतृत्व ने भी बागियों तक पहुंचने की कोशिश की है। इस मामले में सबसे ज्यादा सक्रिय मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली हैं। यह सभी नेता बागियों से लगातार फोन पर और वीडियो कॉलिंग के जरिए बातचीत कर उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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हरियाणा का विधानसभा चुनाव जीत पाएगी बीजेपी?(Source-FB)

अगर भाजपा अपने बागी नेताओं को मनाने में कामयाब नहीं हुई तो निश्चित रूप से हरियाणा में एक बार फिर सरकार बनाने के लिए की जा रही उसकी तमाम कोशिशों पर पानी फिर सकता है। लेकिन अगर वह बागियों को मना पाई और सभी नेताओं को एकजुट करने में सफल रही तो निश्चित रूप से चुनाव में जोरदार मुकाबला देखने को मिलेगा।

कांग्रेस नेताओं से मिल रहे बागी नेता

सवाल यह है कि अगर बीजेपी अपने बागी नेताओं को मनाने में कामयाब नहीं हो पाई तो क्या कांग्रेस को इससे फायदा मिलेगा? क्योंकि बीजेपी के कई बागी नेता हरियाणा कांग्रेस के नेताओं से मिल रहे हैं और पार्टी में शामिल हो रहे हैं। देखना होगा कि कांग्रेस हरियाणा बीजेपी में चल रही इस कलह का चुनाव में किस हद तक सियासी फायदा ले पाती है।