कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी के बयान पर गुरुवार (28 जुलाई) को संसद के दोनों सदनों में भारी हंगामा हुआ। लोकसभा में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में भाजपा ने जोरदार विरोध किया। दोनों नेत्रियों ने अधीर रंजन चौधरी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगने की बात कही।
27 जुलाई को मीडिया से बात करते हुए रंजन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ‘राष्ट्रपत्नी’ कह दिया था। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि उनसे गलती हो गई। जुबान फिसल गई। स्मृति ईरानी ने सदन में कथित अपमानजनक तरीके से कांग्रेस को आदिवासी विरोधी और महिला विरोधी बताया। साथ ही पार्टी पर सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर को ‘अपमानित’ करने का आरोप लगाया।
भारत में पहले भी एक महिला राष्ट्रपति रह चुकी हैं। तब पहली बार राष्ट्र प्रमुख को संबोधित करने के उचित तरीके पर बहस हुई थी। हालांकि बहस जल्द ही खत्म हो गयी थी क्योंकि नेताओं की इस बात पर सहमति हो गई थी कि भारत की संवैधानिक योजना में राष्ट्रपति और सभापति जैसे शब्द जेंडर न्यूट्रल (लिंग-तटस्थ) हैं।
जब प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति थीं
जब यूपीए ने 2007 के राष्ट्रपति चुनाव में राजस्थान की पूर्व राज्यपाल प्रतिभा पाटिल को मैदान में उतारने का फैसला किया, तो इस मुद्दे पर कुछ चर्चा और अटकलें थीं। पहली बार एक महिला भारत की राष्ट्रपति बनने जा रही थीं। तब लोगों के बीच इस बारे में उत्सुकता थी कि उनके लिए उचित संबोधन क्या होगा।
तब कुछ सुझाव भी दिए गए थे, जिसमें ‘राष्ट्रपत्नी’ शब्द भी शामिल था। लेकिन उसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। एक्टिविस्ट्स और नारीवादियों ने राष्ट्रमाता जैसी अभिव्यक्तियों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि संवैधानिक पद के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल “पितृसत्तात्मक” है।
संविधान विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि राष्ट्रपति शब्द को संविधान सभा में चर्चा के बाद अंतिम रूप दिया गया था। इसे सिर्फ इसलिए नहीं बदला जाना चाहिए क्योंकि भारत में एक महिला राष्ट्रपति बन गई हैं। इस शब्द का किसी लिंग विशेष से कुछ लेना देना नहीं है। यह सिर्फ इतना है कि ‘प्रेसिडेंट’ शब्द का हिन्दी में ‘राष्ट्रपति’ के रूप में अनुवाद कर दिया गया है।
संविधान विशेषज्ञों सुभाष कश्यप ने उस समय बताया था कि तत्कालीन राज्यसभा उपसभापति नजमा हेपतुल्ला को हमेशा “उपसभापति” के रूप में संबोधित किया जाता था। इस प्रकार राष्ट्रपति पाटिल को “राष्ट्रपति महोदय” कहा जा सकता है। तब से भारत में दो महिला स्पीकर मीरा कुमार और सुमित्रा महाजन रही हैं और दोनों को ‘सभापति’ कहकर संबोधित किया जाता था।
पाटिल की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए शिवसेना ने तत्कालीन भाजपा के नेतृत्व वाले विपक्ष से नाता तोड़ लिया था। शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे ने जून 2007 में अपनी पार्टी के मुखपत्र सामना में एक नए शब्द का सुझाव देकर बहस को सुलझाने की कोशिश की थी। तब ठाकरे ने लिखा था, मुझे लगता है कि ‘पति’ या ‘पत्नी’ की कोई जरूरत नहीं है, प्रतिभा ताई को राष्ट्राध्यक्ष कहा जाना चाहिए।
हालांकि चर्चा जल्द ही समाप्त हो गई। राष्ट्रपति पाटिल को उनके कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति ही कहकर संबोधित किया गया। उनका कार्यकाल जुलाई 2012 में समाप्त हुआ था।
संविधान सभा में क्या हुआ था?
संविधान सभा में भी इस बात की चर्चा हुई थी कि राष्ट्रपति को कैसे संबोधित किया जाना चाहिए। दिसंबर 1948 में संविधान सभा में बहस के दौरान, एच वी कामथ ने मूल मसौदे में संशोधन पर आपत्ति जताई थी जिसे जवाहरलाल नेहरू ने 4 जुलाई, 1947 को पेश किया था।
डॉ भीमराव अम्बेडकर से मुखातिब होते हुए, कामथ ने पूछा था, ”मैं डॉ अम्बेडकर से जानना चाहता हूं कि आज संविधान के मसौदे में जो आर्टिकल आया है उसमें से ‘राष्ट्रपति’ शब्द को क्यों हटा दिया गया है। क्या इसलिए कि हमने अब कुछ भारतीय या हिंदी शब्दों के प्रति एक नई-नई नापसंदगी विकसित कर ली है। संविधान के अंग्रेजी मसौदे में जहां तक संभव हो उनसे बचने की कोशिश कर रहे हैं?” उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति शब्द ने ‘समान सम्मान’ प्राप्त की थी क्योंकि उसका इस्तेमाल स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस संगठन के प्रमुख के लिए किया जाता था।
अम्बेडकर ने समझाया कि इसमें कोई पूर्वाग्रह शामिल नहीं है। परिवर्तन केवल इसलिए हुआ था क्योंकि जो समिति अंग्रेजी में संविधान का मसौदा तैयार कर रही थी, उसने यह उन लोगों पर छोड़ दिया था जो हिंदी और हिंदुस्तानी में मसौदा तैयार कर रहे थे। हिंदुस्तानी में मसौदे में “राष्ट्रपति” का इस्तेमाल किया गया है, हिंदी में “प्रधान” का इस्तेमाल किया गया है। अम्बेडकर ने संविधान सभा को आगे बताया कि मुझे अभी-अभी बताया गया है कि उर्दू के मसौदे में ‘सरदार’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
बहस के दौरान यह भी सुझाव दिया गया कि “राष्ट्रपति” शब्द की जगह “नेता” या “कर्णधार” शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लेकिन नेहरू ने सुझाव दिया कि राष्ट्रपति शब्द को ही अंतिम रूप दिया जाना चाहिए।
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