लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के लिए राजस्थान से भी खराब खबर है। यहां पार्टी को 14 सीटों पर जीत मिली है जबकि राजस्थान वह राज्य है जहां बीजेपी 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है।
2019 के लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी ने तब भी 25 सीटें जीती थी, जब राज्य में उसकी सरकार नहीं थी। इस बार राज्य में सरकार होने के बावजूद पार्टी का प्रदर्शन पिछली बार के मुकाबले काफी खराब दिखाई दे रहा है।
शायद ऐसे प्रदर्शन की उम्मीद बीजेपी के केंद्रीय और राजस्थान के स्थानीय नेतृत्व को भी नहीं थी। पहली बार विधायक बन कर सीएम बने भजन लाल शर्मा ने भी कई बार कहा था कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के खाते में सभी 25 सीटें डालना उनका लक्ष्य रहेगा। उन्हें सीएम बनाने के चलते पार्टी में अंदरूनी नाराजगी भी देखी गई थी। हालांकि, तब यह खुल कर सामने नहीं आई थी। अब आशंका है कि भजन लाल को पार्टी के उनके विरोधी निशाने पर लें और भाजपा नेतृत्व पर उन पर गाज गिराने का दबाव बनाएं।
एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आने के बाद से ही राजस्थान बीजेपी में खलबली सुनाई देने लगी थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कह दिया था कि उन्हें जिन 7 सीटों पर पार्टी के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी, अगर उनमें कोई भी सीट बीजेपी हारती है तो वह कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे देंगे।
किरोड़ी लाल मीणा को पूर्वी राजस्थान में दौसा, भरतपुर, धौलपुर, करौली, अलवर, टोंक, सवाई-माधोपुर और कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र में चुनाव अभियान की जिम्मेदारी दी गई थी।

किरोड़ी लाल मीणा ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को कई पत्र लिखकर सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का नुकसान होने का आरोप लगाया था। किरोड़ी लाल मीणा ने राजस्थान स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में कथित रूप से अरबों रुपए का घोटाला होने की बात भी अपने पत्र में लिखी थी।
इसे लेकर भी राजस्थान बीजेपी के अंदर ठीक संकेत नहीं दिखाई दिए थे।
दिसंबर, 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां 200 में से 115 सीटों पर जीत दर्ज की थी और पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया था। निश्चित रूप से ऐसे किसी राज्य में जहां पर भाजपा ने दो बार लगातार सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की हो, वहां उसका इस बार सिर्फ 14 सीटों पर आगे रहना दिखाता है कि पार्टी के कामकाज को लेकर लोग खुश नहीं हैं, वरना चुनाव के रुझान इस तरह के नहीं आते।

कांग्रेस ने खड़ा किया गठबंधन
कांग्रेस ने राजस्थान में इस बार दूसरे दलों को जोड़कर एक मजबूत गठबंधन खड़ा कर चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने राज्य में 22 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और उसने तीन सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ी। इसमें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, सीपीएम और भारतीय आदिवासी पार्टी तीनों को एक-एक सीट मिली जबकि दूसरी ओर बीजेपी ने अकेले चुनाव लड़ा।
निश्चित रूप से कांग्रेस के द्वारा गठबंधन बनाने का उसे राजस्थान में फायदा मिलता दिख रहा है और उसने चुनाव में बीजेपी को जोरदार टक्कर दी है।
राजस्थान का जातीय समीकरण
राजनीतिक दलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, राजस्थान में दलित मतदाता 18% जबकि आदिवासी मतदाता 14%, हैं। इसमें मीणा अकेले 7% की हिस्सेदारी रखते हैं। राजस्थान में 9 से 10% आबादी मुसलमानों की है। ओबीसी मतदाता यहां 40% हैं। ओबीसी मतदाताओं में गुर्जर 6% और जाट 10% के आसपास हैं।
सवर्ण मतदाताओं की बात करें तो ब्राह्मण 7% राजपूत 6% और वैश्य समुदाय के मतदाता 4% हैं।

राजस्थान में बीजेपी ने जब भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया था तो पार्टी में असंतोष दिखाई दिया था। राजस्थान में 1990 के बाद से अब तक कोई भी ब्राह्मण नेता मुख्यमंत्री नहीं बना था। भजनलाल शर्मा के पास हालांकि संगठन में काम करने का अनुभव था लेकिन वह पहली बार ही विधायक बने थे। कहा गया था कि उस दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज किया गया।
ज्यादा आबादी होने की वजह से जाट समुदाय के लोग चाहते थे कि उनके नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाए।