Rajasthan Deputy CM Oath Ceremony: राजस्थान के उपमुख्यमंत्री बने प्रेम चंद बैरवा का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। एक समय उन्हें मजदूरी भी करनी पड़ी थी। लेकिन, वह लगातार मेहनत करते गए और आगे बढ़ते गए। मजदूर से एजेंट, प्रॉपर्टी डीलर, कारोबारी और फिर नेता बन गए। आज उनके पास न केवल नाम है, बल्कि करीब 4.50 करोड़ रुपए की संपत्ति भी है। वह एक पेट्रोल पंप के मालिक भी हैं।
प्रेम चंद बैरवा की अचल संपत्ति 4.25 करोड़ रुपये और चल संपत्ति 23.37 लाख रुपये की है। 2018 के हलफनामे से तुलना करें तो अचल संपत्ति (3.37 करोड़ रुपये) बढ़ी और चल (27.11 लाख रुपये) घटी है। वित्त वर्ष 2022-23 में बैरवा ने अपनी आय 16 लाख 94 हजार 620 रुपये बताई थी। इसी वित्त वर्ष में पत्नी की आय चार लाख 58 हजार 700 रुपये थी।
चुनावी एफिडेविट में बैरवा ने अपने पास एक लाख 25 हजार 900 रुपये और पत्नी के पास 52 हजार 450 रुपये कैश दिखाया था। बैरवा के नौ बैंक खातों में तीन लाख 83 हजार 871 रुपये हैं। पत्नी के पास एक बैंक अकाउंट है, जिसमें 42 हजार 261 रुपये हैं। बैरवा ने राष्ट्रीय बचत योजना में भी 26 हजार रुपये निवेश किया है।
प्रेम चंद बैरवा के पास 11 लाख रुपये से अधिक की एक कार और 40 हजार की एक बाइक है। पत्नी के पास भी एक कार और एक बाइक है। बैरवा के पास 200 ग्राम सोना (6 लाख 50 हजार रुपये) और पत्नी के पास 250 ग्राम सोना (7 लाख 50 हजार रुपये) है। पत्नी के पास चार किलो चांदी (2 लाख 75 हजार रुपये) भी है।
अब जमीन की बात करें तो प्रेम चंद बैरवा के पास कृषि योग्य 47.929 एकड़ जमीन है। इतने जमीन का वर्तमान बाजार मूल्य तीन करोड़ है। पत्नी के पास 5.56 एकड़ जमीन है, जिसकी कीमत 20 लाख रुपये है। बैरवा के पास 130683 वर्ग फुट गैर कृषि भूमि भी है, जिसकी कीमत अब 55 लाख रुपये हो चुकी है।
पत्नी-पत्नी दोनों खेती और व्यापार से पैसा कमाते हैं। बैरवा एक पेट्रोल पंप (BPCL) के डीलर भी हैं। आश्रितों के पास फिलहाल आय का कोई स्रोत नहीं है।
संघ के रास्ते राजनीति में बढ़ाया कदम
तमाम दुश्वारी के बावजूद प्रेम चंद बैरवा ने पढ़ाई जारी रखी। साल 2010 में बैरवा ने राजस्थान विश्वविद्यालय से पीएचडी की पढ़ाई पूरी की थी। छात्र जीवन में ही वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के करीब आ गए थे। कॉलेज के दिनों में RSS के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में सक्रिय थे। छात्र राजनीति करते थे। साल 1993 में 24 साल की उम्र में भाजपा से जुड़ गए। एक बार जिला परिषद बनें। पार्टी में मंडल महामंत्री से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के कई पदों पर काम किया है। वर्तमान में एससी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं।
समाज सेवा की सीख बचपन में ही पिता से मिली। उन्होंने मृत्यु भोज और अन्य सामाजिक कुरीतियों को बंद करवाने पर जोर दिया। पत्नी नारायणी देवी ने दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में बताया है कि उनके पति मृत्यु भोज में कभी शामिल नहीं होते। बैरवा ने अपने बड़े भाई और भाभी की मौत पर भी नुक्ता (मृत्यु भोज) नहीं कर, समाज को इस कुप्रथा को बंद करने का संदेश दिया था।
प्रेम चंद बैरवा को राजनीति में पहली बड़ी सफलता साल 2013 में मिली, जब वह कांग्रेस के हजारी लाल नागर को हराकर दूदू के विधायक बने। हालांकि 2018 का चुनाव कांग्रेस के बाबूलाल नागर से हार गए। प्रेम चंद बैरवा ने बाबू लाल से पिछली हार का बदला इस चुनाव में ले लिया है। 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बैरवा 35,743 वोटों के अंतर से जीते हैं।
बकरी चराया, मजदूरी की, कपड़े सिले, बीमा बेचा, प्रॉपर्टी डीलर भी रहे…
वर्तमान में प्रेम चंद बैरवा भले ही करोड़ों की संपत्ति के मालिक हो, उनके पास घर, गाड़ी, जमीन और बड़ा पद, सबकुछ हो लेकिन प्रारंभिक जीवन बहुत मुश्किलों भरा था। उन्होंने जीवनयापन के लिए हर वो काम किया, जो वह कर सकते थे। पिता गरीब किसान थे। घर के नाम पर एक झोपड़ी थी।
परिवार के भरण-पोषण के लिए प्रेम चंद बैरवा पढ़ाई के साथ-साथ खेतों में मजदूरी करती थे। उन्होंने बकरी चराई है, सिलाई किया है, बीमा बेचा है। बाद में कपड़ा सिलने के साथ-साथ उसके एक्सपोर्ट का भी काम करने लगे। धीरे-धीरे अपने क्षेत्र के स्थापित व्यापारी बन गए।
बैरवा सादी जिंदगी जीते हैं। उन्हें खाने में लौकी सबसे ज्यादा पसंद है। घर के सामने अपने लिए हरी साग-सब्जी भी उगाते हैं। भजन गाना और भजन पर नाचना, दोनों उन्हें बहुत पसंद है। पत्नी बताती हैं कि बैरवा ढोलक और मंजीरा भी बढ़िया बजा लेते हैं। बैरवा की जिंदगी के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:
