राजस्थान बीजेपी के नए अध्यक्ष बनाए गए मदन राठौड़ ने कुछ महीने पहले ही पार्टी के खिलाफ बगावत का झंडा उठाया था। 70 साल के मदन राठौड़ को चित्तौड़गढ़ के सांसद सीपी जोशी की जगह पर प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। राजस्थान में इस बार बीजेपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है और उसे 25 सीटों वाले इस प्रदेश में 11 सीटों पर हार मिली है।

बीजेपी को निश्चित तौर पर राजस्थान में बड़ा झटका लगा है क्योंकि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को सभी 25 सीटों पर जीत मिली थी।

मदन राठौड़ को लो प्रोफाइल वाले नेता के रूप में जाना जाता है। राठौड़ दो बार 2003 और 2013 में पाली जिले की सुमेरपुर सीट से विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं।

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…जाओ और अपना नामांकन वापस ले लो

पिछले साल के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में जब मदन राठौड़ को पार्टी ने टिकट नहीं दिया था तो उन्होंने पार्टी के फैसले के खिलाफ बगावत कर दी थी। राठौड़ ने कहा था कि वह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरेंगे। उस दौरान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन किया था।

राठौड़ बताते हैं कि प्रधानमंत्री ने उनसे सिर्फ एक लाइन कही थी- ‘जाओ और अपना नामांकन वापस ले लो। मैंने चुपचाप वही किया क्योंकि मेरे पास कहने के लिए कुछ और नहीं था।’

नवंबर के अंत में पाली में हुई एक चुनावी रैली में राठौड़ ने प्रधानमंत्री से पहले रैली को संबोधित किया था और प्रधानमंत्री को जनसभा में उपस्थित लोगों को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था।

इस साल की शुरुआत में मदन राठौड़ को बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था। तब राठौड़ ने कहा था कि हर किसी को धैर्य रखने की जरूरत है और जिन लोगों के पास धैर्य होता है, पार्टी उन्हें जरूर सम्मान देती है। राठौड़ ने कहा कि पाली में हुई चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बुलाया था और ढांढस बंधाया था।

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बीजेपी ने किया जातीय समीकरण को बैलेंस

बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि मदन राठौड़ का प्रदेश अध्यक्ष पद पर चयन जातीय समीकरणों को बैलेंस करने के लिहाज से जरूरी था क्योंकि अभी तक मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पार्टी अध्यक्ष का पद संभाल रहे सीपी जोशी ब्राह्मण समुदाय से थे। राज्य में जल्द ही पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं।

राठौड़ ओबीसी के तहत आने वाली घांची जाति से आते हैं। उनके पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ अच्छे संबंध हैं।

बीजेपी ने काट दिया था टिकट

राठौड़ दोनों बार तब विधायक बने थे, जब वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं। राठौड़ ने 2003 में जब पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था तो उन्होंने कांग्रेस की उम्मीदवार बीना काक को हराया था लेकिन 2008 के विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया था। कहा जाता है कि उस दौरान राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष रहे ओम माथुर के साथ उनके मतभेद थे।

राठौड़ को 2013 में फिर से उम्मीदवार बनाया गया और उन्होंने बीना काक को हराया था। 2014 से 2018 के बीच वह विधानसभा में पार्टी के के डिप्टी चीफ व्हिप रहे थे लेकिन 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव में राठौड़ को बीजेपी का टिकट नहीं मिला था।

संघ से बीजेपी में आए हैं राठौड़

राठौड़ लंबे वक्त से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं और जब वह युवा थे तभी से वह संघ की शाखाओं में जाने लगे थे। उन्होंने संघ शिक्षा वर्ग में तीन बार ‘ऑफिसर्स ट्रेनिंग’ की है। राज्यसभा में उनके बारे में दी गई जानकारी के मुताबिक पहली बार 1968 में जब उनकी उम्र सिर्फ 14 साल थी, तब उन्होंने ‘ऑफिसर्स ट्रेनिंग’ का कोर्स किया था। इसके बाद 1971 और 1972 में भी वह इस ट्रेनिंग से होकर गुजरे थे।

राठौड़ उस वक्त आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय थे और उन्होंने छात्र संघ चुनाव में भी हिस्सा लिया था। 1970 के दशक के अधिकांश समय तक वह आरएसएस प्रचारक के तौर पर काम करते रहे और पाली और जयपुर की ग्रामीण बेल्ट में सक्रिय रहे।

आपातकाल के दौरान उन्हें क्रांतिदूत अखबार के प्रकाशन और आपातकाल के खिलाफ संगठित होकर संघर्ष का नेतृत्व करने का श्रेय दिया जाता है।

बदलापुर सीट से विधायक रमेश चंद्र मिश्रा। (Source-Rameshforbadlapur/FB)

मंदिर आंदोलन में गए थे जेल

मदन राठौड़ 1970 और 1980 में कई आंदोलनों से जुड़े रहे थे। इनमें राम जन्म भूमि आंदोलन भी शामिल है और आंदोलन के तहत 1992 में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। 1980 में वह बीजेपी में शामिल हो गए और 1987 से 1989 तक पाली जिले के कोषाध्यक्ष रहे। वह चार बार 1989-92, 1992-96, 2003-05 और 2013-15 तक पाली जिले के बीजेपी अध्यक्ष भी रह चुके हैं।