राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 की तारीख करीब आ रही है। इस बीच, टिकट कटने या न मिल पाने से नाराज नेताओं के बगावती तेवर भी तीखे होते जा रहे हैं। बीजेपी के एक नेता विकास चौधरी ने 19 अक्तूबर को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक का बुलावा ठुकरा दिया और साफ कहा कि वह जनता के बीच हैं। यह नेता हैं विकास चौधरी।
विकास चौधरी करीब 36 साल के युवा नेता हैं। उनको 2018 में किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने टिकट दिया था, लेकिन वह निर्दलीय सुरेश टाक से 17452 वोट के अंतर से चुनाव हार गए थे। बताया जाता है कि पिछली बार जाट वोट के बंटवारे के चलते उनकी हार हुई। विकास और सुरेश टाक जाट समुदाय से हैं। टाक ने बांद में कांग्रेस को समर्थन दिया था। इस बार उम्मीद है कि वह कांग्रेस के उम्मीदवार बन कर उतरें।
पहले रोए, अब बगावत पर उतरे
बताया जाता है कि अपनी पहली चुनावी हार के बाद विकास चौधरी इस बार भी टिकट की आस लगाए बैठे थे, लेकिन पहली ही सूची में बीजेपी ने किशनगढ़ से भागीरथ चौधरी (मौजूदा अजमेर सांसद) का नाम जारी कर दिया। इसके बाद विकास चौधरी कार्यकर्ताओं को दर्द सुनाते हुए रो पड़े थे। लेकिन, फिर वह बगावती मूड में आ गए। उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने की चर्चा है।
निमंत्रण के बावजूद नड्डा की बैठक में नहीं पहुंचे विकास चौधरी
19 अक्तूबर को जेपी नड्डा ने उनके इलाके में नेताओं के साथ बैठक की। उस बैठक के लिए बुलाए जाने के बावजूद विकास नहीं गए। विकास का साफ कहना है कि वह जनता के बीच थे, इसलिए नहीं गए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि लड़ाका हूं, लड़ कर मरूंगा। दरअसल, विकास क्षेत्र में लगातार अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं। अनुमान है कि वह निर्दलीय नामांकन दाखिल करेंगे।
डॉक्टरेट हैं विकास चौधरी
डॉक्टरेट की डिग्री रखने वाले विकास ने अजेमर में कॉलेज की राजनीति से शुरुआत की थी। उनका कहना है कि 2018 में विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी वह पांच साल क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। उन्हें टिकट नहीं देकर भाजपा ने उनका करियर बर्बाद कर दिया। किशनगढ़ के अलावा भी कई सीटों पर भाजपा को नेताओं के बगावती तेवर झेलने पड़ रहे हैं। इनमें तिजारा, नगर, बानसूर आदि शामिल हैं।
कई और सीटों पर बगावत
तिजारा में सांसद बालक नाथ के खिलाफ मामन सिंह यादव ने बगावत कर दी है। नगर में अनिता सिंह गुर्जर ने भी जवाहर सिंह बेडम के खिलाफ बगावती झंडा उठाया हुआ है। जवाहर सिंह को टिकट मिलने के बाद नैमसिंह फौजदार ने भी बीजेपी छोड़ रावण की पार्टी जॉयन की है।
बानसूर में तो रोहिताश्व र्श्मा ने पार्टी बदल कर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी और मंत्री रहे रोहिताश्व शर्मा ने भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण की पार्टी (आजाद समाज पार्टी) की सदस्यता ले ली है।
बगावत केवल भाजपा में ही नहीं हो रही है, कांग्रेस भी इससे परेशान है। बामनवास से विधायक इंद्रा मीना ने टिकट घोषित होने से पहले ही ऐलान कर दिया कि वह 2 नवंबर को नामांकन दाखिल करेंगी। उधर, सिरोही में कांग्रेस नेता कुलदीप सिंह देवड़ा 19 अक्तूबर को भाजपा के हो गए। वैसे चुनावी मौसम में दल-बदल और बगावत कोई नई बात नहीं है। 2018 के चुनाव के वक्त भी राजस्थान के 11 मौजूदा व पूर्व विधायकों ने दल-बदल किया था।