लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार (18 सितंबर) को चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर ‘भारतीय लोकतंत्र को नष्ट करने वाले लोगों को बचाने’ का आरोप लगाया। चुनाव आयोग ने पलटवार करते हुए कहा कि आरोप गलत और निराधार हैं। राहुल गांधी ने कर्नाटक के अलंद विधानसभा सीट का जिक्र किया। चुनाव आयोग ने अपने जवाब में आलंद का नाम लेते हुए कहा कि 2023 में आलंद विधानसभा क्षेत्र में नाम हटाने के कुछ असफल प्रयास किए गए थे और मामले की जांच के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों द्वारा ही एक FIR दर्ज की गई थी।

आलंद का मामला कब उठाया गया था?

2023 में आलंद में भी ऐसे आरोप सामने आए थे। एक मतदाता ने दावा किया था कि उसकी बहन, जो एक बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) है, उसे मतदाता सूची से उसके परिवार के कई सदस्यों के नाम हटाने के लिए फॉर्म 7 के आवेदन मिले थे। फॉर्म इस आधार पर मिले थे कि वे बाहर चले गए हैं, जबकि ऐसा नहीं था। कांग्रेस ने तब यह मुद्दा उठाया था और कहा था कि वह अलंद और अन्य विधानसभा सीटों के बारे में चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराएगी। पुलिस में मामला भी दर्ज किया गया था। चुनाव आयोग ने भी आज 2023 में अलंद में पाई गई अनियमितता का ज़िक्र किया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि उसने इस मामले में स्वतः शिकायत दर्ज कराई थी।

बीएलओ कौन होता है और फॉर्म 7 क्या होता है?

चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा, “राहुल गांधी की गलतफहमी के अनुसार किसी भी आम आदमी द्वारा किसी भी वोट को ऑनलाइन नहीं हटाया जा सकता। प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिए बिना वोट नहीं हटाया जा सकता।” नियमों के अनुसार बीएलओ किसी मतदाता की मृत्यु या निवास स्थान बदलने के आधार पर उसका नाम हटाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। हालांकि मतदाता का नाम हटाने से पहले एक बार वेरिफिकेशन किया जाना जरूरी है।

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बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) आमतौर पर एक स्थानीय सरकारी अधिकारी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सरकारी स्कूल शिक्षक आदि होता है, जो किसी विशेष क्षेत्र का रजिस्टर्ड मतदाता होता है और उस क्षेत्र और उसके निवासियों से परिचित होता है। चुनाव आयोग के स्थानीय प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए बीएलओ मतदाता सूची को अपडेट करने में मदद करता है।

चुनाव आयोग की 2018 की एक नियमावली में कहा गया है, “बीएलओ उक्त क्षेत्र के गांवों का लगातार दौरा करेंगे और स्थानीय लोगों खासकर गांव के बुजुर्गों और जमीनी स्तर के निर्वाचित प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे और सूची में मृत/स्थानांतरित/डुप्लिकेट मतदाताओं के नामों की पहचान करेंगे।”

फॉर्म 7 में क्या लिखा होता है?

फॉर्म 7 (जिसे बीएलओ या उस निर्वाचन क्षेत्र का कोई भी मतदाता भर सकता है) में लिखा है, “मैं मतदाता सूची में नीचे उल्लिखित व्यक्ति के नाम के प्रस्तावित समावेशन पर आपत्ति करता/करती हूं। मैं अनुरोध करता/करती हूं कि नीचे उल्लिखित व्यक्ति के नाम से संबंधित प्रविष्टि को हटाया जाए। मैं अनुरोध करता/करती हूं कि मतदाता सूची से मुझसे संबंधित प्रविष्टि को हटाया जाए। मेरी आपत्ति/हटाने के समर्थन में विवरण दिए गए हैं।”

इसके बाद बीएलओ के दावों का वेरिफिकेशन एक क्षेत्रीय सत्यापन अधिकारी द्वारा किया जाता है। चुनाव आयोग यह भी कहता है कि नाम हटाए जाने की स्थिति में नोटिस जारी किया जाता है और मतदाताओं को आपत्ति दर्ज करने और सुनवाई का अवसर दिया जाता है।”

फॉर्म 7 का इस्तेमाल वोटर लिस्ट से किसी भी मतदाता के नाम को हटाने के लिए किया जा सकता है। यह काम दोनों ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीके से किया जा सकता है।

जानें पूरी प्रक्रिया

  • आवेदन तैयार करने के लिए स्टेट इलेक्शन कमिशन की वेबसाइट से पीडीएफ डाउनलोड करें या BLO कार्यालय से फॉर्म हासिल करें
  • फॉर्म में नाम, EPIC नंबर, सीरियल नंबर, नाम हटाने का कारण समेत अन्य जानकारी भरें
  • फॉर्म को BLO कार्यालय में जमा करें/ यदि ऑनलाइन करना चाहते हैं तो वोटर सर्विसेज पोर्टल पर सबमिट करें
  • इसके बाद आवेदन में दिए गए विवरण की जांच होगी। यदि मृत्यु बताया गया है तो मृत्यु प्रमाण पत्र, अगर एड्रेस बदला है तो एड्रेस प्रूफ मांगा जा सकता है
  • अगर ERO संतुष्ट हो गया आवेदन सही है तो नाम हटा दिया जाता है और निर्णय की सूचना भेजी जाती है। अगर संतुष्ट नहीं है तो ERO सुनवाई करते हैं
  • आवेदन की स्थिति NVSP पोर्टल या राज्य निर्वाचन कार्यालय से ट्रैक की जाती है