लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को एक्स पर कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट यानी ईडी उनके खिलाफ छापेमारी की तैयारी कर रही है और इसके पीछे वजह यह है कि 2 इन 1 को उनके द्वारा संसद में दिया गया चक्रव्यूह वाला भाषण पसंद नहीं आया।

संसद में बजट की आलोचना करते वक्त राहुल गांधी ने कहा था कि 6 लोगों के द्वारा ‘कमल के आकार का चक्रव्यूह’ रचा गया है और इसने भारत के लोगों को इस तरह फंसा दिया है, जैसे अर्जुन के बेटे अभिमन्यु को कुरुक्षेत्र के युद्ध में चक्रव्यूह में कौरवों द्वारा फंसा दिया गया था और मार दिया गया था।

क्या था द्रोणाचार्य का चक्रव्यूह?

महाभारत के युद्ध के दसवें दिन भीष्म के युद्ध के मैदान में गिर जाने के बाद द्रोणाचार्य ने कौरवों की सेना की कमान अपने हाथ में ले ली थी। अगले 2 दिन तक जब सेना का युद्ध में प्रदर्शन बेहद औसत रहा तो कौरवों में सबसे बुजुर्ग दुर्योधन ने द्रोणाचार्य को डांटा और उन्हें याद दिलाया कि कौरव सेना को पांडवों को हराना है।

द्रोणाचार्य इस फटकार से बेहद शर्मिंदा हुए और उन्होंने सेना को चक्रव्यूह की तरह तैनात करने का फैसला किया।

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एंकर नाविका कुमार (Source- FB)

महाभारत के युद्ध में दोनों ही पक्षों ने कई व्यूह या सैन्य संरचनाओं में अपने-अपने सैनिकों को तैनात किया। इन व्यूह का मकसद सबसे ताकतवर योद्धाओं को ऐसी स्थिति में रखना था जहां से वे दुश्मन की सेना को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकें या फिर युद्ध का जो उद्देश्य है, उसे हासिल कर सकें।

सैनिकों को तैनात करने की हर संरचना में कुछ विशेष काउंटर्स भी होते थे, दुश्मन पक्ष इन संरचनाओं को तभी तोड़ सकता था, जब उसे इनके बारे में जानकारी हो।

चक्रव्यूह सबसे मुश्किल सैन्य संरचना

इस तरह की जितनी भी सैन्य संरचनाएं होती थी, उनमें चक्रव्यूह को सबसे मुश्किल माना जाता था क्योंकि बहुत कम योद्धा इस बात को जानते थे कि चक्रव्यूह को किस तरह बेअसर किया जाए। पांडव पक्ष की ओर से केवल कृष्ण, अर्जुन और अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु ही इस चक्रव्यूह को तोड़ना जानते थे।

जब द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह को तैनात किया तो उन्होंने इस बात को सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की कि अर्जुन और उनके सारथी कृष्ण का ध्यान यहां के बजाय कहीं और रहे।

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राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी।

अभिमन्यु की मुश्किल

अभिमन्यु की उम्र उस समय सिर्फ 16 साल थी। अभिमन्यु के साथ मुश्किल यह थी कि वह चक्रव्यूह के अंदर जाने के बारे में तो जानते थे लेकिन इस बारे में उन्हें पता नहीं था कि इससे बाहर कैसे निकला जाए।

ऐसा इस वजह से था क्योंकि अभिमन्यु जब अपनी मां के गर्भ में थे तभी उन्होंने चक्रव्यूह के अंदर कैसे प्रवेश किया जाता है, यह उस वक्त सीख लिया था जब उनके पिता अर्जुन अपनी पत्नी सुभद्रा को इस बारे में बता रहे थे। लेकिन जब वह सुभद्रा को इस बारे में बता रहे थे तो बीच में ही सुभद्रा को नींद आ गई थी और अभिमन्यु सिर्फ इतना ही सुन सके कि चक्रव्यूह के अंदर कैसे जाना है, वह इस बात को नहीं सुन सके कि इससे बाहर कैसे निकलना है।

अभिमन्यु जितने कुशल योद्धा थे, वह उतने ही बहादुर भी थे। वह जन्म से ही बहुत बहादुर थे और महाभारत में उन्हें कई जगह जन्मवीर कहकर पुकारा गया है। युद्ध के दौरान जैसे ही मैदान में चक्रव्यूह को तैनात किया गया, पांडव पक्ष के सैनिक इसके शिकंजे में फंस गए।

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2024 में लगभग दो गुनी हुई हैं कांग्रेस की सीटें। (Source-rahulgandhi/FB)

कौरव सेना ने किया विरोध, फंस गए अभिमन्यु

अभिमन्यु ने कई स्तरों वाली इस सैन्य संरचना में प्रवेश तो कर लिया और वह इसके केंद्र तक पहुंचने में भी कामयाब रहे। अभिमन्यु की योजना यह थी कि पांडव पक्ष के अन्य योद्धा उनके पीछे-पीछे चलें और सैन्य संरचना के अंदर घुसकर मारकाट शुरू कर दें लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्हें कौरवों की सेना से जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। विशेषकर जयद्रथ और द्रोणाचार्य द्वारा बनाई गई कुटिल योजना के चलते और इसकी वजह से युधिष्ठिर और भीम को कौरव सेना ने पकड़ लिया गया जबकि अभिमन्यु अंदर अकेला फंसे रह गये।

अभिमन्यु एक युवा योद्धा थे और वह शेर की तरह लड़े। उन्होंने कई कौरवों को मौत के घाट उतार दिया। इनमें दुर्योधन के बेटे लक्ष्मण भी शामिल थे जबकि दुर्योधन और दुशासन को गंभीर रूप से घायल कर दिया। युद्ध के अंत में कौरव सेना के छह योद्धाओं ने एक साथ अभिमन्यु पर हमला कर दिया और ऐसा करके उन्होंने युद्ध के नैतिक नियमों को तोड़ा था।

इस बड़े हमले में चूंकि कौरव सेना के पक्ष के लोगों की संख्या ज्यादा थी इसलिए अभिमन्यु ने थक-हार कर दम तोड़ दिया।