लोकसभा चुनाव 2024 अब अंत‍िम चरण में है। एक जून को सातवें चरण की वोट‍िंंग के साथ ही मतदान की प्रक्र‍िया पूरी हो जाएगी। उस द‍िन पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर भी वोट‍िंंग होगी। इसके ल‍िए प्रचार चरम पर है, लेक‍िन प्रचार से कुछ ऐसे स‍िख चेहरे ‘गायब’ हैं जो राज्‍य की जनता के बीच लोकप्र‍िय माने जाते रहे हैं। ऐसे नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा का नाम शामिल है।

82 साल के अमरिंदर सिंह लगभग दो दशक से पंजाब की चुनावी राजनीति के केंद्र में रहे हैं लेकिन इस बार उनकी गैर मौजूदगी निश्चित रूप से पंजाब के लोगों को खल रही है। अमरिंदर सिंह पंजाब में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैलियों में भी मंच पर नहीं दिखाई दिए। इसके पीछे वजह उनका स्वास्थ्य ठीक ना होना है।

पंजाब में अमरिंदर सिंह प्रकाश सिंह बादल के बाद सबसे अनुभवी नेता हैं। वह फौज में कैप्टन रह चुके हैं और 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध का हिस्सा भी रहे हैं।

1980 में अमरिंदर सिंह फौज छोड़कर राजनीति में आए। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी उनके स्कूल के दोस्त थे।

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जालंधर में 24 मई को आयोजित चुनावी सभा में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।(Source- PTI )

Amarinder Singh: पत्नी के चुनाव प्रचार में भी नहीं आए अमरिंदर

अमरिंदर सिंह 1999 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। 2002 और 2017 में भी उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। अमरिंदर सिंह ने 2021 में पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का गठन किया था। 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस का बीजेपी में विलय कर दिया।

अमरिंदर सिंह जैसे हैवीवेट नेता अगर बीजेपी के उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार करते तो निश्चित रूप से बीजेपी को कुछ फायदा हो सकता था। लेकिन वह अपनी पत्नी के लिए भी चुनाव प्रचार नहीं कर सके।

Parneet Kaur Patiala: किसानों का झेलना पड़ रहा विरोध

अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर बीजेपी के टिकट पर पटियाला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। उनकी बेटी जय इंदर कौर पंजाब में भाजपा महिला मोर्चा की प्रधान हैं। अमरिंदर सिंह जब कांग्रेस में थे तो वह पंजाब और इसके बाहर भी पार्टी के लिए प्रचार करते थे।

पंजाब में किसान लगातार भाजपा का विरोध कर रहे हैं। बीजेपी के उम्मीदवारों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शन का आह्वान किया हुआ है। परनीत कौर को भी किसानों का गुस्सा झेलना पड़ा है।

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परमजीत कौर खालरा और अमृतपाल सिंह।

Navjot Singh Sidhu: अमरिंदर और चन्नी से भिड़ते रहे सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू भी पूरे चुनाव प्रचार के दौरान पंजाब में नहीं दिखाई दिए। सिद्धू इंडियन प्रीमियर लीग में बतौर कमेंटेटर मौजूद रहे। सिद्धू अमृतसर से बीजेपी के टिकट पर सांसद रहे लेकिन कुछ साल पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

कांग्रेस में आने के बाद सिद्धू की पहले अमरिंदर सिंह से लगातार भिड़ंत होती रही। नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन अमरिंदर सिंह के इस्तीफा के बाद कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी। नवजोत सिंह सिद्धू की चरणजीत सिंह चन्नी से भी नहीं बनी और इस लड़ाई का खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा और वह सत्ता से बाहर हो गई।

सिद्धू ने चुनाव से पहले पंजाब में कई चुनावी रैलियां की। इसे लेकर उनका प्रदेश कांग्रेस के साथ टकराव भी होता रहा क्योंकि यह आरोप लगा कि उन्होंने इन रैलियों के लिए प्रदेश कांग्रेस को भरोसे में नहीं लिया।

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भगवंत मान और अमरिंदर सिंह राजा वडिंग। (Source-FB)

Sukhdev Singh Dhindsa: पांच दशक से राजनीति में हैं ढींडसा

सुखदेव सिंह ढींडसा की गिनती शिरोमणि अकाली दल के साथ ही पंजाब के भी वरिष्ठ नेताओं में होती है। ढींडसा ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1972 में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीता था। इसके बाद वह कई बार अकाली दल के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीते और पंजाब की अकाली दल सरकार में मंत्री रहे। सुखदेव सिंह ढींडसा तीन बार लोकसभा और इतनी ही बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे। 2019 में उन्हें पद्मश्री दिया गया।

बेटे को टिकट न मिलने से नाराजगी

2018 में सुखदेव सिंह ढींडसा ने अकाली दल से इस्तीफा दे दिया था और अपनी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) का गठन किया था। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सुखदेव सिंह ढींडसा ने अपनी पार्टी का शिरोमणि अकाली दल में विलय कर दिया और लेकिन जब अकाली दल ने उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा को टिकट नहीं दिया तो वह नाराज हो गए। उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष सुखबीर बादल की इसे लेकर आलोचना भी की थी।

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(बाएं से) भगवंत मान, सुनील जाखड़, अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और सुखबीर सिंह बादल। (Source-FB)

Punjab Lok Sabha Chunav: बीजेपी, कांग्रेस के बड़े नेता पहुंचे प्रचार में

इन तीनों बड़े नेताओं के पंजाब में चुनाव प्रचार के मैदान में नहीं दिखाई देने का असर निश्चित रूप से चुनाव पर पड़ा। हालांकि प्रचार के अंतिम दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं- राहुल गांधी, प्रियंका गांधी मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावी माहौल को धार देने की कोशिश की।

इसके साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी चुनाव प्रचार में ताकत झोंकी।

पंजाब में इस बार आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस वजह से अधिकतर सीटों पर मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है।