‘मैंने 2022 में आम आदमी पार्टी को वोट दिया था। इस बार मैं कांग्रेस को वोट दूंगा चाहे वह जीते या हारे।’ यह कहना है आनंदपुर साहिब लोकसभा सीट के रकरा ढाहां गांव में रहने वाले बलजिंदर कुमार का। उनकी पत्नी कुलविंदर कौर भी उनकी हां में हां मिलाती हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को पंजाब की 13 में से 8 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इसके बाद से पार्टी को यहां पर कई झटके लगे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का लगभग सूपड़ा साफ हो गया था और तब उसे 117 सीटों वाले इस राज्य में सिर्फ 18 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद पार्टी के कई नेता जैसे- पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस के लगभग दो दर्जन नेता ऐसे हैं जो जांच का सामना कर रहे हैं।
Punjab Congress: कांग्रेस ने बड़े नेताओं को बनाया उम्मीदवार
कुछ महीने पहले कांग्रेस के महासचिव और पंजाब के प्रभारी देवेंद्र यादव ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा था कि वह पंजाब में फ्रंट फुट पर चुनाव लड़ेंगे। इसी लाइन पर आगे बढ़ते हुए कांग्रेस ने पंजाब में अपने अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को लुधियाना से, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को जालंधर से, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को गुरदासपुर से और सुखपाल सिंह खैहरा को संगरूर सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।
पंजाब में कांग्रेस को उम्मीद है कि आम आदमी पार्टी के 2 साल के शासन की एंटी इनकंबेंसी का उसे फायदा मिलेगा और इससे वह अपने 2019 में किए गए चुनावी प्रदर्शन के आसपास पहुंच जाएगी। 2019 में कांग्रेस को मिली 8 सीटों के अलावा अकाली दल और भाजपा गठबंधन को दो-दो सीटें और आम आदमी पार्टी को एक सीट मिली थी।

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस इंडिया गठबंधन में शामिल हैं और यह दोनों ही दल हरियाणा और दिल्ली में मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन पंजाब में इनके अकेले-अकेले चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है।
AAP-Congress Alliance: गठबंधन के विरोध में थी कांग्रेस
कांग्रेस के नेताओं ने शुरुआत से ही पंजाब में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का विरोध किया था। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि आम आदमी पार्टी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की वजह से उन्हें परेशान किया जा रहा है।
पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा कहते हैं कि कांग्रेस के पास आम आदमी पार्टी से गठबंधन न करने की और भी कई वजह हैं। बाजवा कहते हैं, “हम विपक्ष में हैं, अगर हमने आम आदमी पार्टी के साथ हाथ मिला लिया होता तो सरकार के खिलाफ जाने वाले सारे वोट दूसरी पार्टियों को चले जाते और आम आदमी पार्टी भी हमारे कई नेताओं को अपने साथ ले जाती।”
पंजाब में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता बीते दिनों में आम आदमी पार्टी में शामिल हो चुके हैं। इनमें राजकुमार चब्बेवाल और गुरप्रीत सिंह जीपी का नाम भी शामिल है। आम आदमी पार्टी ने इन नेताओं को क्रमशः होशियारपुर और फतेहगढ़ साहिब सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।

AAP Punjab Government: आप सरकार से है नाराजगी
पंजाब में जमीनी हालात देखें तो यहां आम आदमी पार्टी के खिलाफ नाराजगी साफ दिखाई देती है। यह नाराजगी विधायकों की जनता से दूरी और ड्रग्स के मुद्दे को लेकर है। पंजाब की पिछली कांग्रेस सरकार ने भी इस तरह के हालात का सामना किया था। भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) के जिला प्रधान जगसीर सिंह सीरा कहते हैं कि यहां के स्थानीय विधायक लाभ सिंह उगोके ना तो फोन कॉल का जवाब देते हैं ना ही स्थानीय लोगों से मिलते हैं।
बरनाला के दो दुकानदार- अमरजीत और मनजीत सिंह स्थानीय विधायक और मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर के बारे में शिकायत करते हैं। वह कहते हैं कि गुरमीत सिंह मीत हेयर 2022 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मतदाताओं को धन्यवाद देने के लिए भी नहीं आए। इसी तरह अमृतसर में भी कुछ महिलाएं आम आदमी पार्टी के दो विधायकों के ‘गायब’ होने की बात कहती हैं।

Gurjit Singh Aujla: औजला बोले- संपर्क में रहा, तभी दें वोट
पंजाब में कांग्रेस के कई उम्मीदवारों को आम आदमी पार्टी के नेताओं की जनता से ‘दूरी’ की वजह से कुछ उम्मीद है। अमृतसर से दो बार सांसद बन चुके और इस बार भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे गुरजीत सिंह औजला लोगों से कहते हैं कि अगर वह जनता के संपर्क में रहे हैं तभी लोगों को उन्हें वोट देना चाहिए।
इस बात पर औजला को कई लोगों से समर्थन भी मिलता है। बैंक में काम करने वाले पंकज पासी कहते हैं कि वह किसी पार्टी को वोट नहीं दे रहे हैं बल्कि औजला को वोट देंगे क्योंकि वह हमेशा हमारे लिए खड़े रहते हैं।
गुरजीत सिंह औजला दिसंबर 2013 में तब मीडिया की सुर्खियों में आए थे जब कुछ युवकों ने संसद के अंदर हंगामा किया था और रंगीन गैस छोड़ी थी। औजला ने इन युवकों को रोका था। गुरजीत सिंह औजला अमृतसर में साफ सफाई की व्यवस्था और खराब सड़कों के मुद्दे को भी उठाते हैं। वह कहते हैं कि पिछले 2 साल से अमृतसर नगर निगम का चुनाव नहीं हुआ है आखिर आम आदमी पार्टी इतना डर क्यों रही है।

Amarinder Singh Raja Ludhiana: स्थानीय मुद्दों पर जोर दे रहे वडिंग
लुधियाना से चुनाव लड़ रहे अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और जालंधर से चुनाव मैदान में उतरे चरणजीत सिंह चन्नी चुनाव प्रचार के दौरान पार्क से लेकर धार्मिक स्थलों का दौरा कर लोगों से मिलते हैं। इससे पहले सभी कांग्रेस उम्मीदवार पंजाब के मतदाताओं के पास अपना एक ही घोषणा पत्र लेकर जाते थे लेकिन इस बार हर उम्मीदवार स्थानीय मुद्दों को चुनाव प्रचार में शामिल कर रहा है।
शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष और संगरूर के मौजूदा सांसद सिमरनजीत सिंह मान के खिलाफ चुनाव लड़ रहे सुखपाल सिंह खैहरा प्रचार के दौरान बंदी सिंहों की रिहाई के मुद्दे पर जोर देते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार आम आदमी पार्टी सरकार के अधूरे वादों के बारे में भी बात करते हैं। इसमें आम आदमी पार्टी द्वारा महिलाओं को हर महीने 1000 रुपए दिए जाने का वादा शामिल है।
फरीदकोट के मोहम्मद गांव में रहने वाले हरविंदर पाल सिंह कहते हैं, ‘इस बार आम आदमी पार्टी की कोई लहर नहीं है। जिस तरह से धीमी गति से गेंहू को उठाने का काम हो रहा है, मैं उससे निराश हूं। कांग्रेस की सरकार के वक्त में जो काम एक पखवाड़े में हो जाता था उसमें अब एक महीना लग रहा है। हमारा कमीशन भी घटा दिया गया है।’
कांग्रेस पंजाब में अपने नेताओं की आपसी लड़ाई से भी जूझ रही है। कहा जाता है कि लुधियाना से अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को टिकट मिलने की वजह से यहां के पूर्व विधायक भारत भूषण आशू नाराज हैं। हालांकि वडिंग अपने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार आशू के द्वारा उनके लिए चुनाव प्रचार करने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं और कहते हैं कि हम लोकतंत्र को बचाने के लिए लड़ रहे हैं और हमने अपने सभी मतभेदों को भुला दिया है।
बठिंडा में रहने वाले रोहित जिंदल कहते हैं कि राम मंदिर निर्माण की वजह से कांग्रेस को शहरी इलाकों में नुकसान हो सकता है और यह वोट बीजेपी को जा सकते हैं।

Operation Bluestar: ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर निशाने पर है कांग्रेस
इस बार मतदान 1 जून को होना है और इस साल ऑपरेशन ब्लू स्टार को 40 साल पूरे हो जाएंगे इसलिए कांग्रेस अकाली दल और बीजेपी के निशाने पर भी है। कांग्रेस के नेता कहते हैं कि जो पुराने घाव हैं, वह भर चुके हैं। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, “राहुल गांधी ने स्वर्ण मंदिर में काफी वक्त बिताया है और बीते साल उन्होंने वहां सेवा भी की थी। पंजाब के लोग बीते वक्त में हुए अपराध के लिए हमें दोषी नहीं ठहराते।”
पंजाब यूनिवर्सिटी के आशुतोष कुमार कहते हैं, “आम आदमी पार्टी एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रही है, अकाली खुद को फिर से खड़ा कर रहे हैं, बीजेपी की नजर 2027 के विधानसभा चुनाव पर है और कांग्रेस ने अपने बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है।”
जमीन पर इस तरह की भी चर्चा है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कुछ सीटों पर अंदरुनी समझौता है। जैसे- लुधियाना सीट पर आम आदमी पार्टी ने लो प्रोफाइल वाले स्थानीय विधायक को अपना उम्मीदवार बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी चुनावी सभा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच चुनावी मुकाबले को दिखावा बता चुके हैं। लेकिन दोनों ही राजनीतिक दल इस तरह के आरोपों को खारिज करते हैं।
आम आदमी पार्टी के नेता कहते हैं कि उन्होंने कांग्रेस से पहले ही अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया था जबकि कांग्रेस ने कई चरणों में अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी।