पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ़ ) के अध्यक्ष इमरान खान को गिरफ्तार कर लिया गया है। मंगलवार को पाक रेंजर्स ने उन्हें कोर्ट रूम से ही गिरफ्तार कर लिया। इस्लामाबाद पुलिस के मुताबिक ख़ान को अल क़ादिर ट्रस्ट मामले में गिरफ़्तार किया गया है। रेंजर्स ने उन्हें नैब (नेशनल अकाउंटेबिलीटी ब्यूरौ) को सौंप दिया है।
ऐसा लगता है कि खान को गिरफ्तारी की खबर कुछ घंटे पहले ही लग गई थी क्योंकि अदालत जाने से पहले पीटीआई प्रमुख ने कहा था, “अगर किसी के पास वारंट है, तो उसे सीधे मेरे पास लाना चाहिए। वारंट लाओ, मेरा वकील होगा। मैं खुद जेल जाने को तैयार हूं।”
क्या है अल कादिर ट्रस्ट मामला?
इमरान खान ने 26 दिसंबर 2019 को अल क़ादिर ट्रस्ट का पंजीकरण कराया था। इस ट्रस्ट में सिर्फ दो टस्ट्री हैं, एक इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी और दूसरे खुद इमरान खान। प्रधानमंत्री रहते हुए इमरान खान ने अल कादिर यूनिवर्सिटी में बनवाई थी, जिसके लिए पाकिस्तान के रईस और बहरिया टाउन के सीआईओ मलिक रियाज़ ने ट्रस्ट के जरिए जमीन दान दिया था। आरोप है कि इमरान खान और उनकी पत्नी ने रियाज को डरा धमका कर जमीन ली थी। इस मामले की जांच नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरौ (नैब) कर रहा है।
कुछ घंटे पहले ही लगाए थे गंभीर आरोप
गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले ही इमरान खान ने पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग ISPR पर पलटवार किया था। इमरान खान ने कहा था कि भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने से संस्थाएं मजबूत होती हैं।
उन्होंने ने सेना के वरिष्ठ अधिकारी जनरल फैसल नसीर पर आरोपों को दोहराते हुए कहा था, “जब भी जांच होगी मैं साबित कर दूंगा कि यह वही आदमी था, जिसने मेरा कत्ल करवाने की कोशिश की।”
ISPR ने आरोपों को किया था खारिज
खान के आरोपों को खारिज करते हुए ISPR ने कहा था कि वे अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए पिछले एक साल से सेना और खुफिया अधिकारियों को बदनाम कर रहे हैं। विभाग ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी।
इमरान खान ने आरोप लगाया था कि पूर्व प्रधानमंत्री होते हुए भी मैं जनरल फैसल नसीर के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करवा पाया था। पाकिस्तान की सेना ने सोमवार को इमरान खान को गैर-जिम्मेदाराना और निराधार आरोप लगाने से बचने की सलाह दी थी। ISPR ने एक बयान जारी कहा था कि इस तरह के आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। ऐसा आरोपों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
ट्विटर पर शहबाज शरीफ से भिड़े
गिरफ्तारी से कुछ घंटों पहले इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से ट्विटर पर बहस कर रहे थे। उन्होंने शहबाज के लिए लिखा था, “पिछले कुछ महीनों में दो बार मेरी हत्या की कोशिश हुई है। क्या मैं शहबाज शरीफ से कुछ सवाल पूछने का साहस कर सकता हूं? क्या एक नागरिक के तौर पर मुझे उन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराने का अधिकार है, जो मेरी हत्या के प्रयास के लिए जिम्मेदार है? मुझे FIR दर्ज कराने के मेरे कानूनी और संवैधानिक अधिकार से वंचित क्यों किया गया? क्या शहबाज शरीफ यह कहना चाहते हैं कि उनके अधिकारी कानून के ऊपर हैं? अगर हम आरोप लगाते हैं कि उनमें से किसी एक ने अपराध किया है, तो यह संस्था को बदनाम करना कैसे हो गया?
पंजाब में पीटीआई सरकार के सत्ता में रहने के दौरान वजीराबाद जेआईटी को बर्बाद करने वाला शक्तिशाली व्यक्ति कौन था? क्या शहबाज शरीफ जवाब दे सकते हैं कि 18 मार्च को मेरी उपस्थिति से पहले शाम को आईएसआई ने आईसीटी न्यायिक परिसर को अपने कब्जे में क्यों लिया? CTD और वकीलों के भेष में ISI के जवान क्यों थे? मकसद क्या था और आईएसआई का कॉम्प्लेक्स में क्या काम था?”
इमरान खान के इस ट्वीट के जवाब में शहबाज शरीफ ने लंबा ट्वीट लिखा जिसकी शुरुआत कुछ इस तरह की, “मुझे कोई संदेह नहीं है कि आपकी राजनीति घोर झूठ, यू-टर्न और संस्थानों पर हमला पर टिकी हुई है। मैंने अपने ट्वीट में आपके बारे में जो कहा वह पिछले कुछ वर्षों के तथ्यों से साबित होता है।”
इमरान खान पर 83 केस दर्ज
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान खान पर कुल 83 मामले दर्ज हैं। एक मामला पार्टी के लिए बेनामी फॉरेन फंडिंग का है। एक अन्य मामले में उनके ऊपर विदेशी मेहमानों से मिले गिफ्ट को कम दाम में खरीदकर, अधिक दाम में बेच अवैध तरीके से धन कमाने का आरोप है। यह मामला तोशाखान केस नाम से मशहूर है।
एक मामला इमरान खान की मां के नाम पर बने अस्पताल से जुड़ा है। खान पर आरोप है कि उन्होंने अस्पताल के नाम पर चंदा लेकर उसका इस्तेमाल पार्टी के काम के लिए कर लिया।
सबसे गंभीर मामलों में से एक है चुनाव आयोग से जानकारी छिपाना। इमरान खान की पहली पत्नी जेमिमा से हुई बेटी का नाम टैरिन व्हाइट है। वह तीस साल की हैं और लंदन में अपनी मां के साथ रहती हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी न्यायालयों में यह साबित हो चुका है कि टैरिन इमरान खान की बेटी हैं। लेकिन उन्होंने चुनाव आयोग को इस बात की जानकारी नहीं दी थी। पाकिस्तान में इस मामले को टैरिन व्हाइट केस के नाम से जाना जाता है।