Priyanka Gandhi Congress Wayanad Seat 2024: पिछले दो दशक से यह सवाल लोगों के मन में था कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव मैदान में कब उतरेंगी और अब यह इंतजार खत्म हुआ क्योंकि प्रियंका केरल की वायनाड सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं। वायनाड लोकसभा सीट से 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ही जीत मिली थी। तब प्रियंका गांधी वाड्रा के भाई और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इस सीट से चुनाव जीते थे।
वायनाड सीट को कांग्रेस के लिए इसलिए भी बेहद सुरक्षित माना जाता है क्योंकि 2009 में यहां पहली बार चुनाव होने के बाद से लगातार कांग्रेस ही जीत दर्ज करती आ रही है।
बीजेपी ने वायनाड से नव्या हरिदास को उम्मीदवार बनाया है जबकि सीपीआई के टिकट पर पूर्व विधायक सत्यन मोकेरी चुनाव लड़ रहे हैं। वायनाड लोकसभा सीट पर 41% मुस्लिम मतदाता हैं जबकि 13% ईसाई, 10% आदिवासी और 7% दलित मतदाता हैं।
इमोशनल अपील का लिया सहारा
चूंकि राहुल गांधी वायनाड से पिछले दो लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं इसलिए प्रियंका गांधी को इस क्षेत्र में अच्छा राजनीतिक समर्थन मिलने की उम्मीद है। प्रियंका के नामांकन के दौरान भी राहुल गांधी वायनाड पहुंचे थे। प्रियंका और राहुल गांधी ने वायनाड के लोगों से इमोशनल अपील भी की थी। राहुल ने कहा था कि वायनाड में दो सांसद होंगे एक प्रियंका गांधी और दूसरे वह खुद। पिछले कुछ सालों में राहुल गांधी ने राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई है और पार्टी में उन्हें सबसे बड़े नेता के रूप में स्वीकार भी किया गया है।
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लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भी ऐसा लगा था कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं लेकिन तब उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। राहुल गांधी 2024 के लोकसभा चुनाव में वायानाड और रायबरेली 2 सीटों से चुनाव जीते तो उनके द्वारा वायनाड की सीट खाली किए जाने के बाद प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने इस सीट से उम्मीदवार बनाया।
पिछले कुछ चुनावों में वायनाड में कांग्रेस का वोट शेयर

दक्षिण से चुनाव जीती थीं इंदिरा गांधी
प्रियंका गांधी की दादी और देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई बार उत्तर के बजाय दक्षिण से चुनाव लड़ा था। आपातकाल के बाद जब 1977 में चुनाव हुए थे तो पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो गया था लेकिन दक्षिण ने इंदिरा गांधी का साथ दिया था। इंदिरा गांधी 1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं। 1980 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने रायबरेली सीट छोड़ दी थी लेकिन तेलंगाना की मेडक (उस वक्त आंध्र प्रदेश में) सीट को बरकरार रखा था।
यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार को प्रियंका गांधी को चुनाव मैदान में उतारने में लंबा वक्त लगा और अब 52 साल की उम्र में प्रियंका अपना पहला चुनाव लड़ रही हैं जबकि राहुल गांधी पांच बार लोकसभा के सांसद बन चुके हैं।
लोकसभा सीटों के परिसीमन को लेकर दक्षिण में नाराजगी
अगर प्रियंका गांधी लोकसभा का चुनाव जीत जाती हैं तो वह ऐसे समय में भारत के दक्षिणी इलाके का प्रतिनिधित्व करेंगी जब उत्तर और दक्षिण के क्षेत्र में तनाव बढ़ता दिख रहा है। हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने दक्षिण के लोगों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की थी। दक्षिणी राज्यों में नाराजगी इस बात को लेकर है कि 2026 में होने वाला लोकसभा सीटों का परिसीमन पूरी तरह राजनीतिक तौर पर दक्षिण के खिलाफ होगा क्योंकि दक्षिणी ने अपनी आबादी को नियंत्रित कर लिया है।
दूसरी ओर उत्तरी राज्यों में ज्यादा आबादी होने के कारण यहां से लोकसभा के लिए चुने जाने वाले सांसदों की संख्या ज्यादा होगी।
दक्षिण में कांग्रेस को मजबूत करेंगी प्रियंका
गांधी परिवार को उत्तर और दक्षिण से बराबर समर्थन मिलता रहा है और अगर प्रियंका गांधी वायनाड से चुनाव जीतती हैं तो उन्हें उत्तर और दक्षिण दोनों ही क्षेत्रों में काम करने का मौका मिलेगा। प्रियंका गांधी दक्षिण के इलाकों में कांग्रेस की मजबूती के लिए काम कर सकती हैं। वह कर्नाटक और तेलंगाना में चुनाव प्रचार का काम संभाल चुकी हैं।
प्रियंका गांधी ने 1999 में चुनाव प्रचार के दौरान रायबरेली के लोगों से पूछा था कि- क्या वे उस अरुण नेहरू को वोट देंगे जो उनके पिता राजीव गांधी के चचेरे भाई हैं और वह व्यक्ति हैं जिन्होंने उनके पिता को धोखा दिया है। इस लाइन का चुनाव में असर हुआ था।
प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा लगाए गए परिवारवाद के आरोपों का भी डटकर सामना किया है। वह इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की चुनाव के दौरान की गई हत्याओं के बारे में बात करती रही हैं।
एक सवाल यह भी है कि क्या प्रियंका गांधी के संसद पहुंचने से राहुल गांधी की राजनीति पर कोई असर पड़ेगा? दोनों भाई-बहन आने वाले वक्त में बीजेपी के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ते दिखेंगे। गांधी परिवार में मतभेदों को लेकर भी चर्चाएं होती हैं लेकिन अगर प्रियंका गांधी राहुल से आगे निकल जाती हैं तो इन दोनों से जुड़े वफादार समूहों के बीच मतभेद बढ़ सकते हैं।
प्रियंका गांधी का चुनाव में आना कांग्रेस की कहानी में एक नया चैप्टर जोड़ेगा क्योंकि यह ऐसे समय में हो रहा है जब पार्टी ने खुद को जिंदा करने के संकेत दिए हैं।