कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी द्वारा लोकसभा का चुनाव न लड़ने और राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचने के एलान के बाद से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। हालांकि, सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी ने अभी तक इस बात के संकेत नहीं दिए हैं कि वह रायबरेली से अपने इलेक्शन डेब्यू के लिए तैयार हैं।

वरिष्ठ पत्रकार कूमी कपूर ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के लिए लिखे अपने साप्ताहिक कॉलम ‘इनसाइड ट्रैक’ में लिखा है कि हाल ही में जब प्रियंका के करीबी सहयोगियों ने उनसे मुलाकात कर पूछा कि क्या उन्हें चुनाव प्रचार शुरू करना चाहिए, तो उन्होंने उन्हें कोई निर्देश नहीं दिया।

गौरतलब है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) की महासचिव प्रियंका गांधी यूपी में अपने भाई की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत में शामिल नहीं हुईं, जबकि योजना के मुताबिक, उन्हें शामिल होना था। एक प्रेस नोट में बताया गया कि स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से, प्रियंका अस्पताल में थी। हालांकि वह अपनी मां के साथ राजस्थान में नजर आई थीं, जब सोनिया गांधी राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल करने गई थीं। कपूर लिखती हैं, “कुछ लोगों का अनुमान है कि प्रियंका 2024 में कांग्रेस की लगातार तीसरी निर्णायक हार से जुड़ना नहीं चाहतीं।”

रायबरेली से पुराना कनेक्शन

आजादी के बाद हुए पहले चुनाव (1952) में गांधी परिवार के सदस्य फिरोज गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ा था। दरअसल फिरोज गांधी इलाहाबाद से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन वहां की सीट के लिए पहले ही कांग्रेस के दिग्गजों में प्रतिस्पर्धा थी। ऐसे में स्वतंत्रता सेनानी रफी अहमद किदवई के बुलावे पर फिरोज गांधी अपना पहला आम चुनाव लड़ने रायबरेली पहुंच गए।

नेहरू खानदान का दामाद और इंदिरा का पति होने की वजह से चुनाव प्रचार के दौरान फिरोज गांधी को रायबरेली के गांवों में जीजा जैसा सत्कार मिला था। फिरोज गांधी को चुनाव में जीत मिली थी। अगले चुनाव में भी उन्होंने रायबरेली का प्रतिनिधित्व किया।

बाद में भी गांधी परिवार का ही इस सीट पर दबदबा रहा। आजादी के बाद केवल चार बार नेहरू-गांधी परिवार के अलावा कांग्रेस का कोई नेता रायबरेली से सांसद बना। पिछले चुनाव में उत्तर प्रदेश से कांग्रेस का सूपड़ा लगभग साफ हो गया था। कांग्रेस को सिर्फ रायबरेली सीट पर ही जीत मिली थी।

अब सोनिया गांधी के लोकसभा सीट छोड़ने और प्रियंक गांधी की अनिच्छा देखकर ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि गांधी परिवार अमेठी की तरह रायबरेली भी छोड़ सकती है। पिछले चुनाव में कांग्रेस को हिंदी पट्टी में हार का सामना करना पड़ा, राहुल खुद अमेठी से वर्तमान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हार गए थे। उस हार के बाद से राहुल गांधी अब तक सिर्फ दो बार अमेठी गए हैं।

राहुल के लिए अमेठी छोड़ रायबरेली गई थीं सोनिया

सोनिया गांधी 1999 में पहली बार अमेठी से सांसद बनी थीं, इस सीट का प्रतिनिधित्व कभी उनके दिवंगत पति राजीव गांधी करते थे। वह 2004 में राहुल के लिए अमेठी छोड़कर रायबरेली चली गईं। सोनिया राज्यसभा में प्रवेश करने वाली नेहरू-गांधी परिवार की दूसरी सदस्य बनेंगी। उनकी सास और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रायबरेली से लोकसभा चुनाव जीतने से पहले 1964 से 1967 तक उच्च सदन की सदस्य थीं।