17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 74 साल के हो जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन को खास बनाने के लिए देश भर में कई संगठनों की ओर से बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध दरगाह अजमेर शरीफ में 4000 किलो के शाकाहारी लंगर का भी आयोजन किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी कैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लेकर बीजेपी में तमाम पदों पर रहते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री बने और फिर 2014 में प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे, यह एक लंबा सफर है, जिसके बारे में हम इस खबर में जानेंगे।
गुजरात के वडनगर में एक साधारण परिवार में जन्मे नरेंद्र मोदी ने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की। ‘नरेंद्र मोदी: द मैन द टाइम्स’ शीर्षक से लिखी गई किताब में निलंजन मुखोपाध्याय लिखते हैं कि मोदी के पिता की वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान थी। इसके बाद उन्होंने अपने भाई के साथ बस स्टैंड के पास एक चाय की दुकान भी चलाई।
घर छोड़कर निकल गए मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ 17 साल की उम्र में ही अपना घर छोड़कर बाहर निकल गए और उन्होंने पूरे देश की यात्रा करने का फैसला किया। भारत यात्रा के दौरान वह हिमालय में गरुड़चट्टी में रुके तो पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम पहुंचे और पूर्वोत्तर तक भी गए। इन यात्राओं का नरेंद्र मोदी के जीवन पर बड़ा असर पड़ा।
संघ में शामिल होने का फैसला
narendramodi.in के मुताबिक, 2 साल बाद नरेंद्र मोदी घर लौटे लेकिन वह सिर्फ दो हफ्ते ही यहां रुके और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने के लिए घर से निकल पड़े। तब नरेंद्र मोदी की उम्र सिर्फ 20 वर्ष थी जब वह संघ में शामिल होने के लिए अहमदाबाद पहुंचे।
संघ के संपर्क में वह तब आए जब वह अपने पिता के साथ चाय की दुकान पर काम करते थे। संघ के प्रचारक के रूप में मोदी ने पूरे गुजरात की यात्रा की।
दिसंबर, 1973 में गुजरात में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने जब मैस के बढ़े हुए बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया तो यह आंदोलन में बदल गया और यह नवनिर्माण आंदोलन बन गया। बाद में जेपी भी इस आंदोलन से जुड़े और यह आंदोलन इंदिरा गांधी सरकार के लिए मुसीबत बन गया। जब इंदिरा सरकार ने आपातकाल लगाया तो नरेंद्र मोदी ने इसका विरोध किया। आपातकाल के दौरान मोदी को कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ काम करने का मौका मिला।
1988 में बने गुजरात बीजेपी के सचिव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से आगे बढ़ते हुए नरेंद्र मोदी को 1988 में बीजेपी की गुजरात इकाई का संगठन सचिव नियुक्त किया गया। इसी के साथ उनका चुनावी राजनीति में प्रवेश हुआ। नरेंद्र मोदी भाजपा संगठन में धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहे और उन्हें पहचान तब मिली जब उन्होंने 1990 में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की अयोध्या रथ यात्रा और 1991-92 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा के प्रबंधन में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद वह पार्टी की ओर से राज्यों में दी गई जिम्मेदारियों को निभाते रहे।
2001 में सीएम बने मोदी
साल 2001 में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने को कहा। मोदी इस पद पर 2014 तक रहे। नरेंद्र मोदी ने 2002, 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रहते हुए बीजेपी को जीत दिलाई। अभी भी गुजरात में वह बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा हैं जिनके नाम पर पार्टी को वहां वोट मिलते हैं।
नरेंद्र मोदी आजादी के बाद पहले ऐसे गैर कांग्रेसी नेता हैं जो लगातार तीन बार प्रधानमंत्री बने हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाया तो मोदी ने देश भर में पार्टी और एनडीए के लिए धुआंधार चुनाव प्रचार किया। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह मोदी और पार्टी संगठन की मेहनत का ही नतीजा था कि 2009 के लोकसभा चुनाव में 116 सीटें जीतने वाली बीजेपी 2014 के लोकसभा चुनाव में 282 सीटों के आंकड़े पर पहुंच गई। इसके बाद बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भी बनी।
बीजेपी ने कई राज्यों में बनाई सरकार
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बीजेपी ने तमाम राज्यों में बेहद आक्रामक ढंग से चुनाव लड़ा और एक के बाद एक कई चुनाव जीते। पार्टी ने हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और यहां तक कि वामपंथ का गढ़ माने जाने वाले त्रिपुरा में भी सरकार बनाई। पूर्वोत्तर में भी बीजेपी का काफिला लगातार बढ़ रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को ही अपना चेहरा बनाया और पार्टी ने 303 सीटें जीत ली। तब बीजेपी के इस प्रदर्शन से राजनीतिक विश्लेषकों को भी जबरदस्त हैरानी हुई। इसके पीछे नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व को वजह माना गया।
2024 में अपने दम पर नहीं मिला बहुमत
2024 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी फिर बीजेपी के चुनाव अभियान का चेहरा बने और पार्टी ने अपने दम पर 370 और एनडीए के लिए 400 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा। नरेंद्र मोदी ने देशभर में एक बार फिर जोरदार चुनाव प्रचार किया लेकिन बीजेपी अपने दम पर बहुमत भी नहीं हासिल कर सकी। हालांकि सहयोगी दलों के दम पर एनडीए अपनी सरकार बनाने में कामयाब रहा।
प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताबड़तोड़ विदेशी मुल्कों का दौरा किया। वह अपने पहले और दूसरे कार्यकाल में कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों और प्रमुख नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। बीते कुछ सालों में प्रधानमंत्री जर्मनी, चीन, रूस, भूटान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, जापान, सऊदी अरब सहित कई देशों की यात्रा कर चुके हैं।
सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर 370 की समाप्ति तक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले 10 साल में उनके जिन बड़े फैसलों के लिए याद किया जाएगा, उनमें नोटबंदी, बालाकोट एयर स्ट्राइक से लेकर जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म करना है। मोदी सरकार ने तीन तलाक की प्रथा को खत्म करने के लिए कानून बनाया। लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू करने को भी मोदी सरकार का एक बड़ा फैसला माना जाता है।
पिछले 10 सालों में मोदी सरकार द्वारा पीएम जन धन योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, उज्ज्वला योजना, पीएम किसान सम्मान निधि, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना जैसी कई बड़ी योजनाएं शुरू की गई हैं। सरकार का दावा है कि इन योजनाओं से देश के लोगों को बहुत फायदा हुआ है।
यूपीआई से आसान हुई खरीदारी
मोदी सरकार को देश में यूपीआई डिजिटल क्रांति लाने का श्रेय भी दिया जाता है। इस वजह से देश भर में बड़े शहरों से लेकर दूर-दराज के गांवों तक ऑनलाइन ट्रांजेक्शन ने रफ्तार पकड़ी है। यूपीआई की वजह से भारत में रोजमर्रा की सामान खरीदारी आसान हो गई है।
राम मंदिर का निर्माण, 25 करोड़ लोग आए गरीबी रेखा से बाहर
बीजेपी नेता कहते हैं कि मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए ही वर्षों से लंबित राम मंदिर निर्माण का विवाद सुलझा और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण भी हुआ। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति बीजेपी के चुनावी एजेंडे में भी शामिल था। ये दोनों ही काम नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही हुए। बीजेपी का दावा है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यकाल में भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने की बात भी मोदी लगातार दोहराते रहे हैं। 2029 में वन नेशन वन इलेक्शन भी मोदी सरकार के एजेंडे में शामिल है।