सरकार की प्रमुख छोटी बचत योजनाओं में निवेश ज्यादा आकर्षक नहीं रह गया है। बैंकों में निवेश का भी यही हाल है। शायद यही वजह है कि निवेशक शेयर बाजार की ओर रुख कर रहे हैं और म्यूचुअल फंड्स में तेजी से निवेश बढ़ रहा है।
पीपीएफ, एनएससी, केवीपी आदि सात प्रमुख सरकारी बचत योजनाओं की बात करें तो इनमें पांच साल में ब्याज दर घटा ही है। ऐसे में अगर महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए देखा जाए तो इन योजनाओं में निवेश आकर्षक नहीं रह गया है।
पीपीएफ पर ब्याज दर अप्रैल 2020 से 7.1% पर स्थिर है। पांच साल की आवर्ती जमा (आरडी) पर रिटर्न, जो अप्रैल 2020 से मार्च 2023 तक 5.8% पर स्थिर था, 2023-24 की पहली तीन तिमाहियों में धीरे-धीरे बढ़ाया गया था। पिछले अक्टूबर तक यह 6.7% तक ले जाया गया था।
PPF दर आखिरी बार अक्टूबर 2018 में बढ़ाई गई थी
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) पर ब्याज दर आखिरी बार अक्टूबर 2018 में बढ़ाई गई थी, जब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इसे 8% रखा गया था। चुनाव के बाद, सरकार ने जुलाई 2019 से दर को घटाकर 7.9% कर दिया था और 2020-21 की शुरुआत में इसे और घटाकर 7.1% कर दिया था। इस दौरान सरकार ने सभी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में 0.5 और 1.4 प्रतिशत अंक की कटौती की थी।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले छोटी बचत योजनाओं पर दरों में बढ़ोतरी
वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने लगातार छह तिमाहियों के लिए अधिकांश छोटी बचत योजनाओं पर दरों में बढ़ोतरी की घोषणा की। जनवरी से मार्च 2024 की तिमाही में सुकन्या समृद्धि खाता योजना (एसएसएएस) पर रिटर्न 8% से 8.2% कर दिया गया और तीन साल की सावधि जमा पर ब्याज दर 7% से 7.1% की गयी। हालांकि, उसके बाद से दरों में कोई खास बदलाव नहीं हुआ और पीपीएफ पर ब्याज दर इस दौरान भी नहीं बढ़ाया गया।
2024-25 की दूसरी तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं पर दरें नहीं बदली
भारत सरकार ने 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर 2024) के लिए छोटी बचत योजनाओं पर दरें नही बदली। आरबीआई ने पिछले हफ्ते जारी की अपनी मॉनीटरी पॉलिसी रिपोर्ट में कहा, सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) और पांच साल की आवर्ती जमा को छोड़कर विभिन्न योजनाओं पर दरें अब फॉर्मूला आधारित दरों के अनुरूप हैं।
वित्त मंत्रालय का कहना है कि योजना पर रिटर्न टैक्स फ्री है इसलिए कर-समायोजित रिटर्न अधिक है। सुकन्या समृद्धि योजना पर ब्याज दर अप्रैल 2020 से मार्च 2023 तक 7.6% पर स्थिर थी लेकिन पिछले अप्रैल से 8% और इस जनवरी से 8.2% की गई थी।
पांंच सालों में विभिन्न लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरों की तुलना
लघु बचत योजनाएं | अक्टूबर 2018-जून 2019 | जुलाई-सितंबर 2019 | अप्रैल-जून 2020 | जनवरी-सितंबर 2024 |
पब्लिक प्रोविडेंट फंड | 8% | 7.9% | 7.1% | 7.1% |
सुकन्या समृद्धि योजना | 8.5% | 8.4% | 7.6% | 8.2% |
सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम | 8.7% | 8.6% | 7.4% | 8.2% |
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट | 8% | 7.9% | 6.8% | 7.7% |
मंथली इनकम अकाउंट | 7.7% | 7.6% | 6.6% | 7.4% |
पांच वर्षीय आवर्ती जमा | 7.3% | 7.2% | 5.8% | 6.7% |
किसान विकास पत्र | 7.7% | 7.6% | 6.9% | 7.5% |
भारत में घरेलू बचत में गिरावट
इन सबके बीच भारत में घरेलू बचत में गिरावट आई है। घरेलू बचत में यह गिरावट नेट फाइनेंशियल सेविंग में भारी कमी के कारण आई है क्योंकि घरेलू शुद्ध वित्तीय बचत और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का अनुपात चार दशक के निचले स्तर पर पहुंच गया है। 2022-23 में घरेलू शुद्ध वित्तीय बचत में यह गिरावट भौतिक बचत में मामूली सुधार के बावजूद घरेलू बचत में ओवरऑल गिरावट से जुड़ी हुई है।
उधार लेने में बढ़ोत्तरी से बचत में कमी
इस गिरावट का कारण क्या है? क्रिसिल के एक रिसर्च नोट में कहा गया है कि बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से व्यक्तियों द्वारा उधार लेने में बढ़ोत्तरी से बचत में कमी आई है। जबकि वित्तीय वर्ष 2021 और वित्तीय वर्ष 2023 के बीच सकल वित्तीय बचत औसतन 10.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी, घरेलू वित्तीय देनदारियां 30 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ीं।
ग्रॉस फाइनेंशियल सेविंग में घरेलू नकदी, जमा और अन्य वित्तीय बचत शामिल है। दूसरी ओर, वित्तीय देनदारियों में परिवारों द्वारा बैंकों और गैर-बैंकों से लिया गया लोन शामिल होता है।
क्रिसिल का मानना है कि वित्त वर्ष 2018 के बाद से वित्तीय देनदारियों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। क्रिसिल के रिसर्च नोट में कहा गया है, “वित्त वर्ष 2023 में घरेलू वित्तीय देनदारियां 5.8 प्रतिशत पर थीं, वित्त वर्ष 2018 से उनमें वृद्धि हो रही है।”
भारतीयों की घरेलू बचत में हो सकता है सुधार
आर्थिक विश्लेषकों के मुताबिक, भारतीयों की घरेलू बचत में सुधार देखने को मिल सकता है। पिछले एक दशक से भी अधिक समय से भारतीय परिवारों की वित्तीय बचत (नकदी, बैंक जमा और अन्य वित्तीय साधनों में निवेश) में लगातार गिरावट देखी गई है। यह 2011-12 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7.4% से कम हो गई है। 2022-23 में यह जीडीपी का 5.3% थी। लेटेस्ट आंकड़े बताते हैं कि 2023-24 में भारत की जीडीपी 8.2% बढ़ी। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का भी अनुमान है कि घरेलू बचत में बढ़ोतरी देखी जा सकती है।